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दिलीप मंडल का यू-टर्न, आखिर क्या है वजह ?

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

मुसलमनांे के आरक्षण का विरोध और दलित-पिछड़ों की वकालत करने वाले  दिलीप मंडल सीएए के मामले में बार-बार यू-टर्न लेने के कारण अपने ही जाल में उलझते नजर आ रहे हैं.पहले दिलीप मंडल सीएए के मुखर विरोधी रहे. सोशल मीडिया पर इसे लेकर नाना प्रकार के तर्क दिया करते थे. डिबेट में शामिल हुआ करते थे. मगर इन दिनों इनका हृदय परिवर्तन हो गया है. इनकी पहचान अब बीजेपी की नीतियों के समर्थक के तौर पर होने लगी है.

यहां तक कि सीएए का विरोध करने वाले दिलीप मंडल ने अचानक यू-टर्न ले लिया है. अब अंधभक्तों के से भी ज्यादा इसे जायज और सही ठहरा रहे हैं. इस बारे में दलील दी जा रही है कि इससे पड़ोसी देशों में रहने वाले दलितों को लाभ मिलेगा. जबकि इनके पुराने वीडियो में ही बताया गया है कि पड़ोसी मुल्कों में बहुसंख्यकों से ज्यादा वहां के हिंदू दलितांे पर अत्याचार करते हैं.

दिलीप मंडल की जब पोल-पट्टी पत्रकार अलीशान जाफरी ने खोली तो, अब ये जनाब अपने पुराने वीडियो की सफाई में नए दलील के साथ सामने आए हैं. कोई उनसे पूछे कि अचानक उनकी पुरानी नीति, नई नीति के सामने क्यों मात खा रही है ?

दरअसल, दिलीप मंडल का कसूर नहीं है. चुनाव के नजदीक आते ही शेहला रशीद, दिलीप मंडल सरीखे लोगों के अचानक ‘ज्ञान चक्षु’ खुल गए हैं. इसके पीछे क्या राज है, यह तो वही लोग बताएंगे. वैसे, कहने को तो दिलीप मंडल कई मीडिया हाउस में संपादक रहे हैं, पर उनकी पत्रकारिता कैसी रहेगी इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि जब कोई जज या सेना अधिकारी सेवानिवृत्ति के बाद किसी राजनीतिक दल का दामन थामता है तो उसकी कार्यप्रणाली और उसकीे पेशे के प्रति निष्पक्ष को लेकर सवाल उठाए जाते हैं.

इसी तराजू में अब दिलीप मंडल को भी तौल सकते हैं. बहरहाल, दिलीप मंडल ने अपना नया वीडियो जारी कर एक्स पर संदेश दिया है-‘इस वीडियो में मैंने इस सवाल का जवाब दे दिया है कि मैंने सीएए.एनआरसी का विरोध क्यों किया था और मैं सीएए का समर्थन क्यों करता हूं. जरूर देखिएण्’’ इसके बाद अंदाजा लगाए इनकी ईमानदारी के स्तर का.