Education

शिक्षा सभी क्रांतियों की नींव है : बुखारी ज्ञान महोत्सव में बोले पद्मश्री सैयद इकबाल हसनैन

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,,कोंडोट्टी, केरल


पद्मश्री पुरस्कार विजेता और ख्यातिप्राप्त शिक्षाविद सैयद इकबाल हसनैन ने शुक्रवार को कहा कि शिक्षा सभी सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक क्रांतियों की नींव है। वे केरल के कोंडोट्टी में चल रहे ‘बुखारी ज्ञान महोत्सव’ के पांचवें संस्करण के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे।

अपने विचारोत्तेजक भाषण में उन्होंने कहा, “हर क्षेत्र में आलोचनात्मक सोच और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा देना समय की मांग है। जो लोग आलोचनात्मक ढंग से सोचने में सक्षम हैं, वही आधुनिक युग को सही मायनों में समझ सकते हैं और उससे सार्थक रूप से जुड़ सकते हैं।”

शिक्षा, चेतना और विचारों का संगम बना कोंडोट्टी

कोंडोट्टी स्थित बुखारी संस्थाओं द्वारा आयोजित यह त्रिदिवसीय बौद्धिक महोत्सव दक्षिण भारत के मुस्लिम समुदाय के बीच तेजी से एक ज्ञान-केंद्रित संवाद मंच के रूप में उभर रहा है। इस बार महोत्सव में देशभर से लगभग 200 प्रख्यात विद्वान भाग ले रहे हैं, जो 80 से अधिक सत्रों में अपने विचार साझा करेंगे। विषयों में धर्म, समाज, राजनीति, विज्ञान, साहित्य, संस्कृति और अंतरराष्ट्रीय मामलों से जुड़े गंभीर विमर्श शामिल हैं।

उद्घाटन सत्र में शामिल हुए कई प्रमुख नाम

महोत्सव के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता डॉ. हुसैन रंदाथानी ने की।
इस अवसर पर मंच पर उपस्थित गणमान्य अतिथियों में शामिल रहे:

  • अबू हनीफल फैजी थेनाला (महासचिव, बुखारी संस्थाएं)
  • सी.पी. शफीक बुखारी (क्यूरेटर, महोत्सव)
  • उबैदुल्ला सकाफी (राष्ट्रीय अध्यक्ष, एसएसएफ)
  • डॉ. अब्दुल लतीफ वी (संयोजक, बीकेएफ)
  • डॉ. फारूक बुखारी कोल्लम (राज्य सचिव, एसवाईएस)
  • साथ ही अन्य स्थानीय और क्षेत्रीय मुस्लिम समाजसेवी, विद्वान और नेतृत्वकर्ता उपस्थित रहे।

“गांधी, नेहरू और आज़ाद का पुनर्पाठ” : लोकतंत्र पर विशेष सत्र

महोत्सव के दौरान आयोजित एक विशेष सत्र “लोकतंत्र की रक्षा में गांधी, नेहरू और आज़ाद का पुनर्पाठ” में विपक्षी नेता वी.डी. सतीसन और प्रख्यात इस्लामी विद्वान मुहम्मदअली किनालूर ने भारतीय लोकतंत्र की जड़ों, सेक्युलरिज्म और मुस्लिम सहभागिता पर चर्चा की।

मुस्लिम समाज की ऐतिहासिक समझ पर भी विमर्श

इस अवसर पर सैयद इकबाल हसनैन ने अपनी चर्चित पुस्तक “Fault Lines in the Faith and Muslims in North India: Frozen in the Past” पर भी संवाद का नेतृत्व किया। उन्होंने कहा कि “मुस्लिम समाज को अतीत की जमी हुई संरचनाओं को तोड़कर, वर्तमान संदर्भ में नया सामाजिक-सांस्कृतिक विमर्श रचना होगा।”

बौद्धिक विविधता के मंच पर जुटे 200 विद्वान

महोत्सव के अन्य सत्रों में डॉ. शिहाबुद्दीन पी, डॉ. इब्राहीम सिद्दीकी, डॉ. पी.पी. अब्दुर्रज़क, डॉ. अब्बास पनाक्कल, नूरुद्दीन मुस्तफा नूरानी, पी.के. नवाज़, टी.ए. अली अकबर जैसे अनेक जाने-माने मुस्लिम शिक्षाविदों और समाज चिंतकों ने भाग लिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *