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2024 के लोकसभा चुनावों के लिए मुसलमानों  को पटाने के लिए भाजपा और आरएसएस का बड़ा गेम प्लान, 65 मुस्लिम बहुल निर्वाचन क्षेत्रों में ‘मोदी मित्र’ अभियान

मुस्लिम नाउ ब्यूरो , नई दिल्ली

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की तरह ही लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के पक्ष में   मुसलमानों की वोटिंग कराने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने बड़ा गेम प्लान तैयार किया है. तीन तलाक, अनुच्छेद 370, हिजाब, एनआरसी, मथुरा, वाराणसी जैसे मुद्दों पर मुस्लिम विरोधी रूख अपनाने से खफा इस वर्ग को अब अपने पक्ष में लाने के लिए भाजपा ने व्यापक इंतजाम किया है. इसके लिए पार्टी और आरएसएस ने अपने-अपने मुस्लिम विंग को आगे किया है.‘मुस्लिम वोट बैंक’ पर निशाना साधने और
2024 के लोकसभा चुनाव से पहले देश की मुस्लिम बिरादरी को अपने करीब लाने के लिए भाजपा 20 अप्रैल से फरवरी 2024 तक विशेष ‘मोदी मित्र’ कार्यक्रम शुरू करने जा रही है.

इसके लिए पार्टी ने उन 65 मुस्लिम बहुल लोकसभा सीटों की पहचान की है जहां मुस्लिम आबादी 30 फीसदी से ज्यादा है. भाजपा का अल्पसंख्यक मोर्चा इस अभियान की शुरुआत ईद के बाद करेगा.

भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी के अनुसार, 20 अप्रैल से फरवरी 2024 तक मुस्लिम जुड़ाव कार्यक्रम ‘मोदी मित्र’ शुरू कर रहे हैं. इसके लिए, हमने देश भर में 65 लोकसभा सीटों की पहचान की है, जहां मुस्लिम आबादी 30 प्रतिशत से अधिक है. इस आउटरीच अभियान के तहत, हमारा लक्ष्य वे मुसलमान हैं जो किसी भी राजनीतिक दल से संबंधित नहीं हैं और पीएम मोदी की योजनाओं से प्रभावित हैं.’’
ऐसा ही अभियान बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में विशेष तौर से पश्चिमी उत्तर प्रदेश और पिछड़े मुस्लिम बहुल इलाके में चलाया था.

जमाल सिद्दीकी के अनुसार, हमारा मानना है कि प्रत्येक लक्षित लोकसभा सीट में कम से कम 5,000-10,000 लोग हैं. हम उनसे बात करेंगे और उनका फीडबैक लेंगे कि कैसे सरकारी योजनाओं ने उनकी मदद की और सुधार करने के लिए उनके लिए और क्या किया जा सकता है. अगले साल फरवरी में उन सभी के पीएम मोदी से संवाद’ की भी कराया जाएगा.

इस अभियान के तहत भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा इन सभी लोकसभा सीटों पर अलग-अलग कार्यक्रम चलाएगा. डोर-टू-डोर अभियान से लेकर सोशल मीडिया के उपयोग, छोटे सेमिनार, विज्ञापन अभियान आदि तक. इस दौरान पार्टी मुस्लिम समुदाय के लिए मोदी सरकार के कल्याणकारी कार्यों का प्रदर्शन करेगी.

बीजेपी सभी क्षेत्रों के लोगों तक पहुंचने की योजना बना रही है. चाहे वह डॉक्टर, इंजीनियर, सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार, प्रोफेसर आदि हों. दूसरे शब्दों में, ये लोग राजनीतिक कार्यकर्ता नहीं होंग,े बल्कि समाज को प्रभावित करने की शक्ति रखते होंगे. भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रमुख ने कहा कि उन्हें पार्टी से जोड़ने के लिए उन्हें मोदी मित्र बनाया जाएगा ताकि मुसलमानों के बीच मोदी सरकार का संदेश और नीतियां बेहतर तरीके से पहुंचाई जा सकें.

उन्हांेने कहा कि देश में मुसलमानों की आबादी 14 प्रतिशत है, जो राजनीतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है. नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद से बीजेपी मुसलमानों के बीच अपनी जगह बनाने की कोशिश में है, लेकिन मुसलमानों के दिल अभी तक पिघले नहीं हैं. बीजेपी अच्छी तरह जानती है कि अगर वह इस समुदाय से जुड़ती है, तो आगे की राह बहुत आसान होगी. इसलिए मुसलमानों के दिलों में जगह बनाने के लिए बीजेपी कई तरह से काम कर रही है.
देश भर की कुल 543 लोकसभा सीटों में से 80 सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम आबादी 20 फीसदी से ज्यादा है, जबकि 65 सीटों पर 30 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 80 में से 58 सीटों पर 20 फीसदी से ज्यादा वोट शेयर के साथ जीत दर्ज की थी. 22 सीटों पर उसे हार का मुंह देखना पड़ा था. जबकि, 17वीं लोकसभा में 27 सीटों पर मुस्लिम सांसद चुने गए थे.

इन 65 मुस्लिम बहुल लोकसभा सीटों में उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल की 13-13 सीटें शामिल की हैं. पांच सीटें जम्मू-कश्मीर से, चार बिहार से, छह-छह केरल और असम से, तीन-तीन मध्य प्रदेश से, दो-दो तेलंगाना और हरियाणा से और एक-एक सीट महाराष्ट्र और लक्षद्वीप से हैं. सिद्दीकी ने कहा कि इन सीटों पर भाजपा के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ा राष्ट्रीय मुस्लिम मंच मुसलमानों के साथ संवाद और संपर्क कर रहा है. माना जा रहा है कि एसवाई कुरैशी, शाहिद सिद्दीकी, मौलाना महमूद मदनी, जमीरूद्दीन शाह, नजीब जंग जैसे मुस्लिम बुद्धिजीवियों का आरएसएस से पींगे बढ़ाना और आरएसएस प्रमुख का मदरसों का भ्रमण दरअसल, इसी रणनीति का हिस्सा है.