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देश निर्माण में मुसलमानों की भूमिका पर जोर: जमीयत अहले हदीस का दो दिवसीय सम्मेलन संपन्न

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,नई दिल्ली

दिल्ली के रामलीला मैदान में जमीयत अहले हदीस का दो दिवसीय सम्मेलन संपन्न हुआ. इस कार्यक्रम में देशभर से आए हजारों लोगों ने हिस्सा लिया. सम्मेलन में विशेष अतिथि के रूप में मस्जिद-ए-नबवी के इमाम डॉक्टर अब्दुल्लाह बिन अब्दुल रहमान अल बुऐजान ने शिरकत की.

उन्होंने मग़रिब और ईशा की नमाज़ की इमामत की और अपने संबोधन में इस्लाम की शिक्षा को शांति और मानवता का प्रतीक बताते हुए मुस्लिम समुदाय से इस्लाम की सही छवि पेश करने का आह्वान किया. उन्होंने देश के विकास, शांति और भाईचारे को बढ़ावा देने में योगदान देने की बात पर जोर दिया.

अंतरधार्मिक शांति और समझ का आह्वान

मौलाना मेराज रब्बानी ने अपने संबोधन में पैगंबर मुहम्मद (स.अ) के आदर्शों का उदाहरण देते हुए कहा कि मुसलमानों को भारत के प्रति सम्मान और सह-अस्तित्व का रवैया अपनाना चाहिए. उन्होंने समाज में शांति कायम रखने के लिए विभिन्न धर्मों के बीच समन्वय बनाने, मोहल्लों में शांति समितियां स्थापित करने और पुलिस के साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता बताई.

आतंकवाद के खिलाफ फतवा और इस्लाम का संदेश

ऑल इंडिया इमाम संगठन के अध्यक्ष उमैर इलियासी ने आतंकवाद के खिलाफ जमीयत द्वारा जारी फतवे की सराहना की. उन्होंने कहा कि इस्लाम निर्दोषों की रक्षा और शांति का समर्थन करता है, आतंकवाद इस्लाम का हिस्सा नहीं है। इसके साथ ही मौलाना जरजिस सिराजी ने इस्लाम को न्याय और इंसाफ का आधार बताते हुए कहा कि दुनिया में शांति तभी संभव है जब न्याय का पालन हो. उन्होंने फिलिस्तीन-इजरायल संघर्ष पर चिंता व्यक्त करते हुए पैगंबर मुहम्मद (स.अ) के बताए गए युद्ध के सिद्धांतों का पालन करने की बात कही.

शांति और सह-अस्तित्व का संदेश

सम्मेलन के अध्यक्ष मौलाना असगर अली इमाम महदी सल्फी ने इस्लाम को शांति और भाईचारे का धर्म बताया. उन्होंने कहा कि इस्लाम का इतिहास धार्मिक सहिष्णुता और मानवता का आदर करने का संदेश देता है. उन्होंने देश में सद्भाव और एकता को मजबूत करने का आह्वान किया.

धर्मगुरुओं का संदेश

जैन धर्मगुरु आचार्य विवेक मुनि ने मानवता के उत्थान में धर्म की भूमिका पर जोर दिया. बौद्ध धर्मगुरु आचार्य येशीपंत शुक्ल ने सभी धर्मों के अनुयायियों से मिलजुल कर शांति के प्रयास करने का आग्रह किया. वहीं सनातन धर्मगुरु आचार्य सुशील मणि ने धार्मिक मूल्यों के पालन को भारत को सशक्त और स्थिर बनाने के लिए आवश्यक बताया.

सम्मेलन का समापन

हरियाणा जमीयत ए अहले हदीस के अध्यक्ष डॉ. ईसा खान, जमात-ए-इस्लामी हिंद के अमीर इंजीनियर सैयद सआदतुल्लाह अल-हुसैनी, और विभिन्न राज्यों से आए अन्य धर्मगुरुओं ने भी सम्मेलन को संबोधित किया.. सम्मेलन का समापन जमीयत के अध्यक्ष मौलाना असगर सल्फी के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसमें उन्होंने शांति, सह-अस्तित्व और मानवता की स्थापना के लिए अपने संकल्प को दोहराया.

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