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बहुविवाह और निकाह हलाला पर रोक की मांग, सुप्रीम कोर्ट नई संवैधानिक बेंच गठित करेगा

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट मुसलमानों में प्रचलित बहुविवाह और निकाह हलाला के मामलों पर विचार करने के लिए एक संविधान पीठ के गठन पर सहमत हो गया है. मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने गुरूवार को कहा कि वह इन परंपराओं को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने के लिए एक नई संविधान पीठ का गठन करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नई बेंच इन मामलों की सुनवाई करेगी. यह आदेश वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर पारित किया गया. उपाध्याय ने सुबह प्रधान न्यायाधीश की पीठ के समक्ष याचिका का उल्लेख किया. याचिका में मुस्लिमों की बहुविवाह और हलाल परंपरा पर रोक लगाने की मांग की गई है.

उपाध्याय ने पीठ को बताया कि दो न्यायाधीश न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता सेवानिवृत्त हो गए हैं और एक नई पीठ का गठन किया जाना है. इससे पहले जस्टिस इंदिरा बनर्जी, हेमंत गुप्ता, सूर्यकांत, एमएम सुंदरेश और सिधांशु धूलिया की पांच जजों की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही थी. याचिका में मांग की गई है कि मुसलमानों में बहुविवाह (एक से अधिक विवाह) और निकाह हलाला की प्रथा पर प्रतिबंध लगाया जाए. यह अवैध और असंवैधानिक है.

याचिका में कहा गया है कि निकाह हलाला की प्रथा में तलाकशुदा महिला को पहले किसी और से शादी करने की आवश्यकता होती है. उसके बाद दोबारा शादी करने के लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत अपने पहले पति को तलाक देना पड़ता है. दूसरी ओर, बहुविवाह एक ही समय में एक से अधिक पत्नी या पति होने की प्रथा है.

बता दें कि इससे पहले कोर्ट तीन तलाक की परंपरा को अवैध करार दे चुका है. उसके बाद केंद्र सरकार ने तीन तलाक को गैरकानूनी घोषित कर दिया है और ऐसा करने पर कड़ी सजा का प्रावधान है.

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