फतेहपुर : आज़ादी से पहले बनी ऐतिहासिक मस्जिद ज़मींदोज़, हाईकोर्ट में सुनवाई से पहले प्रशासन ने उठाया कदम
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मुस्लिम नाउ ब्यूरो,फतेहपुर
उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में एक ऐतिहासिक मस्जिद को सड़क चौड़ीकरण के नाम पर ज़मींदोज़ कर दिया गया. मस्जिद आज़ादी से पहले की थी और क्षेत्र में ऐतिहासिक महत्व रखती थी. मस्जिद को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में 13 दिसंबर को सुनवाई निर्धारित थी, उससे पहले ही प्रशासन ने भारी पुलिस बल की तैनाती के बीच इस कार्रवाई को अंजाम दिया.
प्रशासन की कार्रवाई पर उठे सवाल
मस्जिद को ढहाने के इस कदम ने स्थानीय लोगों में आक्रोश फैला दिया है. स्थानीय नागरिकों और मस्जिद कमेटी के सदस्यों का आरोप है कि यह कार्रवाई अदालत की प्रक्रिया का सीधा उल्लंघन और प्रशासन की दबंगई का उदाहरण है. मस्जिद से जुड़े एक व्यक्ति ने कहा, “जब मामला अदालत में लंबित था और सुनवाई की तारीख तय थी, तो इस तरह की जल्दबाज़ी क्यों की गई? यह न्याय प्रक्रिया और धार्मिक भावनाओं का अपमान है.”
हाईकोर्ट में मामला लंबित था
मस्जिद के मामले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसमें मस्जिद को संरक्षित करने की अपील की गई थी. याचिका में यह दलील दी गई थी कि मस्जिद एक ऐतिहासिक धरोहर है. इसका विध्वंस स्थानीय मुस्लिम समुदाय की धार्मिक भावनाओं को आहत करेगा. 13 दिसंबर को इस मामले पर सुनवाई होनी थी.
यूपी के फतेहपुर मे आज़ादी से पहले बनी मस्जिद को सड़क चौड़ीकरण के नाम पर ज़मींदोज़ कर दिया गया। मस्जिद के मामले में इलाहबाद हाईकोर्ट में 13 दिसंबर को सुनवाई होनी थी, लेकिन उससे पहले ही प्रशासन ने फोर्स लगाकर मस्जिद को ढहा दिया। यह सीधे सीधे दबंगई है! https://t.co/eDEspsTSjj
— Wasim Akram Tyagi (@WasimAkramTyagi) December 10, 2024
प्रशासन का तर्क
प्रशासन का दावा है कि मस्जिद सड़क चौड़ीकरण परियोजना में बाधा बन रही थी. अधिकारियों के अनुसार, मस्जिद के विध्वंस के लिए पहले ही कानूनी नोटिस जारी किया गया था. हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्हें पर्याप्त समय नहीं दिया गया. उनकी बातों को अनसुना कर दिया गया.
भारी पुलिस बल की तैनाती
कार्रवाई के दौरान इलाके में भारी पुलिस बल तैनात किया गया, ताकि किसी भी विरोध प्रदर्शन को रोका जा सके. इस दौरान प्रशासन ने मीडिया और स्थानीय लोगों को मस्जिद के आसपास जाने से भी रोक दिया.
विरोध प्रदर्शन की संभावना
मस्जिद को गिराए जाने के बाद स्थानीय समुदाय में भारी नाराजगी देखी जा रही है. कई सामाजिक और धार्मिक संगठनों ने इस कदम की कड़ी आलोचना की है. उन्होंने कहा है कि यह धार्मिक असहिष्णुता का उदाहरण है और वे इस मुद्दे को बड़े स्तर पर उठाएंगे.
सरकार और प्रशासन पर सवाल
यह घटना उस वक्त सामने आई है जब उत्तर प्रदेश सरकार धार्मिक स्थलों और ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करने की बात करती है. मस्जिद का विध्वंस प्रशासन की नीति और कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े करता है.
इस मामले में अब हाईकोर्ट में सुनवाई का इंतजार है, जहां प्रशासन की इस कार्रवाई को चुनौती दी जाएगी. प्रभावित समुदाय ने न्याय की उम्मीद जताई है और इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाने का निर्णय लिया है.
यह घटना फतेहपुर की सामाजिक और धार्मिक संरचना में तनाव को बढ़ा सकती है. देखना होगा कि अदालत और प्रशासन इस मामले में क्या रुख अपनाते हैं.