भारत में मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव: क्या यह देश की प्रगति में बाधक है?
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मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली
भारत की गंगा-जमुनी तहज़ीब हमेशा से सामाजिक सौहार्द और भाईचारे की मिसाल रही है। लेकिन हाल के वर्षों में कुछ खास तबकों द्वारा मुसलमानों के खिलाफ बढ़ते भेदभाव और सांप्रदायिक नफरत ने देश के सामाजिक ताने-बाने को चुनौती दी है। मकान किराए पर लेने से लेकर सरकारी नीतियों तक, ऐसा लगता है कि मुसलमानों को अलग-थलग करने की एक संगठित रणनीति अपनाई जा रही है।
रहने का अधिकार: मुसलमानों के साथ दोहरा मापदंड क्यों?
दिल्ली-एनसीआर में एक मुस्लिम पत्रकार को महज़ अपने धर्म के कारण किराए का मकान पाने में कठिनाई हुई। मकान मालिकों को यह चिंता थी कि वह “क्या खाएगा”। जबकि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, जहाँ हर नागरिक को अपनी पसंद का भोजन करने और कहीं भी बसने का अधिकार है।
यह समस्या सिर्फ दिल्ली या उत्तर भारत तक सीमित नहीं है। मुंबई, देश की आर्थिक राजधानी में भी कई हाउसिंग सोसायटी मुसलमानों को मकान देने से इनकार कर देती हैं। यहाँ तक कि बॉलीवुड अभिनेता सैफ अली खान भी इस भेदभाव का शिकार हो चुके हैं। यह विडंबना है कि एक राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेता, जो देश के लिए सम्मान लाया है, उसे भी धर्म के आधार पर भेदभाव झेलना पड़ा।
What an IRONY!
— BhikuMhatre (@MumbaichaDon) January 19, 2025
Saif Ali Khan who once complained about Housing Discrimination against Mu$£ims, was stabbed reportedly by an Illegal Bangladeshi Migrant Shariful Is£am Shehzad who used Hindu name 'Vijay Das' as a false identity.
Bangladeshis – 1
Liber@ls – 0 pic.twitter.com/iBz2x6bBmQ
मुसलमानों को बेदखल करने की राजनीति?
हाल के वर्षों में अवैध निर्माण हटाने के नाम पर बुलडोज़र अभियान चलाया गया है, लेकिन क्या यह सिर्फ अवैध निर्माण हटाने की कवायद थी या इसके पीछे कोई छिपा हुआ एजेंडा था?
- उत्तर प्रदेश, गुजरात और उत्तराखंड में बुलडोज़र से की गई कार्रवाइयाँ मुख्य रूप से मुस्लिम बहुल इलाकों में केंद्रित रहीं।
- मुंबई में झुग्गियों को हटाने की कार्रवाई को लेकर पूर्व कांग्रेसी नेता संजय निरुपम तक ने सवाल उठाए कि क्या यह मुसलमानों को बेदखल करने की साजिश है?
- गुजरात के एक शहर में एक कब्रिस्तान के पास स्थित मस्जिद और गरीब मुस्लिम परिवारों के घरों को ढहा दिया गया।
अगर यह कार्रवाई वास्तव में न्यायसंगत होती, तो सभी समुदायों के अवैध निर्माणों पर समान रूप से कार्रवाई होती। लेकिन ऐसा होता नहीं दिखता।
उत्तराखंड में नया भूमि कानून और कश्मीर में जनसंख्या असंतुलन की योजना
उत्तराखंड सरकार ने हाल ही में नए भूमि कानून के तहत यह नियम बना दिया कि कोई भी व्यक्ति धार्मिक संस्था चलाने के लिए आसानी से ज़मीन नहीं खरीद सकता। इसका प्रत्यक्ष प्रभाव छोटे मदरसों पर पड़ा। इसके लिए अब सैकड़ों कागजी प्रक्रियाओं से गुजरना होगा, जिससे मुस्लिम समुदाय में शिक्षा का प्रसार मुश्किल हो सकता है।
दूसरी ओर, कश्मीर में गैर-कश्मीरियों को बसाने के लिए नए कानून बनाए जा रहे हैं। सरकार का उद्देश्य बाहरी लोगों को यहाँ बसाकर मुस्लिम बहुलता को कम करना है। यह नीति सामाजिक समरसता के लिए एक खतरनाक संकेत है।
मुस्लिम इलाकों में भी मुस्लिम नहीं रह सकते?
