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गंगा-जमुनी तहज़ीब की रक्षा के लिए सभी को आना होगा साथ: इकरा हसन

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

दिल्ली में आयोजित एक सेमिनार में समाजवादी पार्टी की सांसद इकरा हसन ने हाल के राजनीतिक और सामाजिक माहौल पर विस्तार से अपनी बात रखी. उन्होंने संवाद और सौहार्द बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया. इकरा हसन ने कहा, “हमारे बीच नफरत का जो बीज बोया जा रहा है, वह कुछ लोगों की राजनीति का हिस्सा है. ऐसे समय में संवाद की पहल करनी होगी, न केवल अपने समुदाय के साथ बल्कि दूसरे समुदायों के साथ भी.”

यह सेमिनार आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के हालिया बयान के संदर्भ में आयोजित किया गया था. इकरा ने दो मुख्य मुद्दों पर काम करने की बात कही—बाहरी प्रतिनिधित्व और आंतरिक कमियों पर ध्यान देना.

उन्होंने कहा, “हमारा प्रतिनिधित्व, खासतौर पर राष्ट्रीय मीडिया में, बहुत खराब है. हमें अपनी कमियों को पहचानकर उन्हें दूर करने की जरूरत है. अगर हम बेहतर शिक्षा और मेहनत के साथ अपनी नई पीढ़ी को तैयार करें, तो हम अपनी स्थिति सुधार सकते हैं.”

चुनाव जीतने का अनुभव साझा किया

कैराना संसदीय क्षेत्र से जीत का अनुभव साझा करते हुए इकरा ने कहा, “इस क्षेत्र में केवल 30% मुस्लिम और 70% गैर-मुस्लिम हैं. मुझे बताया गया था कि चुनाव जीतने के लिए गैर-मुस्लिमों के डेढ़ लाख वोट हासिल करने होंगे. मैंने हर समुदाय तक पहुंचने की कोशिश की और इसमें सफल रही.

हमें यह समझना होगा कि हमारे बीच जो दीवारें खड़ी हुई हैं, वे दरअसल कृत्रिम हैं. संवाद और साझेदारी से इन्हें खत्म किया जा सकता है.”उन्होंने आगे कहा कि मीडिया और राजनीति में कुछ लोग जहर फैला रहे हैं.

“मुसलमानों को आगे बढ़ने से रोका जा रहा है, और वे खुद को इतना हीन महसूस करने लगते हैं कि यहूदी बस्तियों तक सिमट जाते हैं. हमें इस प्रवृत्ति को रोकना होगा और निर्भीक होकर देश में अपनी जगह बनानी होगी. हमें हर जगह अपनी उपस्थिति दर्ज करानी होगी जहां हम बेहतर प्रतिनिधित्व कर सकते हैं.”

सेमिनार में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के सांसद मनोज झा ने भी अपने विचार रखे. उन्होंने कहा, “मुसलमानों के बिना भारत की कल्पना नहीं की जा सकती. यह देश धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक है. अगर मुसलमान नहीं होंगे, तो यह देश पाकिस्तान बन जाएगा. भारत का भविष्य इसकी विविधता में है.”

मनोज झा ने मुसलमानों के प्रतिनिधित्व के बारे में भी बात की. उन्होंने बॉलीवुड का उदाहरण देते हुए कहा कि मुसलमानों की छवि फिल्मों में बदल गई है. “पिछले दशक में मुसलमानों को नकारात्मक रूप में दिखाया गया. यह एक सोची-समझी रणनीति है. लेकिन हमें इस प्रवृत्ति को रोकना होगा.”

सलमान खुर्शीद का संवाद पर जोर

कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने भी अपनी राय रखते हुए कहा कि मोहन भागवत के बयान में एक सकारात्मक संदेश है, लेकिन इसे जमीन पर लागू करना आसान नहीं है. उन्होंने कहा, “यह सुनना अच्छा लगता है कि हम एक हैं और एक रहेंगे, लेकिन सच्चाई यह है कि जमीन पर नफरत की राजनीति चल रही है. जो कुछ हुआ, उसे हम भूल सकते हैं, लेकिन शर्त यह है कि ऐसा दोबारा न हो.”

खुर्शीद ने दक्षिण अफ्रीका के अश्वेत नेता नेल्सन मंडेला का उदाहरण देते हुए कहा, “जब वे 25 साल जेल में रहने के बाद बाहर आए, तो उन्होंने किसी के खिलाफ एक शब्द भी नहीं कहा. हमें भी इसी भावना के साथ संवाद को बढ़ावा देना होगा.”

सेमिनार की महत्वपूर्ण बातें

सेमिनार में यह चर्चा प्रमुख रही कि संवाद और आपसी सहयोग से ही देश में शांति और समृद्धि लाई जा सकती है. वक्ताओं ने जोर दिया कि संवाद को जारी रखना चाहिए और हर समुदाय को अपनी भूमिका निभानी चाहिए.

इकरा हसन, मनोज झा और सलमान खुर्शीद ने मिलकर इस बात पर जोर दिया कि भारत की गंगा-जमुनी संस्कृति की रक्षा के लिए सभी समुदायों को मिलकर काम करना होगा.