Muslim World

DRONE TECHNOLOGY तुर्की की छलांग, कोहराम मचाने पर अजरबैजान से समझौते को मजबूर हुआ अर्मीनिया

मलिक असगर हाशमी
इस्लामी देशों को लेकर मुगालता है कि आधुनिकता एवं तकनीक के मामले में उनकी तेल के कुंए और गगन चुंबी इमारतों तक ही जानकारी सीमित है. ऐसी सोंच रखने वाले यह जानकर अचंभित होंगे कि तमाम शक्तिशाली देशों को चुनौती देने वाला तुर्की ड्रोन तकनीक में सबसे आगे निकलने की होड़ में आ गया है. इसके बनाए दुनिया के सबसे खतर सैन्य ड्रोन बायरक्तार टीबी-2 ने अर्मीनिया में इतनी तबाही मचाई कि उसे ‘नागोर्नो-काराबाख’ के मुददे पर घुटने टेकने पड़े. तकरीबन डेढ. महीने चली लंबी लड़ाई के बाद इसी सप्ताह अर्मीनिया को अजरबैजान से समझौता करना पडा.

समझौते के मुताबिक, अजरबैजान के प्रभाव वाले काराबाख के इलाके उसके पास रहेंगे. हालांकि, अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलियेव, पूछने पर कि उनकी सरकार ने तुर्की से कितने ड्रोन खरीदे, यह कहकर जवाब टाल दिया कि ‘सुरक्षा के दृष्टि से इसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता.’’ बावजूद इसके यह जानकारी सार्वजनिक डोमेन में है कि इस वर्ष जनवरी में जब तुर्की-अजरबैजान के बीच बायरक्तार टीबी 2 का सौदा हुआ, तब यह खबर सुर्खियों थी. मानवरहित विमानों के अमेरिकी सैन्य विशेषज्ञ डेनियस गोटिंगर कहते हैं,‘‘तुर्की के ड्रोन बहुत ही घातक एवं मारक होते हैं. इस समय यह कई तरह के ड्रोन का निर्माण कर रहा है, जिसकी मांग तेजी से बढ़ रही है.’’ ड्रोन के डिजाइन, साॅफ्टवेयर के मामले में यह विश्व के पांच चोटी के देशों में शामिल हो चुका है. अर्मीनिया-अजरबैजान युद्ध के बाद तुर्की के ड्रोन कारोबार के छलांग मारने की उम्मीद बढ़ी है.

ड्रोन (Turkey) मामले में इसराइल एवं अमेरिका का वर्चस्व रहा है. तुर्की मानवरहित विमान यानी ड्रोन का अमेरिका एवं इसराइल का पुराना ग्राहक है. इस क्षेत्र में चीन की गिनती भी अव्वल देशों में होती है. हर देश की सेना में इसका इस्तेमाल बढ़ा है. इसकी सबसे बड़ी वजह है कि इसके जरिए शत्रु पर सीधा आक्रमण कर उसे भारी जान-माल का नुक्सान पहुंचाया जा सकता है, पर हमलावर का ज्यादा कुछ नहीं बिगड़ता. ज्यादा से ज्यादा ड्रोन मार गिराया जाता है.

तुर्की के पत्रकार एवं एविएशन विशेषज्ञ हैबरतुर्क बताते हैं,‘‘ उनका देश 1940 से सिविल एविएशन आर्गेनाइजेशन का सदस्य है. इस मामले में तुर्की ने काफी नुक्सान झेला है. दूसरे मुल्क में निर्मित ड्रोन जरूरत के समय कभी उड़ान नहीं भरते थे, तो कभी अपने ही देश पर गिर जाते थे. कुर्दों की पीकेके संगठन को तुर्की आतंकवादियो की जमात मानता है. ये लोग तुर्की के एक हिस्से को स्वतंत्र क्षेत्र घोषित करने की मांग कर रहे हैं. उन्हें निशाना बनाने के इरादे से तुर्की ने अमेरिका, इसराइल से ड्रोन की खरीदारी शुरू की थी. जब कारगर साबित नहीं हुए तो तुर्की ने विरोध किया. इसपर अमेरिका की कांग्रेस ने सेना में इस्तेमाल होने वाले प्रीडेटर व रीपर ड्रोन तुर्की को बेचने से मना कर दिया. उसके बाद तुर्की ने सन 2000 से ड्रोन विकसित करने पर काम शुरू किया. अमेरिकी सैन्य विशेषज्ञ गोटिंगर के अनुसार, ‘‘इसराइल एवं अमेरिका क्रमशः 1970 एवं 1980 से ड्रोन निर्माण कर रहे हैं.’’

