सुनने-बोलने से वंचित बशीर अपनी पेंटिंग से कर देते हैं हैरान, विभाग और सरकार का नहीं है ध्यान
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, श्रीनगर
उत्तरी कश्मीर के बारामूला के टिंगमर्ग, रत्नीपुरा के कलाकार बशीर अहमद बशीर बचपन से ही सुनने और बोलने में अक्षम हैं. हालाँकि, अल्लाह ने बशीर को इतनी ताकत और प्रतिभा दी है कि उसके बारे में जो भी सुनता है उससे प्यार करने लगता है. बशीर बहरे और सुनने में अक्षम होने के कारण कलम कलाकार बन गया.परिवार वालों के मुताबिक, बशीर बचपन से ही कागजों और कॉपियों पर अलग-अलग तस्वीरें खींचता था. धीरे-धीरे पेंटिंग बशीर के जीवन का हिस्सा बन गई. सुनने और बोलने से वंचित यह युवक हाथ में कलम लेकर सभी की हैरान कर देने वाली तस्वीर बना देता है. पेंटिंग करना उनका बचपन से शौक रहा है.
उन्होंने अब तक अनगिनत अद्भुत तस्वीरें बनाई हैं. वह कलात्मक कला की आवश्यकताओं का पालन करते हैं.बशीर अहमद हीन भावना का शिकार होने के बजाय अपने कौशल में सुधार और ऊंचाइयों तक पहुंचना चाहते हैं. लेकिन आज तक किसी ने उनकी क्षमता और हुनर पर ध्यान नहीं दिया. न ही उन्हें आगे बढ़ने के लिए कोई मंच प्रदान किया गया है. बशीर पर्यटन स्थल गुलमर्ग स्थित गुलमर्ग गोंडोला केबल कार में कैजुअल कर्मचारी के रूप में काम करता है.
बशीर अहमद के परिवार वालों का कहना है कि उन्हें गुलमर्ग में इसलिए तैनात किया गया है ताकि वह यहां पेंटिंग कर दुनिया भर के पर्यटकों को आकर्षित कर सके. यह अपनी आजीविका कमाने में सक्षम हैं, लेकिन विडंबना देखिए कि संबंधित विभाग या सरकार ने उनकी कला पर कोई ध्यान नहीं दिया. उन्हें गोंडोला में एक आकस्मिक कर्मचारी के रूप में काम करना पड़ रहा है.
बशीर ने नौवीं तक पढ़ाई की है. वह शादीशुदा और दो बच्चों का पिता है. बशीर के बेटे हजक का कहना है कि वे सभी से अपील करते हैं कि उनके पिता को नौकरी लग जाए, इसके लिए दुआ करंे. परिजनों का कहना है कि सरकार की ओर से उन्हें कई बार कहा गया कि बशीर की पेंटिंग के नमूने प्रदर्शनी हॉल में रखे जाएंगे, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हो सका. बशीर ने इस पेंटिंग के लिए अपने घर में अलग कमरा रखा है.
उन्होंने अब तक असंख्य चित्र बनाए हैं. उनकी कलात्मकता और चित्रकला की पराकाष्ठा यह है कि उन्होंने गुलमर्ग आने वाले सभी उच्चाधिकारियों या अधिकारियों का सटीक चित्र बनाया है. इनमें कई शख्सियतों को तोहफे के तौर पर दिया गया है.बशीर अहमद क्रिकेट खेलते हैं. उन्होंने भाषण और श्रवण बाधित युवाओं की एक टीम भी बनाई है, जिनमें वह खुद कप्तान हैं. बशीर अहमद हर कला के उस्ताद हैं.वह चाहते हैं कि सरकार अस्वस्थ और शारीरिक रूप से विकलांग लोगों को सुविधाएं प्रदान करे. वह अपनी कला को भी बढ़ावा चाहते हैं.