— The Muslim Spaces (@TheMuslimSpaces) February 24, 2025
"मुंबई में 'हाउसिंग जिहाद' बड़े पैमाने पर हो रहा है। मुस्लिम बिल्डर मुस्लिम बहुल इलाकों में अवैध रूप से झुग्गी पुनर्वास योजना (SRA) में मुसलमानो को शामिल कर रहे हैं। इससे हिंदू अल्पसंख्यक बन रहे हैं, जबकि मुस्लिम बहुसंख्यक बन रहे हैं।" pic.twitter.com/SzlxjCHXzB
मुसलमानों के प्रति नफरत बनाम भारत की प्रगति
भारत अगर 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने की आकांक्षा रखता है, तो उसे हर नागरिक को समान अवसर देने होंगे।
- आर्थिक योगदान: भारत की अर्थव्यवस्था में मुसलमानों का योगदान भी किसी से कम नहीं है।
- बकरीद के दौरान लाखों किसानों को फायदा होता है, क्योंकि उनकी पशुपालन आधारित आजीविका इस त्योहार से जुड़ी है।
- चमड़ा उद्योग, बुनाई उद्योग और कारपेट इंडस्ट्री में मुसलमानों की भागीदारी महत्वपूर्ण है।
- मुसलमान भी करदाता हैं:
- क्या यह उचित है कि जो समुदाय टैक्स देता है, वही अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहा हो?
- देश का हर नागरिक, चाहे वह किसी भी धर्म का हो, समान अवसर और अधिकारों का हकदार है।
- अंतरराष्ट्रीय छवि:
- भारत की छवि विविधता और सहिष्णुता के कारण वैश्विक स्तर पर मज़बूत रही है। लेकिन अगर भेदभाव और बहुसंख्यकवादी राजनीति को बढ़ावा दिया जाता रहा, तो यह छवि प्रभावित होगी।
समाप्ति: सांप्रदायिक विभाजन से आगे बढ़ना ज़रूरी
मध्य प्रदेश: घर पर बुलडोजर चलाने के 4 साल बाद, मुस्लिम पार्षद बलात्कार के मामले में बरी!
— The Muslim Spaces (@TheMuslimSpaces) February 23, 2025
अदालत ने पाया कि महिला ने बलात्कार के आरोप इसलिए लगाए क्योंकि शफीक अंसारी की शिकायत के आधार पर उसका घर तोड़ दिया गया था!
अंसारी ने कहा: “मुझे इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि मैंने अपने इलाके… pic.twitter.com/u2gx7iSS1D
अगर भारत को वैश्विक महाशक्ति बनना है, तो उसे सांस्कृतिक युद्ध और धर्म के नाम पर भेदभाव की राजनीति से बचना होगा।
- हर भारतीय को समान अवसर मिलना चाहिए—न रोजगार में, न आवास में, न शिक्षा में कोई भेदभाव होना चाहिए।
- यदि किसी समुदाय को हाशिए पर रखा जाएगा, तो यह देश की आर्थिक और सामाजिक प्रगति को धीमा करेगा।
- मुसलमानों को बेदखल करने, हाशिए पर धकेलने या उनके अधिकारों को कुचलने की मानसिकता से कोई लाभ नहीं होगा। बल्कि इससे देश के सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचेगा।
अगर हम चाहते हैं कि भारत “सोने की चिड़िया” बने, तो हमें सबको साथ लेकर चलना होगा, न कि किसी एक समुदाय को दबाने की नीति अपनानी होगी।
आप इस विषय पर क्या सोचते हैं? क्या भारत को भेदभावमुक्त समाज की दिशा में बढ़ना चाहिए? अपनी राय कमेंट में दें!