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डॉ. माही तलत सिद्दीकी ने उर्दू में लिख डाला राम चरित्र मानस ग्रन्थ

कोविड-19 की दूसरी लहर के कहर के दौरान लोगों का दिल महामारी से बैठा जा रहा है.वहीं , कानपुर नगर की डॉक्टरेट मुस्लिम महिला माही तलत सिद्दीकी की उर्दू में लिखी रामायण की ये पंक्तिया कि “हे राम तेरे नाम को हर नाम पुकारे, बंदा ये तेरा हर पल तेरी राह निहारे” मुस्लिम्स को सुख का अनुभव करा रही है.

माही के मुताबिक रामायण के इसी सार ने उनसे रामायण का उर्दू में अनुवाद कराया है . ये लाइने धरम से परे रहकर कोविड के कहर दौरान जिंदगियों को आपस में बचाने का काम भी कर रही है.

उनके मुताबिक उन्हें ख़ुशी भी है. इस बावत अब इस महिला का नाम सामने आया है.

कभी कपडा उद्योगों को लेकर पूरब के मैनचेस्टर के नाम से विख्यात कानपुर में एक मुस्लिम महिला ने सांप्रदायिक सौहार्द्र की बड़ी मिसाल पेश की है.

यहां की डॉ. माही तिलत सिद्दीकी ने उर्दू भाषा में रामायण का अनुवाद किया है. जहां देश के तमाम लोग धार्मिक पहलुओं पर ध्यान देते है . वहीं कानपुर में एक मुस्लिम महिला की उर्दू अनुवादित रामकथा ने इनको आईना दिखा रही है.

डॉ. माही तलत सिद्दीकी ने हिंदुओं के बड़े ग्रंथ रामायण को उर्दू में लिखा है. इस पावन काम में माही तलत को करीब डेढ़ वर्ष का समय लगा. उनकी यह मेहनत साकार होती दिख रही है, अब उर्दू में अनुवाद की हुई रामायण किताबों की दुकानों में उपलब्ध होने वाली है। वहीं , मुस्लिम्स भी इस उर्दू अनुवाद की रामायण को पढ़कर प्रेरणा ले रहे है .

डॉ. माही तलत सिद्दीकी का निवास कानपुर के प्रेम नगर क्षेत्र में है . उन्होंने बताया कि करीब दो वर्ष पहले कानपुर के शिवाला निवासी बद्री नारायण तिवारी ने उन्हें रामायण दी थी.

इसको पढऩे के बाद उन्होंने ने तय किया कि उर्दू में लिखेंगी और हिन्दू धर्म के साथ मुस्लिम लोगों को भी रामायण की सभी अच्छाई से अवगत कराएंगी.

रामायण अच्छी तरह से पढऩे के बाद रामायण को उर्दू में लिखने में माही को डेढ़ साल से ज्यादा का समय लगा. इस दौरान रामायण के एक-एक दोहे को डॉ. माही ने काफी करीने से अनुवाद किया , जिसका लब्बोलुआब ‘हे राम तेरे नाम को हर नाम पुकारे, बंदा ये तेरा हर पल तेरी राह निहारे है’ .

उनके मुताबिक क्योंकि इस बात का काफी ध्यान रखना पड़ा की मूल मतलब न बदल जाए. उर्दू में रामायण लिखने के बाद माही ने बताया कि सभी धर्मों के धार्मिक ग्रंथ की तरह रामायण भी एकता और भाईचारे का संदेश देती है.

उन्होंने कहा कि रामायण में आपसी संबंधों को बहुत खूबसूरती से उकेरा गया है। माही के मुताबिक रामायण का उर्दू में लिखने के बाद काफी तसल्ली और सुकून मिला. इसके साथ ही यह भी महसूस हुआ कि यह काम को भटकाव को कम करने का बड़ा जरिया भी बन गया है.

डॉ. माही तलत हिंदी साहित्य में एमए और डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त हैं. अब कानपुर के हलीम मुस्लिम डिग्री कॉलेज में पढ़ा रही है .अपनी इस रचना पर उन्होंने कहा कि समाज तथा देश के कुछ लोगों के लिए रामायण का उर्दू अनुवाद सुखदायी है . उनके द्वारा रामायण आपस में बैर करना नहीं सिखाता। सभी धर्मों के लोगों को आपस में प्यार और सद्भावना से रहना चाहिए और इसके लिए जरूरी है कि एक-दूसरे के धर्मों की भी इज्जत की जाए.

डॉ. माही ने कहा कि आगे भी वो अपनी कलम के माध्यम से आपसी सौहार्द्र कायम करने का काम करती रहेंगी. जिससे कि समाज, प्रदेश तथा देश के लोग इन महान ग्रंथों के कुछ अंशों को ही आत्मसात कर सकें.