Animal : मुसलमानों को जानवर दिखाकर कमाया करोड़ों I Earned crores by showing Muslims as animals
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मुस्लिम नाउ विशेष
पता नहीं यह किसके इशारा पर हो रहा है. भारतीय फिल्मों में मुसलमानों को खूंखार अपराधी और आतंकवादी दिखाकर करोड़ा रूपये कमाने का चलन निकल पड़ा है. फिल्म ‘एनिमल’ तो इससे भी कई हाथ आगे निकल चुकी है.
संदीप रेड्डी वांगा द्वारा निर्देश ‘एनिमल’ में मुस्लिम किरदार को इतना वहशी दरिंदा दिखाया गया है कि एक ही झटके में कई की गर्द बड़ी बेरहमी से काट देता है. हद यह कि यह किरदार धर्मपरिवर्तन कर मुसलमान बन ऐसी हरकतें करता है. इसके आगे न कोई कानून है और न ही कानून का पालन कराने वाली पुलिस. फिल्मी दुनिया वाले कहते हैं कि सिनेमा जिंदगी का आइना होती है. यदि ऐसा है तो ‘एनिमल’ दुनिया के किस मुस्लिम किरदार पर आधारित है ? ऐसी कौन सी फैमली है जो अरबों में खेलते ही, पर झटके में खून की नदियां बहाने को तैयार है ?
अफसोसनाक बात यह है कि खूनखराबा को बढ़ावा देने वाली इस फिल्म पर सरकार कोई कार्रवाई करने को तैयार नहीं. क्या इसलिए कि इसमें मुसलमानों को एक बदतर किरदार में दिखाया गया है ?
अखबार का शाहरूख की फिल्मों से हास्यास्पद तुलना
नवभारत टाइम्स जैसा हिंदी का प्रतिष्ठित अखबार कमाई के बहाने पठान और जवान की तुलना ‘एनिमल’ से कर रहा है. अपने 10 दिसंबर 2023 के अंक में फख््िराया लिखता है-‘रणबीर की सफलता क्यों बड़ी है शाहरूख खान से ?’ इस रिपोर्ट में एनबीटी लिखता है, ‘‘रणबीर कपूर की हालिया रिलीज फिल्म एनिमल ने पहले 8 दिनांे देशभर में 359.32 करोड़ रूपये की कमाई की. जबकि पहले आठ दिनों में शाहरूख खान की जवान ने करीब 387 करोड़ रूपये कमाए थे.’
इसके बाद अखबार ने एनिमल को जवान और पठान से आला दिखाने के लिए पांच दलीलें पेश की हैं. मगर इस लेख को लिखने वाले प्रशांत जैन ने एक बार भी यह बताने की जहमत नहीं की कि शाहरूख खान की दोनों फिल्मों में खूंखार अपराधी को हीरो बनाकर करोड़ों कमाई नहीं की गई! वे फिल्म में देशभक्त बने जिनपर देशवासियों ने प्यार लुटाए.
एनिमल का होने लगा विरोध
हालांकि, एनिमल में जिस तरह की चरम हिंसा दिखाई गई है, वह दर्शकांे को भी नहीं भा रहा है. सोशल मीडिया पर अब इसकी प्रतिकिया आने लगी है. कांग्रेस की सांसद रंजीत रंजन ने इस मुददे को सदन में उठाया. बीबीसी की एक वीडियो रिपोर्ट के अनुसार, राज्यसभा में ‘एनिमल’ फिल्म का मुद्दा उठा. कांग्रेस सांसद रंजीत रंजन ने फिल्म में महिलाओं के साथ दिखाए गए व्यवहार की आलोचना की है.’’
द पंजाबी ठीकाना ने भी अपने एक्स हैंडल से एक वीडियो शेयर किया है, जिसमंे एक महिला दर्शक एनिमल फिल्म में दिखाई अपार हिंसा पर अपना रोष व्यक्त करती दिख रही है. ऐसे तमाम वीडियो सोशल मीडिया पर मिल जाएंगे जिसपर फिल्म में हिंसा दिखाए जाने का विरोध किया गया है.
