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बड़े मीडिया चैनलों के नामचीन न्यूज एंकर ने विश्वसनीयता ‘खोई’, इंडिया का 14 एंकरों के बहिष्कार का ऐलान

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,मुंबई

मीडिया से निष्पक्षता की उम्मीद की जाती है. मगर देश के बड़े न्यूज चैनलों के कुछ एंकरांे ने विश्वसनीय खो दी है. वे ज्वलतं मुद्दों को उठाने, सरकार के सवाल पूछने के बजाए विपक्ष को ही घेरने में लगे रहते हैं. इससे फुर्सत मिलती है तो हिंदू-मुसलमान के नाम पर नया विवाद खड़ा करने का प्रयास करते हैं.

ऐसे ही एक विवाद के बाद विपक्षी दलांे के गठबंधन ने देश के बड़े न्यूज चैनल के 14 बड़े एंकरांे के बहिष्कार का ऐलान किया है.यूट्यूबर अजीत अंजुम की एक वीडियो रिपोर्ट के अनुसार, अल्पसंख्यकों एवं दलित-पिछड़ांे को स्वरोजगार उपलब्ध कराने की एक योजना को लेकर देश के नामचीन न्यूज चैनल आजतक के चर्चित एंकर सुधीर चैधरी ने न केवल भ्रामक समाचार फैलाने की कोशिश की. अकारण हिंदू-मुसलमानों में तनाव पैदा कराने का भी प्रयास किया. चैधरी की ही इस हरकत से गुस्साई कर्नाटक सरकार ने मुकदमा ठोक दिया है. इसके साथ ही ऐसा मिजाज रखने वाले एंकरों के बहिष्कार का भी ऐलान किया गया है. यानी उनके बुलावे पर इंडिया का कोई नेता उनके चैनल पर नहीं जाएगा.

जैसा कि भारत का विपक्षी गठबंधन 2024 की पहली छमाही में देश में होने वाले आम चुनावों की तैयारी कर रहा है, ब्लॉक ने एक सामूहिक निर्णय में 14 समाचार एंकरों के कार्यक्रमों और शो में अपने प्रतिनिधियों को नहीं भेजने का फैसला किया है.इस सूची में शामिल एंकरों पर अतीत में पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग और गलत सूचना फैलाने का आरोप लगाया गया है, जिनमें से कुछ पर मामला दर्ज किया गया है.इनमें नवीनतम हैं सुधीर चैधरी.

ब्लॉक की मीडिया समिति ने इन पत्रकारों के कार्यक्रमों का बहिष्कार करने और ऐसे चैनलों या प्लेटफार्मों पर उनके द्वारा आयोजित बहसों में अपने प्रतिनिधियों को नहीं भेजने का निर्णय लिया.

विपक्षी गुट की मीडिया समिति के एक बयान में कहा गया, 13 सितंबर, 2023 को अपनी बैठक में भारत समन्वय समिति द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार, भारतीय दल निम्नलिखित एंकरों के शो और कार्यक्रमों में अपने प्रतिनिधि नहीं भेजेंगे. ऐसे पत्रकारों के नाम सूचीबद्ध करें.

कार्रवाई को उचित ठहराते हुए, कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा, जो विपक्षी दलों की उस समिति का हिस्सा हैं, जिसने अपनी आभासी बैठक में निर्णय लिया, ने कहा कि कुछ चैनलों ने पिछले नौ वर्षों से नफरत का बाजार लगा रखा है.उन्होंने कहा कि भारत की पार्टियों ने इस नफरत से भरी कहानी को वैध नहीं बनाने का फैसला किया है, जो हमारे समाज को नुकसान पहुंचा रही है.

उन्होंने कहा, इस निर्णय के पीछे यही विचार है. उन्होंने कहा कि विपक्षी गुट ऐसी किसी भी कार्रवाई में भागीदार नहीं बनना चाहता जो समाज में नफरत फैलाती हो.खेड़ा ने कहा, हम किसी भी एंकर के विरोधी नहीं हैं, लेकिन हम ऐसे प्रयासों में भागीदार नहीं बनना चाहते है. उन्होंने कहा कि वे मीम बना सकते हैं या अपने नेताओं को निशाना बना सकते हैं लेकिन ऐसा माहौल नहीं बनाएंगे.

