धू अल हिज्जा का चांद नजर आया: 5 जून को अराफात का दिन, 6 जून को ईद अल अज़हा
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मुस्लिम नाउ ब्यूरो,अबू धाबी/रियाद/नई दिल्ली
दुनियाभर के मुसलमानों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण इस्लामी पर्व ईद अल अज़हा (Eid al-Adha 2025) की तारीख की आधिकारिक घोषणा हो चुकी है। संयुक्त अरब अमीरात (UAE), सऊदी अरब, कतर, इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों ने इस्लामी महीने धू अल हिज्जा 1446 हिजरी के चांद के दीदार के बाद पुष्टि कर दी है कि शुक्रवार, 6 जून 2025 को ईद अल अज़हा मनाई जाएगी। वहीं, पाकिस्तान, भारत, मलेशिया और बांग्लादेश जैसे देशों में चाँद एक दिन बाद दिखने के कारण वहाँ यह पर्व 7 जून को मनाया जाएगा।
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🌙 धू अल हिज्जा की शुरुआत और ईद की तिथि
यूएई के राष्ट्रपति न्यायालय ने घोषणा की है कि हिजरी वर्ष 1446 के लिए धू अल हिज्जा का पहला दिन बुधवार, 28 मई 2025 को होगा। इसके अनुसार, इस्लामी कैलेंडर के बारहवें महीने की दसवीं तारीख, यानी 6 जून, ईद अल अज़हा का दिन होगा। यह घोषणा मंगलवार रात को अर्धचंद्र के दीदार के बाद की गई।
सऊदी अरब की सुप्रीम कोर्ट और खगोलशास्त्र विभाग ने भी यही घोषणा करते हुए बताया कि अराफात का दिन, यानी हज का सबसे पवित्र चरण, 5 जून को होगा, जबकि तीर्थयात्रियों का मिना (Mina) में एकत्र होना 4 जून से शुरू हो जाएगा।
🕋 हज यात्रा 2025: चरणबद्ध शुरुआत
हज इस्लाम का पांचवां स्तंभ है, और यह हर सक्षम मुस्लिम पर जीवन में एक बार फर्ज है। इस बार की हज यात्रा भी चांद दिखने के साथ ही चरणबद्ध तरीके से शुरू हो रही है:
- 4 जून 2025: हाजी मक्का से मिना की ओर प्रस्थान करेंगे।
- 5 जून 2025: अराफात दिवस – हज का सबसे पवित्र दिन।
- 6 जून 2025: ईद अल अज़हा – कुर्बानी और खुशी का दिन।
अराफात दिवस पर माउंट अराफात और उसके मैदान में लाखों तीर्थयात्री एकत्र होकर नमाज़ अदा करेंगे, जहां से पैगम्बर मुहम्मद (ﷺ) ने अपने जीवन का अंतिम ऐतिहासिक उपदेश दिया था। यह दिन केवल हाजियों के लिए ही नहीं, बल्कि दुनिया भर के मुसलमानों के लिए उपवास और आत्मनिरीक्षण का दिन माना जाता है।
🕌 ईद अल अज़हा का महत्व: कुर्बानी की परंपरा
ईद अल अज़हा को “कुर्बानी का पर्व” भी कहा जाता है। यह पैगंबर इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) की उस ऐतिहासिक परीक्षा की स्मृति में मनाया जाता है, जिसमें उन्होंने अल्लाह के आदेश पर अपने बेटे इस्माईल (अलैहिस्सलाम) की कुर्बानी देने का संकल्प लिया था। अल्लाह ने उनकी सच्ची भक्ति देखकर उनके बेटे के स्थान पर एक जानवर भेज दिया और तभी से इस दिन जानवर की कुर्बानी की परंपरा शुरू हुई।
यह दिन केवल बलिदान का नहीं, बल्कि आत्मसमर्पण, समाजसेवा, और साझेदारी का प्रतीक है। मुसलमान इस दिन मस्जिदों में नमाज़ अदा करते हैं, कुर्बानी करते हैं और उसका मांस गरीबों, रिश्तेदारों और अपने परिवार में बांटते हैं।
🌍 कहाँ कब मनाई जाएगी ईद अल अज़हा?
6 जून को ईद मनाने वाले देश:
- यूएई: चाँद के दीदार के बाद 6 जून को ईद घोषित।
- सऊदी अरब: सुप्रीम कोर्ट ने पुष्टि की, अराफात दिवस 5 जून, ईद 6 जून।
- कतर, ओमान, बहरीन, कुवैत: खाड़ी देशों में एकरूपता।
- इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया: आधिकारिक तौर पर 6 जून की पुष्टि।
7 जून को ईद मनाने वाले देश:
- भारत: विभिन्न क्षेत्रों में चाँद 29 मई को दिखने की संभावना, ईद 7 जून को।
- पाकिस्तान: रुएत-ए-हिलाल कमेटी ने चाँद न दिखने की घोषणा की, ईद 7 जून।
- मलेशिया और ब्रुनेई: खगोलशास्त्रीय गणना के आधार पर 7 जून को ईद।
- बांग्लादेश: सरकार की ओर से पुष्टि का इंतजार, लेकिन चंद्रमा की स्थिति के अनुसार 7 जून संभावित।
🏖️ सरकारी छुट्टियाँ और उत्सव
यूएई और सऊदी अरब समेत कई खाड़ी देशों ने ईद अल अज़हा के अवसर पर सार्वजनिक और निजी क्षेत्र दोनों के लिए सप्ताह भर की छुट्टियों की घोषणा की है। बांग्लादेश में तो सरकारी कर्मचारी 5 जून से 14 जून तक 10 दिन की लंबी छुट्टी का आनंद लेंगे।
भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों में भी राज्य सरकारें और निजी संस्थान परंपरागत रूप से 2 से 3 दिन की छुट्टी की घोषणा करते हैं।
✨ ईद का संदेश: एकता, बलिदान और सेवा
ईद अल अज़हा का संदेश केवल धर्म तक सीमित नहीं, बल्कि यह समाज में एकता, सहानुभूति और सेवा का संदेश देता है। कुर्बानी के साथ-साथ यह पर्व अपने भीतर त्याग, परोपकार और आध्यात्मिक शुद्धता की भावना को समेटे हुए है।
इस अवसर पर राष्ट्रपति महामहिम शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान, प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम और अन्य शासकों ने सभी मुस्लिम देशों और वैश्विक समुदाय को शुभकामनाएं दी हैं। बयान में कहा गया, “हम अल्लाह से प्रार्थना करते हैं कि यह अवसर हमारे देश और समस्त मानवता के लिए शांति, समृद्धि और सौहार्द लाए।”
🔚 निष्कर्ष
भले ही चाँद देखने की परंपरा के चलते ईद की तारीखों में अंतर हो, लेकिन ईद अल अज़हा का सार—त्याग, भक्ति और इंसानियत की सेवा—संपूर्ण मुस्लिम जगत को एक सूत्र में बाँधता है। दुनिया के किसी भी कोने में क्यों न हों, इस दिन की नमाज़, कुर्बानी और दुआएँ एक साझा आध्यात्मिक अनुभव का निर्माण करती हैं।
इस ईद पर आइए हम सब मिलकर दुनिया को बेहतर बनाने की दिशा में एक छोटा सा योगदान दें—त्याग, प्रेम और सहयोग के साथ।
ईद मुबारक!