ऋषि सुनक से पांच साल पहले भारतीय मूल की यह मुस्लिम महिला बनी थी सिंगापुर की राष्ट्रपति
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मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली
भारतीय मूल के ऋषि सुनक के ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनने पर उनके ‘हिंदू’ होने का ढिंढोरा पीटने वालों को शायाद पता नहीं कि इनसे पहले भी कई भारतीय मूल के लोग अलग-अलग देशों में शासन कर चुके हैं. उनमें से एक हैं हलीमा बिन्त याकूब. यूं तो इनका जन्म 23 अगस्त 1954 सिंगापुर में हुआ, पर इनके पिता एक भारतीय मुसलमान थे.
हलीमा याकूब 2017 के सिंगापुर के राष्ट्रपति चुनाव में निर्विरोध चुनी गई थीं. उन्होंने 13 सितंबर 2017 को राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी.
बता दें कि 7 अगस्त 2017 को उन्होंने सिंगापुर के राष्ट्रपति चुनाव के लिए एक उम्मीदवार के रूप में खड़े होने के लिए अध्यक्ष और सांसद के रूप में पीएपी के अपनी सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. 13 सितंबर 2017 को उन्हें वाकओवर में राष्ट्रपति चुना गया. इनके अलावा कोई अन्य राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लायक नहीं समझा गया.इसके अलगे दिन उन्होंने शपथ ली और सिंगापुर के इतिहास में पहली महिला राष्ट्रपति बनीं.
उनके प्रारंभिक जीवन और शिक्षा के बारे में द स्ट्रेट्स टाइम्स कहता है, हलीमा को आधिकारिक तौर पर एक भारतीय मुस्लिम के रूप में जाना जाता है. उनके पिता भारतीय मुस्लिम थे. मांग मलय वंश से थीं. हलीमा के पिता चौकीदार थे. जब वह आठ साल की थीं पिता की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी.े उन्हें और चार भाई-बहनों को उनकी मां ने पाला. पिता की मृत्यु के समय उनका परिवार गरीबी में था. उन्होंने प्रिंस एडवर्ड रोड के साथ पूर्व सिंगापुर पॉलिटेक्निक (अब बेस्टवे बिल्डिंग) के बाहर अपनी मां के कारोबार में मदद की थी.
हलीमा ने सिंगापुर विश्वविद्यालय में प्रवेश से पहले सिंगापुर चीनी गर्ल्स स्कूल और तंजोंग कटोंग गर्ल्स स्कूल में शिक्षा प्राप्त की है. उन्होंने 1978 में कानून में स्नातक की उपाधि प्राप्त की. 1981 में उन्हें सिंगापुर बार में बुलाया गया. 2001 में उन्होंने नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर में मास्टर ऑफ लॉ पूरा किया और 7 जुलाई 2016 को उन्हें मानद डॉक्टर ऑफ लॉ से सम्मानित किया गया.
करियर
राजनीति में आने से पहले हलीमा ने नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस में कानूनी अधिकारी के रूप में काम किया. 1992 में कानूनी सेवा विभाग की निदेशक बनीं. उन्हें सिंगापुर इंस्टीट्यूट ऑफ लेबर स्टडीज (अब ओंग टेंग चेओंग इंस्टीट्यूट ऑफ लेबर स्टडीज के रूप में जाना जाता है) के निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया.
राजनीतिक कॅरियर
हलीमा ने 2001 में राजनीति में प्रवेश किया, जब उन्हें जुरोंग समूह प्रतिनिधित्व निर्वाचन क्षेत्र (जीआरसी) के लिए संसद सदस्य (एमपी) के रूप में चुना गया.2011 के आम चुनाव के बाद, हलीमा को सामुदायिक विकास, युवा और खेल मंत्रालय में राज्य मंत्री नियुक्त किया गया. नवंबर 2012 में कैबिनेट फेरबदल के बाद वह सामाजिक और परिवार विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री बनीं. उन्होंने जुरोंग टाउन काउंसिल के अध्यक्ष के रूप में भी काम किया.
