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वक्फ संशोधन विधेयक पर मुस्लिम समुदाय में असंतोष तेज़, पूर्व CEC एस.वाई. कुरैशी हुए मुखर

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

वक़्फ़ संशोधन विधेयक जैसे ही दोनों सदनों में पारित हुआ, मुसलमान न सिर्फ इसके खिलाफ गोलबंद होने लगे हैं, बल्कि मुखर रूप से अपनी आवाज भी उठा रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि जिस विधेयक को पसमांदा मुसलमानों के कल्याण के नाम पर लाया गया था, उसका समर्थन करने वाली पार्टी जनता दल यूनाइटेड से पहला इस्तीफा एक अंसारी नेता ने दिया। गौरतलब है कि अंसारी बिरादरी को आमतौर पर पसमांदा वर्ग में शामिल किया जाता है और इन्हीं के कल्याण के नाम पर यह विधेयक लाया गया था।

अब, पहली बार पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस.वाई. कुरैशी ने भी इस विधेयक के प्रति अपनी असहमति जाहिर की है। हालांकि उन्होंने इसे सीधे तौर पर कहने के बजाय, चर्चित वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार के बयान को अपने आधिकारिक एक्स (पूर्व ट्विटर) हैंडल पर साझा किया है।

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रवीश कुमार ने लिखा:

“इस भारत में मुसलमानों को नमाज़ पढ़ने के लिए अपमानित किया जाता है, गाय के नाम पर उनकी हत्या की जाती है, शाकाहार के नाम पर उनकी दुकानों का बहिष्कार किया जाता है, उनकी पहचान के कारण उन्हें किराये के मकान नहीं मिलते, उनके घरों पर बुलडोज़र चलाया जाता है… और यह सरकार चाहती है कि हम मान लें कि वह मुसलमानों के कल्याण के लिए यह विधेयक लेकर आई है।”

एस.वाई. कुरैशी द्वारा साझा किया गया यह पोस्ट तेज़ी से वायरल हो रहा है और सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से साझा किया जा रहा है। उन्होंने बिना सीधे शब्दों में कुछ कहे, विधेयक और इसके समर्थकों की मंशा पर संदेह जाहिर कर दिया है।

इससे पहले, दिल्ली के पूर्व उप-राज्यपाल नजीब जंग भी एनडीटीवी छोड़कर रेड माइक यूट्यूब चैनल चला रहे पत्रकार संकेत उपाध्याय से बातचीत में सरकार की नीतियों को लेकर अपनी नाखुशी ज़ाहिर कर चुके हैं।

गौरतलब है कि नजीब जंग, एस.वाई. कुरैशी, जमीरुद्दीन शाह, शाहिद सिद्दीकी और उद्योगपति शेरवानी जैसे प्रमुख मुस्लिम चेहरे, मुसलमानों के खिलाफ चल रहे अभियानों को शांत करने के लिए आरएसएस नेताओं के साथ संवाद की कोशिशें कर रहे थे। हालांकि, जब दूसरी ओर से कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं मिली, तो इन सभी ने खुद को उस प्रक्रिया से अलग कर लिया।

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