फिल्मों में मुसलमानों को छवि बिगाड़ने का चलन
एनिमल कोई पहली फिल्म नहीं , जिसमें मुसलमानों को बदकिरदार बताया है. देशभक्ति के नाम पर जितनी भी फिल्में पिछले आठ-दस सालों मंे आई हैं, सब विलेन किरदार मुसलमान ही रहे. मुसलमानों को छवि बिगाड़ने को जान-बूझकर एक खास मुल्क पर ही आधारित फिल्में बनती हैं. चीन तो भारत का सबसे बड़ा दुश्मन है. वह हर स्तर पर भारत को नुक्सान पहुंचाने की फिराक मंे रहता है. बकौल राहुल गांधी, सैकड़ों मील भारत भूमि चीन ने कब्जा रखी हैं. हिंदुस्तानी फिल्में इसको लेकर क्यों नहीं बनती ? क्यों नहीं भारतीय हीरो बिजिंग में घुसकर ‘हैंडपंप’ उखाड़ लाता है ? कोई संता चीन के किसी शहर से किसी ’चाउमिंग’ को क्यों नहीं उठा लाता ? जाहिर है, ऐसा इसलिए नहीं दिखाया जाता क्यों इससे मुसलमानों की छवि खराब नहीं होती. पहले चीन विरोधी फिल्में भी बनती थीं और मुसलमानों को इतने बुरे किरदार भी नहीं दिखाया जाता था.
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मुस्लिम रहनुमा को नहीं है होश
आश्चर्य की बात है कि फिल्मों के माध्यम से मुसलमानों की छवि बिगाड़ने की इस साजिश पर मुस्लिम रहनुमा खामोश हैं. अब तक किसी बड़े मुस्लिम संगठन की ओर से इस बारे में सरकार या फिल्म सेंसर बोर्ड के समक्ष अपना विरोध दर्ज नहीं कराया गया है. इसके विपरीत यदि किसी फिल्म में किसी हिंदू देवी-देवता को लेकर थोड़ी भी विदास्पद बात कही जाए तो हिंदू संगठन और हिंदू समुदाय तुरंत उठ खड़े होते हंै. आंदोलनों के सिलसिले शुरू हो जाते हैं. मुस्लिम संगठनों को शायद अंदाजा नहीं कि फिल्मों एवं शोसल मीडिया के माध्यम से मुसलमानों की छवि बिगाड़ने का क्या-क्या दुष्प्रभाव हो रहा है ? यहां तक कि मुसलमानों को किसी गैर-मुस्लिम के यहां घर किराए में लेने में भी परेशानी आ रही है. मुसलमान कारीगरों से काम नहीं लिया जाए. सब्जी बेचने वाले मुस्लिम सब्जीफरोश से सब्जी नहीं खरीदी जाए, यह अभियान इसका ही परिणाम है.
जूनियर महमूद अब क्या कर रहे हैं ?
रणबीर कपूर की ‘एनिमल’ घटिया है, इसपर रोक लगे:मौलाना हसन अली राजाणी
इंडियन नेशनल लीग के गुजरात प्रांत के अध्यक्ष मौलाना हसन अली राजाणी ने कहा कि सरकार को भारतीय फिल्मों पर नियंत्रण रखना चाहिए. घर में बच्चों से लेकर बूढ़े तक उनकी नकल करने लगे हैं. इतना ही नहीं, वे फिल्मों को रोल मॉडल भी मानते हैं. इसके अलावा मौलाना ने कहा कि पहले फिल्में देखने के लिए लोग सिनेमाघरों का इस्तेमाल करते थे. अब सभी लोग घर पर एक साथ फिल्में देखते है.
उन्होंने अपने एक बयान में कहा, ‘‘फिल्मों में हीरो के मुंह से गालियां बहुत बुरी लगती हैं, इसलिए हमारे देश के फिल्म सेंसर बोर्ड को ऐसी फिल्मों को इजाजत नहीं देनी चाहिए, जिसमें हीरो गलत हरकतें करता है. इस वजह से हमारी बहन बेटियों को फिल्म देखते वक्त शरमाना पड़ता है. अगर फिल्म का हीरो चाहता है कि वह देश के लिए हीरो बना रहे और अपनी शान बरकरार रखे रहे तो फिल्मों में सुधार लाना जरूरी है.
मौलान ने बयान के अंत में कहा कि आज के माहौल में हमारे भाई बहनों के रोल मॉडल मौलाना नहीं, बल्कि फिल्मी हीरो बन गए हैं. इसलिए सरकार को मौलवी के दुर्व्यवहार आदि पर कोई कार्रवाई नहीं करनी चाहिए. क्योंकि मुल्ला मौलवी की तो कोई सुनता ही नहीं.
गुजरात प्रांत के इंडियन नेशनल लीग के अध्यक्ष मौलाना हसन अली राजाणी ने कहा, ‘‘ सरकार को भारतीय फिल्मों और विशेष रूप से रणबीर कपूर की नई फिल्म ‘एनिमल’ जो बहुत ही घटिया है,को नियंत्रित करने की आवश्यकता है. फिल्म एनिमल और अन्य इसी तरह की फिल्मों पर प्रतिबंध लगाया जाए.’’