जनवरी 2015 में, हलीमा को पीएपी की केंद्रीय कार्यकारी समिति, पार्टी की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था में शामिल किया गया.2015 के आम चुनाव में, हलीमा पीपुल्स एक्शन पार्टी समूह के लिए एकमात्र अल्पसंख्यक उम्मीदवार थीं, जो तत्कालीन नवगठित मार्सिलिंग-यू टी जीआरसी से चुनाव लड़ रही थीं.
हलीमा इस्लामिक चरमपंथियों की विरोधी रही हैं. विशेष रूप से इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड लेवेंट की निंदा और अलगाव के मामले में.
संसद अध्यक्ष
8 जनवरी 2013 को, प्रधानमंत्री ली ह्सियन लूंग के विवाहेतर संबंध होने का खुलासा होने और इस्तीफा देने के बाद माइकल पामर ने संसद के अध्यक्ष पद के लिए हलीमा को नामित किया गया. वह 14 जनवरी 2013 को अध्यक्ष चुनी गईं. सिंगापुर के इतिहास में इस पद को संभालने वाली पहली महिला हैं.
ट्रेड यूनियन की भागीदारी
हलीमा ने नेशनल ट्रेड्स यूनियन कांग्रेस (एनटीयूसी) में उप महासचिव, कानूनी सेवा विभाग के निदेशक और महिला विकास सचिवालय के निदेशक के रूप में कार्य किया. उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिकल इंडस्ट्रीज के यूनाइटेड वर्कर्स के कार्यकारी सचिव के रूप में भी काम किया.हलीमा को 2000 से 2002 और 2005 में जिनेवा में अंतर्राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन की मानक समिति के श्रमिक उपाध्यक्ष के रूप में चुना गया था. 2003 और 2004 में, वह मानव संसाधन पर समिति के लिए श्रमिक प्रवक्ता थीं
2017 राष्ट्रपति चुनाव
6 फरवरी 2017 को राष्ट्रपति चुनाव संशोधन विधेयक पर बहस के दौरान बोलते हुए, प्रधानमंत्री कार्यालय में मंत्री चान चुन सिंग ने हलीमा को मैडम स्पीकर के बजाय दो बार मैडम प्रेसिडेंट के रूप में संबोधित किया. तब पीएपी सांसदों से हंसी छुपाई नहीं गई थी. इसके बाद अटकलों का दौर चला. राष्ट्रपति चुनाव के लिए हलीमा पार्टी की पसंदीदा उम्मीदवार बनीं.
6 अगस्त 2017 को हलीमा ने घोषणा की कि वह 2017 के राष्ट्रपति चुनाव में राष्ट्रपति पद की दौड़ने के लिए अगले दिन संसद के अध्यक्ष और मार्सिलिंग-यू टी के सांसद के रूप में पद छोड़ देंगी, जो मलय समुदाय के सदस्यों के लिए आरक्षित है. उन्हें चुनाव के लिए पीएपी के उम्मीदवार के रूप में व्यापक रूप से देखा गया. प्रधानमंत्री ली सीन लूंग ने भी इसका समर्थन किया.
11 अगस्त 2017 को प्रकाशित एक साक्षात्कार में हलीमा ने आरक्षित राष्ट्रपति चुनाव पर अपने विचार रखे. उन्होंने कहा कि यह दिखाता है कि हम न केवल बहु जातिवाद के बारे में बात करते है. हम इसके बारे में योग्यता या सभी के लिए अवसरों के संदर्भ में बात करते है. हम वास्तव में इसका अभ्यास करते है. हालांकि कुछ टिप्पणीकारों ने महसूस किया है कि आरक्षित चुनाव ने योग्यता को बढ़ावा नहीं दिया. हलीमा ने उस दृष्टिकोण को खारिज कर दिया. टिप्पणीकारों के बारे में जिन्होंने अपने जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के उम्मीदवारों की निम्न योग्यता पर सवाल उठाए थे, हलीमा ने कहा, यह एक खुली, पारदर्शी प्रणाली है.
25 अगस्त 2017 को हलीमा ने अपनी आधिकारिक अभियान वेबसाइट लॉन्च की, जिसमें उनका अभियान नारा डू गुड डू टुगेदर भी शामिल था. इसकी कई लोगों ने आलोचना की थी. मगर हलीमा ने अपने नारे का बचाव करते हुए कहा कि यह आकर्षक नारा है.