तुर्की ड्रोन के कई देश दिवाने, आपरेशानों में हुआ इस्तेमाल

तुर्की की बायकार (Baykar) कंपनी में निर्मित ड्रोन के कई देश दिवाने हैं. सर्बिया, कतर, टूनीशिया, लीबिया-इसके खास खरीदार हैं. लीबिया अपने विद्रोही फौजी नेता खलीफा हफ्तार के लोगों पर बायरक्तार टीबी 2 एवं एनका-एस से हमले करता रहता है. इसका इस्तेमाल सीरिया, इराक में भी हुआ है. यह मिसाइल ले जाने वाला सबसे छोटा ड्रोन है. इससे बख्तरबंद टैंक तक उड़ाया जा सकता है. स्टाॅकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च के अनुसार चीन ने 2019 में 7.3 अरब डाॅलर का ड्रोन का कारोबार किया है, जबकि तुर्की ने 2.74 अरब डाॅलर का. स्टाॅकहोम का अनुमान है कि अगले तीन वर्षों में सबको पछाड़ते हुए तुर्की का ड्रोन कारोबार 10 अरब डाॅलर के पार पहुंच जाएगा. इसके अलावा कोई और इस्लामी देश नहीं जो सैन्य हथियारों के निर्माण, कारोबार एवं निर्यात में है. अन्य मुल्कांे में सर्वाधिक संपन्न माने जाने वाले खाड़ी देशों में मिसाइल तकनीक पर हाल मंे कार्यक्रम शुरू हुए हंै. बीबीसी की एक रिपोर्ट कहती है, ‘‘तुर्की के सबसे खतरनाक माने जाने वाले ड्रोन बायरक्तार टीबी 2 को लेकर पिछले वर्ष ब्रितानी अखतार ‘द गार्जियन’ ने दावा किया था कि यह हाॅर्नेट टाइप के मिसाइल लांचर का इस्तेमाल करता है, जिसे ब्रितानी कंपनी ईडीओ एमबीएम टेक्नाॅलोजी बनाती है. मगर इस दावे को तुर्की ने उसी वक्त खारिज कर दिया.

खतरनाक ड्रोन का परीक्षण
आपके लिए एक और हैरान करने वाली जानकारी है. तुर्की इस समय बायरक्तार टीबी 2 से भी अधिक खतरनाक ड्रोन विकसित करने में लगा है, जिसका नाम है ‘अक्संगर.’ इस वर्ष सितंबर में तुर्की एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज टीएआई में निर्मात होने वाले इस ड्रोन का परीक्षण किया था, जिसने 28 घंटे की उड़ान भरी. टीएआई के अनुसार, यह अपने साथ तुर्की में बने 12 घातक हथियार लेकर उड़ता रहा. ये बम बायरक्तार टीबी 2 द्वारा कैरी करने वाले बम से बड़े थे. इसमें लगे स्माॅर्ट माइक्रोन एम्युनेशन मिसाइलों का वजन 12 किलो था. उसकी मारक क्षमता 14 किलोमीटर तक है. उन्नत किस्म के ड्रोन विकसित करने में तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोआन ड्रोन निर्माण में विशेष रूचि लेते हैं. उनके प्रयासों से ही इसको लेकर निरंतर नए शोध हो रहे. सैन्य हथियारों के विशेषज्ञ बैराकटार बताते हैं, ’’तुर्की के ड्रोन सस्ते और अधिक उन्नत मॉडल, डिजाइन के होते हैं. तुर्की सेना अपने देश में निर्मित हथियारों से लैस 130 तरह के ड्रोन का इस्तेमाल करती है. तुर्की के निर्मित ड्रोन न केवल आवश्यकता के अनुसार विभिन्न आकारों में बनाए जाते हैं, बल्कि इसके जरिए आसमानी एवं जमीनी जासूसी भी की जा सकती है.


बायरक्तार टीबी 2 ड्रोन

  • ऊंचा और देर तक उड़ने वाला मानवरहित लड़ाकू
  • इसे दूर से नियंत्रित किया जा सकता है
  • आटोमेटिक उड़ान संचालन की सक्षम
    -वायु सेना मुख्यालय से ड्रोनों की निगरानी, नियंत्रण मुमकिन
  • ग्राउंड कंट्रोल एयरक्रू के जरिए
    -इसमें बड़े-बड़े पंखे लगे हैं

हम देख रहे हैं कि तुर्की विश्व का प्रमुख खिलाड़ी बनता जा रहा है.–
क्रिस कोल, निदेशक ड्रोन वार्स यूके, तुर्की के ड्रोन, हथियार

-हाल के वर्षों मे ड्रोन उद्योग विकसित किया है -इसके सशस्त्र बायरक्तार टीबी 2 एवं एनका-एस ड्रोन की काफी मांग है
–इसमें लगे ’स्मार्ट’ बम सटीक निशाने पर गिरते हैं
-तुर्की की रोकेटसन हथियार निर्माण कंपनी सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल बनाती है, जो 230 किलो मीटर तक मार कर सकती है

  • यह क्वाड-कॉप्टर नाम से सबसे छोटा पर घातक ड्रोन का निर्माण करता है

ड्रोन निर्माण में चीन

-पिछले कुछ वर्षों में इसने ड्रोन निर्माण में 14.30 प्रतिशत तक वृद्धि की है
-2019 में 7.3 अरब का ड्रोन का कारोबार किया
-अगले 10 वर्षों में इसके कारोबों में कई गुणा वृद्धि के संकेत हैं

ड्रोन निर्माण में तुर्की

-2000 में निर्माण शुरू किया
-2016 से निर्माण को विस्तार का प्रयास
-2019 मंे 2.74 अरब डाॅलर के हथियार बेचे
-2014-18 के बीच हथियारों की बिक्री 170 प्रतिशत तक बढ़ी
-2023 में ड्रोन का 10 अरब डाॅलर के कारोबार का अनुमान
स्रोतः स्टाकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट

नोटः वेबसाइट आपकी आवाज है। विकसित व विस्तार देने तथा आवाज की बुलंदी के लिए आर्थिक सहयोग दें। इससे संबंधित विवरण उपर में ‘मेन्यू’ के ’डोनेशन’ बटन पर क्लिक करते ही दिखने लगेगा।
संपादक