उन्होंने जोर देकर कहा, हम इस नफरत के बाजार में ग्राहक नहीं होंगे.उन्होंने कहा, हमने भारी मन से यह निर्णय लिया है और यह सूची जारी की है. हमें उम्मीद है कि ये एंकर कुछ आत्मनिरीक्षण करेंगे और कुछ सुधारात्मक कदम उठाएंग.केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने इस कदम की तुलना आपातकाल से की जिसने मीडिया अधिकारों पर अंकुश लगा दिया.

उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, भारत में नागरिक स्वतंत्रता में कटौती का एकमात्र उदाहरण हमने 1975 में आपातकाल के दौरान देखा है.सनातन धर्म के उन्मूलन के लिए खुले आह्वान, पत्रकारों के खिलाफ एफआईआर और मीडिया का बहिष्कार आपातकाल के उन काले वर्षों की राजनीति को दर्शाता है. आई.एन.डी.आई.एलायंस का असली चेहरा है.

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी विपक्षी गुट पर निशाना साधते हुए कहा कि यह कदम उनकी हताशा को दर्शाता है.राजस्थान के भीलवाड़ा में एक सार्वजनिक बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “हर दिन, कांग्रेस और उनके सहयोगियों के नेता कहते हैं कि वे सनातन धर्म को नष्ट कर देंगे और हिंदुओं का अपमान करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. अब तो उन्होंने पत्रकारों का बहिष्कार भी शुरू कर दिया है. मुकदमे दर्ज कर रहे हैं. चाहे चेन्नई हो या बंगाल, वे हताशा और घबराहट के कारण मामले दर्ज कर रहे हैं . साथ ही वे कह रहे हैं कि वे सनातन धर्म को मिटा देंगे.

बीजेपी के आईटी विभाग के प्रमुख अमित मालवीय ने भी एक्स से कहा, तो आई.एन.डी.आई अलायंस ने उन पत्रकारों की एक सूची जारी की है, जिन्होंने झुकने से भी इनकार कर दिया, जबकि विपक्ष उनसे रेंगने की उम्मीद कर रहा था. उन्हें इसे सम्मान के बैज के रूप में पहनना चाहिए. इस बीच, नेशनल यूनियन अॉफ जर्नलिस्ट्स (एनयूजे) ने बहिष्कार को लोकतंत्र पर हमला करार दिया.

एनयूजे ने भारतीय पार्टियों द्वारा कुछ पत्रकारों के बहिष्कार पर कड़ी आपत्ति जताई और इसकी निंदा करते हुए आरोप लगाया कि विपक्षी पार्टियों ने मीडिया का राजनीतिकरण किया है.इंटरनेशनल फेडरेशन अॉफ जर्नलिस्ट्स से जुड़े नेशनल यूनियन अॉफ जर्नलिस्ट्स के अध्यक्ष रास बिहारी ने एक बयान में कहा कि विपक्षी दलों का यह फैसला भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में मीडिया पर दमन का एक काला अध्याय है.

उन्होंने कहा, यह पूरी तरह से गलत और अस्वीकार्य है. उन्होंने कहा कि यह इन पार्टियों में लोकतांत्रिक मूल्यों की कमी को दर्शाता है.उन्होंने कहा, 26 दलों के विपक्षी गठबंधन ने बहिष्कार की इस कार्रवाई के माध्यम से लोकतंत्र को शर्मसार किया है. उन्होंने कहा कि वे लोकतंत्र के चैथे स्तंभ को कमजोर करने की साजिश कर रहे हैं.

पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती की बेटी और उनकी मीडिया सलाहकार इल्तिजा मुफ्ती ने कहा कि एंकरों के बहिष्कार का फैसला काफी समय पहले लिया गया.भारत गठबंधन का गोदी मीडिया के बहिष्कार का निर्णय है.हालांकि इस विषय प्रखर पत्रकार शिखर गुप्ता मानना है कि एंकर तो मोहरा मात्र हैं. असली काम तो उनके मालिक उनसे करवाते हैं. यानी बड़े फैसले लेने हों संस्थानों के मालिकों के विरूद्ध लिए जाने चाहिएं.

बहिष्कार किए गए एंकरों की सूचिः-

सूची इस प्रकार है

  • अदिति त्यागी
  • अमन चोपड़ा
  • अमीश देवगन
  • आनंद नरसिम्हन
  • अर्नब गोस्वामी
  • अशोक श्रीवास्तव
  • चित्रा त्रिपाठी
  • गौरव सावंत
  • नविका कुमार
  • प्राची पाराशर
  • रुबिका लियाकत
  • शिव अरूर
  • -सुधीर चैधरी
  • सुशांत सिन्हा