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आंबेडकर के नाम पर राजनीति करने वालों पर बरसे डॉ. रतन लाल

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,नई दिल्ली

दिल्ली के हिंदू कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रतन लाल इन दिनों उन नेताओं पर तीखे वार कर रहे हैं, जो बाबासाहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर के नाम पर राजनीति करते हैं, लेकिन अपनी बातों और कार्यों से उनके विचारों के विपरीत जाते हैं, हालांकि, डॉ. रतन लाल इन नेताओं का नाम नहीं ले रहे हैं, लेकिन उनके बयानों में स्पष्ट संकेत इन नेताओं की ओर हैं, जिनमें दिल्ली के एक नामी पत्रकार और लेखक दिलीप मंडल भी शामिल हैं. डॉ. रतन लाल का कहना है कि ये लोग ‘‘तनखैया’’ हैं, जो खुद तो चुनाव नहीं लड़ सकते, लेकिन अपनी रोजी-रोटी के लिए संविधानवादियों को हराने के लिए ‘हिंदू राष्ट्र’ की वकालत कर रहे हैं.

डॉ. रतन लाल ने यह बयान गृह मंत्री अमित शाह के हालिया बयान के संदर्भ में दिया है, जिसमें शाह ने डॉ. आंबेडकर को लेकर कुछ विवादास्पद बातें कही थीं. डॉ. रतन लाल को शाह का यह बयान बहुत आपत्तिजनक लगा और उन्होंने इस पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) पर कई पोस्ट किए. इन पोस्टों में उन्होंने कहा कि गृह मंत्री ने डॉ. आंबेडकर के विचारों का गलत तरीके से प्रस्तुतिकरण किया और इससे संविधानवादियों की भावनाएँ आहत हुई हैं. डॉ. रतन लाल ने इस मुद्दे को लेकर कई किताबों का भी हवाला दिया और कहा कि शाह को इस संदर्भ में अपने बयान पर पुनर्विचार करना चाहिए.

आरएसएस और दलित नेताओं के संबंध पर तीखा हमला

डॉ. रतन लाल ने आरएसएस और दलित नेताओं के बीच बढ़ते रिश्तों पर भी कड़ा विरोध किया. उनका आरोप है कि आरएसएस कार्यकर्ता दलित बस्तियों में जाकर संविधान और डॉ. आंबेडकर के विचारों का प्रचार करते हैं, लेकिन असल में उनके माध्यम से मनुस्मृति और हिंदू धर्म के रुढ़िवादी विचारों का विस्तार कर रहे हैं. डॉ. रतन लाल ने कहा कि ऐसे लोग आंबेडकर को ‘‘परमपुज्य’’ बताते हैं, लेकिन उनकी विचारधारा से बिल्कुल विपरीत काम कर रहे हैं. उनके मुताबिक, आरएसएस और भाजपा के नेताओं ने डॉ. आंबेडकर के नाम का उपयोग केवल राजनीतिक लाभ के लिए किया है, जबकि उनका असल मकसद बाबासाहेब के विचारों को विकृत करना है.

बाबा साहेब की समाधि को लेकर फैलाई गई अफवाहों पर भी सवाल उठाए

इस मुद्दे पर डॉ. रतन लाल ने एक और गंभीर आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि बाबासाहेब आंबेडकर की समाधि को लेकर झूठ फैलाया जा रहा है. उनका आरोप है कि यह झूठ फैलाया जा रहा है कि डॉ. आंबेडकर की समाधि के लिए जमीन नहीं दी गई थी. डॉ. रतन लाल ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में यह भी कहा कि आरएसएस और भाजपा के पेड कर्मचारियों को बाबा साहेब के निजी सचिव नानकचंद रतू की किताब को पढ़ना चाहिए, जिसमें स्पष्ट रूप से बताया गया है कि बाबासाहेब की समाधि के लिए दिल्ली में जमीन नहीं दी गई थी. हालांकि, बाद में उनका शव मुंबई ले जाया गया और वहाँ उनकी समाधि बनाई गई. डॉ. रतन लाल ने यह भी कहा कि यह इतिहास का सबसे बड़ा झूठ है और उन्होंने इस विषय में तथ्यों को सामने रखते हुए लोगों को जागरूक करने की कोशिश की.

संविधान और आंबेडकर के प्रति सही निष्ठा का सवाल

डॉ. रतन लाल ने आंबेडकर के नाम पर राजनीति करने वालों की निष्ठा पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि यदि बाबासाहेब के प्रति इतनी श्रद्धा है, तो उनके नाम पर राजनीति करने वाले इस प्रकार के झूठ क्यों फैलाते हैं? डॉ. रतन लाल ने यह भी कहा कि संविधान के प्रति निष्ठा रखने वाले और बाबासाहेब के विचारों का सम्मान करने वाले लोग इस स्थिति को बर्दाश्त नहीं कर सकते. उन्होंने यह सवाल उठाया कि यदि बाबासाहेब के नाम पर राजनीति करने वालों की भावनाएँ आहत हो रही हैं, तो क्यों नहीं उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जाता?

समाज और राजनीति में बाबासाहेब की भूमिका पर ध्यान देने की आवश्यकता

डॉ. रतन लाल का यह बयान उस समय आया है जब देशभर में बाबासाहेब आंबेडकर के विचारों और उनकी संविधान-निर्माण प्रक्रिया को लेकर चर्चा तेज हो गई है. डॉ. रतन लाल ने इस मुद्दे पर गहरी चिंता जताते हुए कहा कि आज के नेताओं को बाबासाहेब के असल विचारों को समझने की जरूरत है, ताकि देश में समानता और न्याय की दिशा में सही कदम उठाए जा सकें. उनके अनुसार, बाबासाहेब ने अपनी पूरी जिंदगी संविधान और सामाजिक न्याय के लिए समर्पित कर दी, और आज के नेताओं को उनका सही सम्मान देना चाहिए.

डॉ. रतन लाल ने इस पूरे विवाद पर अपने विचार रखते हुए एक बार फिर से यह सिद्ध कर दिया कि उनका दृष्टिकोण डॉ. आंबेडकर के विचारों और संविधान के प्रति समर्पित है. उनका मानना है कि बाबासाहेब के विचारों की सही समझ और निष्ठा से ही समाज में सच्चे बदलाव की शुरुआत हो सकती है. उनके इस बयान से यह भी साफ हो गया कि वे संविधान और डॉ. आंबेडकर के विचारों के नाम पर राजनीति करने वाले नेताओं के दोगलेपन को बर्दाश्त नहीं कर सकते.