ओमान में भारतीय स्कूलों के लिए वित्तीय स्थिरता बनी चुनौती: डॉ. शिवकुमार की बेबाक राय
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मुस्लिम नाउ ब्यूरो,मस्कट
भारतीय स्कूलों के निदेशक मंडल के निवर्तमान अध्यक्ष, डॉ. शिवकुमार मणिकम, ने अपने नेतृत्व कार्यकाल के दौरान आने वाली चुनौतियों और उपलब्धियों पर विस्तार से चर्चा की। उनके अनुसार, ओमान में दूरदराज के इलाकों में भारतीय स्कूलों के लिए वित्तीय स्थिरता एक बड़ी चुनौती बनी रहेगी। उन्होंने भारतीय स्कूलों के भविष्य, शिक्षा में तकनीकी प्रगति और ओमान में भारतीय प्रवासी समुदाय पर स्कूलों के प्रभाव पर अपने विचार साझा किए।
भारतीय स्कूलों की वर्तमान स्थिति
डॉ. शिवकुमार ने बताया कि जब उन्होंने अप्रैल 2021 में अध्यक्ष का पद संभाला, तब ओमान में भारतीय स्कूल कोविड-19 महामारी के प्रभावों से उबरने की कोशिश कर रहे थे। उनकी प्राथमिकता शैक्षणिक व्यवधानों को कम करना और वित्तीय संकट से जूझ रहे परिवारों की मदद करना था। इस संदर्भ में, भारतीय स्कूल वर्चुअल लर्निंग एनवायरनमेंट (ISOVLE) एक महत्वपूर्ण संसाधन साबित हुआ, जिसने छात्रों को ऑनलाइन शिक्षा जारी रखने में मदद की।
उन्होंने बताया कि ओमान में कुल 22 भारतीय स्कूल हैं, जहां लगभग 47,000 छात्र शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। इन स्कूलों की सफलता में शिक्षकों, अभिभावकों और समुदाय का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। ओमान सरकार और भारतीय दूतावास के सहयोग से, भारतीय स्कूलों ने महामारी के दौरान भी उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करना जारी रखा।
बोर्ड की प्रमुख उपलब्धियाँ
अपने कार्यकाल के दौरान, डॉ. शिवकुमार ने कई महत्वपूर्ण शैक्षणिक और सह-पाठयक्रम पहलों को लागू किया। इनमें से कुछ प्रमुख उपलब्धियाँ निम्नलिखित हैं:
- इंडियन स्कूल्स टैलेंट फेस्ट (ISTF) और इंडियन स्कूल्स फिल्म फेस्ट (ISFF) जैसे आयोजनों के माध्यम से छात्रों को अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर दिया गया।
- ISOVLE डिजिटल लर्निंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से छात्रों और शिक्षकों के लिए ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली को और मजबूत किया गया।
- करियर गाइडेंस और साइकोमेट्रिक आकलन जैसी पहल शुरू की गई, जिससे 10,000 से अधिक छात्रों को अपने करियर के चयन में सहायता मिली।
भारतीय स्कूलों के सामने प्रमुख चुनौतियाँ
डॉ. शिवकुमार के अनुसार, ओमान में भारतीय समुदाय की विविध आर्थिक आवश्यकताओं को पूरा करना एक बड़ी चुनौती थी। उन्होंने बताया कि:
- दूरदराज के इलाकों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए इंडियन स्कूल दुकम की स्थापना की गई, जिससे विभिन्न राष्ट्रीयताओं के छात्रों को शिक्षा का लाभ मिला।
- आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों की सहायता के लिए लचीली शुल्क भुगतान योजनाएँ लागू की गईं।
- भारतीय स्कूलों की वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए समुदाय और सरकार के सहयोग की आवश्यकता बनी हुई है।
शिक्षा में प्रौद्योगिकी की भूमिका
डॉ. शिवकुमार ने बताया कि आधुनिक तकनीक के बिना गुणवत्तापूर्ण शिक्षा अधूरी है। इस दिशा में भारतीय स्कूलों ने कई नवाचार किए, जैसे:
- ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म का विस्तार, जिससे दूरदराज के छात्रों तक शिक्षा पहुँचाई जा सके।
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधारित सीखने के उपकरणों को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया।
- शिक्षकों के लिए डिजिटल ट्रेनिंग वर्कशॉप आयोजित की गईं, ताकि वे आधुनिक शिक्षण तकनीकों से परिचित हो सकें।
ओमान में भारतीय स्कूलों का भविष्य
भविष्य को लेकर डॉ. शिवकुमार आशान्वित हैं लेकिन उन्होंने आगाह किया कि वित्तीय स्थिरता एक बड़ी चुनौती बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि:
- ओमान में भारतीय स्कूलों को निजी और सरकारी वित्तीय सहयोग की जरूरत होगी।
- शिक्षा क्षेत्र में अधिक नवाचार और तकनीकी समावेशन आवश्यक होगा।
- भारतीय स्कूलों को स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार रहना होगा।
काबिल ए गौर
डॉ. शिवकुमार मणिकम का कार्यकाल ओमान में भारतीय स्कूलों के लिए एक महत्वपूर्ण परिवर्तनकाल रहा है। उनकी नेतृत्व क्षमता, डिजिटल शिक्षा में सुधार और वित्तीय स्थिरता बनाए रखने की रणनीति ने भारतीय स्कूल प्रणाली को मजबूती प्रदान की है। हालाँकि, दूरदराज के इलाकों में वित्तीय चुनौतियाँ बनी रहेंगी, और इसके समाधान के लिए सामुदायिक और संस्थागत सहयोग आवश्यक होगा।
उनकी इस यात्रा से शिक्षा जगत को महत्वपूर्ण सबक मिले हैं कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और डिजिटल नवाचार मिलकर ही एक उज्जवल भविष्य की नींव रख सकते हैं।