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Dr Kafeel Khan जमानत मिलने पर लोग पूछ रहे कानून का दुरुपयोग करने वाले कब नपेंगे ?

राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत उत्तर प्रदेश के मथूरा जेल में बंद डॉक्टर कफील को आखिरकार जमानत मिल गई। लखनऊ हाई कोर्ट की इलाहाबाद बेंच ने जमानत देने के साथ उनपर लगा रासुका भी हटा दिया। अदालत के आदेश में कहा गया कि उनके जिस भाषण को भड़काउ की संज्ञा दी गई वह इसकी श्रेणी में नहीं आता। इस खबर के अदालत की दहलीज लांघते ही जहां उनके समर्थकों में खुशी की लहर है, वहीं देश भर से आवाजें उठने लगी हैं कि अनैतिक ढंग से रासुका जैसे सख्त कानून का दुरुपयोग करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए।

गौरतलब है कि तकरीबन छह महीने पहले डॉक्टर कफील को अलीगढ़ में संशोधित नागरिकता कानून यानी सीएए के विरोध प्रदर्शन में भाषण देने को लेकर गिरफ्तार किया गया था। बाद में उसी भाषण को आधार बनाकर उस समय उनपर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत मुकदमा दर्ज किया गया जब वह मथुरा जेल से जमानत पर छूटने वाले थे। तब से वह जेल में हैं। उनकी जमानत को लेकर उनके परिजनों के साथ कई सामाजिक संगठन भी निरंतर सक्रिय रहे। कोर्ट में कफील की जमानत व उनपर से रासुका हटाने के तईं कई अर्जियाँ दी गईं। बावजूद तमाम प्रयासों के उन्हें जमानत देने एवं केस की सुनवाई को लेकर तारीख़े टलती रहीं। मगर पहली सितंबर की सुबह इलाहाबाद बेंच द्वारा उनकी जमानत न केवल मंज़ूर कर ली गई, उनपर लगा रासुका हटाने तथा उनके भाषण को रासुका के दायरे से बाहर करने का भी आदेश दिया गया। इसके कुछ देर बाद ही दिल्ली दंगे के आरोप में बंद सामाजिक संस्था पिंजड़ा तोड़ की देवांगना कलिका को भी दिल्ली हाई कोर्ट से जमानत मिलने की सुखद खबर आई। उनके चाहने वाले एवं समर्थक उनकी जमानत से बेहद प्रसन्न हैं। हालांकि मीरान हैदर, गुल फिशां, आसिफ तनहा, ख़ालिद सैफी, शिफाउर्रहमान, शरजील इमाम, शरजील उस्मानी जैसे कई और लोग सीएए विरोध प्रदर्शन व दिल्ली दंगे के आरोप में अभी भी जेल में बंद हैं। इंडियन मुस्लिम ट्वीटर हैंडल से उनके नाम गिनाते हुए कहा गया कि हमें उन्हें नहीं भूलना चाहिए।

हौसला तोड़ने की सरकारी षड़यंत्र

देश का एक तबका मानता है कि सरकार अपनी नाकामियों एवं नाइंसाफियों के विरोध में होने वाले आंदोलनों को दबाने के लिए कानून का दुरुपयोग कर रही है। आरोप है कि मौजूद केंद्र एवं कई राज्य सरकारों ने शाह बानो केस के बाद मुसलमानों के सीएए के विरोध में दूसरे बड़े आंदोलन को कुचलने एवं आंदोलनकारियों का हौसला पस्त करने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून एवं आतंकवाद निरोधी कानून का बेजा इस्तेमाल किया। यहां तक कि सड़कों पर पोस्टर लगाकर उन्हें जलील तक किया गया। उनपर लंबा चौड़ा जुर्माना ठोंका गया।

अधिकारियों पर कार्रवाई कब  

डॉक्टर कफील एवं देवांगना कलिका को अदालत से जमानत मिलने और उनपर लगा रासुका हटने के बाद से सरकारों के कानून के दुरुपयोग पर नई बहस शुरू हो गई है। लोग पूछ रहे कि जिनके इशारे पर अधिकारी किसी व्यक्ति पर ऐसे गंभीर आरोप लगा मुकदमा दर्ज कर उनकी जिंदगी बर्बाद कर रहे हैं क्या उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी ? उर्दू के चर्चित शायर इमरान प्रतापगढ़ी ने पूछा,‘‘ क्या इस देश में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून का दुरुपयोग करने वाले अधिकारियों पर भी कार्रवाई होगी ? इसकी जद में सिर्फ सत्ता विरोधी ही आते रहेंगे।’’

इसी तरह मुस्लिम आवाज़ ट्वीटर हैंडल से कहा गया,‘‘ यह पहली दफा नहीं हुआ, जब किसी बेगुनाह मुस्लिम को अरेस्ट किया गया और काफी दिनों तक जेल में रखने के बाद बाइज्जत बरी कर दिया गया। इस तरह की बेबुनियाद कार्रवाई और जिन्होंने याचिका दायर की है, उनपर जुर्माना लगेगा या जिंदगियां बर्बाद होती रहेंगी।’’

पूर्व केंद्रीय मंत्री मणिशंकर अय्यर ने डॉक्टर काफील की जमानत पर संतोष जताते हुए इसे मानवता एवं भारत की जीत बताया। सोशल मीडिया पर प्रितपाल सिंह पन्नू, कांग्रेस नेता नगमा, अंतरराष्ट्रीय मामलों के पत्रकार साकेत गोखले, डॉक्टर महिपाल सिंह राठौर, बरखा माथुर, अलिशा आदि सैकड़ों लोगों ने डॉक्टर कफील की रिहाई पर संतोष जताने के साथ कानून के दुरूपयोग पर प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से सवाल उठाए हैं।  

National Security Act : डॉक्टर कफील की रिहाई को लेकर गोलबंदी

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संपादक