Dr Noori Parveen ग़रीबों की मसीहा, इलाज के बदले लेती हैं मात्र 10 रुपये
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मां-बाप के मानव सेवा भाव से इतना प्रभावित हुईं कि खुद को कर दिया ग़रीबों को समर्पित. भविष्य की योजनाओं में भी खिदमत-ए-खल्क शामिल
- -आंध प्रदेश के शहर कडप्पा में इलाज है महँगा
- -निजी डाक्टर मरीजों से वसूलते हैं प्रति विजिट 200 रूपये
डाॅक्टरी धंधा बन चुका है. इलाज के नाम पर लूट-खसोट मचाने को माफिया गिरोह सक्रिय हैं. ऐसे में आंध्र प्रदेश की युवा डाक्टर नूरी परवीन इंसानियत की पैरोकार बनकर सामने आई हैं. कडप्पा जिले के एक निजी मेडिकल कॉलेज से मेडिकल ग्रेजुएशन यानी एमबीबीएस (MBBS) करने के बाद खुद को आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के इलाज के लिए समर्पित कर दिया. दिल-ओ-जान से उनकी सेवा में लगी हैं. बदले में मरीज से लेती हैं मात्र 10 रुपये.
आंध्र प्रदेश Andhr pradesh) के विजयवाड़ा के मध्यम वर्गीय परिवार से आने वाली डॉ परवीन ने योग्यता के आधार पर प्रतियोगी परीक्षा के जरिए मेडिकल काॅलेज में दाख़िला लिया. उनकी पढ़ाई पर परिवार वालों ने करोड़ो रूपये खर्च किए. नूरी ने अच्छे नंबर से मेडिकल कॉलेज की पढ़ाई पूरी की और ज़रूरतमंदों की सेवा में जुट गईं.
माता-पिता बने प्रेरणा स्रोत
डॉ परवीन कहती हैं-‘‘मैंने अपना क्लिनिक जानबूझकर कडप्पा के पिछड़े इलाके में खोला. यहां के लोग महंगे इलाज का खर्च नहीं उठा सकते.‘’ वह बताती हैं-“मैंने अपने माता-पिता को सूचना दिए बिना यहां क्लिनिक शुरू किया. जब उन्हें मेरे इस फैसले की जानकारी मिली और नाम मात्र फीस लेने का पता चला तो वे बेहद खुश हुए.” नूरी परवीन कहती हैं कि मानवता की सेवा और जरूरतमंदों की मदद की प्रेरणा उन्हें अपने माता-पिता से मिली. उनकी परवरिश ऐसे ही हुई. माता-पिता की समाज सेवा भावना से वह बहुत प्रभावित हैं. उनके माता-पिता ने तीन यतीम बच्चों को गोद लेकर उनकी तालीम की व्यवस्था कर उनके सामने मिसाल कायम की है.
ज़रूरतमंदों के लिए एनजीओ भी
डा. नूरी ओपीडी (OPD) में आने वाले मरीज से 10 रूपये लेती हैं, जबकि क्लिनिक में भर्ती मरीज से प्रतिदिन 50 रूपये. हर दिन लगभग 40 मरीजों का इलाज करती हैं. आंध प्रदेश के कडप्पा शहर में आम तौर से निजी क्लीनिक के डॉक्टर ओपीडी के मरीज से प्रति विजिट 150 से 200 रुपये लेते हैं. ऐसे में डाक्टर नूरी गरीबों और बेसहारा मरीजों के लिए आशा की किरण बनी हुई हैं. उनके प्रयासों ने उन्हें इलाके में चर्चित कर दिया है. लोगांे तक ज्यादा से ज्यादा मदद पहुंचा सकें, इस मकसद से डाक्टर नूरी परवीन दो सामाजिक संगठन भी चलाती हैं. एक संगठन ‘ प्रेरक स्वस्थ युवा भारत‘ बच्चों और युवाओं को शिक्षा और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने का काम करता है, जबकि अपने दादा की याद में गठित ‘नूर चैरिटेबल ट्रस्ट‘ के जरिए दूसरे सामाजिक कार्य करती हैं.
डाक्टर नूरी ने कोविड-19 के कारण लॉकडाउन में ग़रीबों और ज़रूरतमंदों की भरपूर मदद की. उनकी भविष्य की योजनाओं में मनोविज्ञान में पोस्ट ग्रेजुएशन और बहु-स्तरीय अस्पताल स्थापित करना शामिल है,ताकि लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करा सकंे.
इनपुटः गल्फ न्यूज़