हलीमा के पीएपी के साथ लंबे समय से जुड़ाव और राजनीतिक स्वतंत्रता की कमी के बारे में भी सवाल उठाए गए, क्योंकि उन्होंने चुनाव में प्रचार करने के लिए सिर्फ एक महीने पहले पार्टी छोड़ दी थी. हलीमा ने खुद की तुलना पूर्व राष्ट्रपति ओंग टेंग चोंग से की, जो चुने जाने से पहले पीएपी सदस्य भी थे. उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने 2007 में मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम के लिए एक संशोधन में मतदान से परहेज किया था.
तब पूर्व एनएमपी केल्विन चेंग ने सुझाव दिया कि हलीमा के पास वित्तीय भंडार के प्रबंधन के लिए आवश्यक पेशेवर अनुभव नहीं है. इसके बावजूद पात्रता प्रमाणपत्र जारी होने के बाद एकमात्र उम्मीदवार होने के नाते हलीमा सिंगापुर की आठवें राष्ट्रपति बनी. पूर्व राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार टैन चेंग बॉक ने लिखा है कि हलीमा सिंगापुर के इतिहास में सबसे विवादास्पद राष्ट्रपति पद पर काबिज होने वाली शख्सियत हैं, जबकि द इकोनॉमिस्ट ने उन्हें लोकप्रिय और सक्षम बताया. वह फिलीपींस की कोराजोन एक्विनो और ग्लोरिया मैकापगल अरोयो और इंडोनेशिया की मेगावती सुकर्णोपुत्री के बाद देश की पहली महिला राष्ट्रपति और दक्षिण पूर्व एशिया की चौथी महिला प्रमुख बनीं.
प्रतिक्रिया
मार्सिलिंग-यू टी जीआरसी में एकमात्र अल्पसंख्यक सांसद के रूप में हलीमा के अचानक इस्तीफे ने उप-चुनाव की स्थिति पैदा कर दी, क्योंकि जीआरसी का उद्देश्य अल्पसंख्यक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना था. पीएपी सरकार ने उप-चुनाव कराने से इनकार कर दिया, जिसकी परिणति जीआरसी के निवासी वोंग सूक यी द्वारा मुकदमा दायर करने के रूप में हुई. इसपर 15 जनवरी 2018 को सुनवाई हुई.
13 सितंबर 2017 को, सिंगापुर डेमोक्रेटिक पार्टी ने अपने निर्वाचन क्षेत्र में एकमात्र अल्पसंख्यक सांसद के रूप में हलीमा के इस्तीफे के बाद मार्सिलिंग-यू टी जीआरसी में उप-चुनाव कराने से इनकार करने के लिए पीएपी सरकार के खिलाफ उच्च न्यायालय में मुकदमा दायर किया.
23 जनवरी 2018 को उच्च न्यायालय की सुनवाई में, वोंग के वकील पीटर लो ने तर्क दिया कि संसदीय चुनाव अधिनियम की व्याख्या इस तरह की जानी चाहिए कि समूह प्रतिनिधित्व निर्वाचन क्षेत्र के सभी सांसदों को एक या अधिक सीटों के खाली रहने पर अपना स्थान छोड़ना होगा, या जब केवल एक शेष सांसद अल्पसंख्यक उम्मीदवार हो. उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 49 (1) का हवाला दिया.
चुनाव विभाग ने घोषणा की कि हलीमा राष्ट्रपति पद के लिए एकमात्र संभावित उम्मीदवार हैं. तब ग्लोबल मीडिया मॉनिटरिंग हाउस मेल्टवॉटर ने 11 से 12 सितंबर 2017 तक यानी राष्ट्रपति चुनाव के आसपास सोशल मीडिया पर हलीमा के खिलाफ खूब नकारात्मक बातें वायरल की गईं.
घोषणा के बाद, सिंगापुर के कई लोगों ने अपनी निराशा व्यक्त करने के लिए फेसबुक और ट्विटर पर हैशटैग का उपयोग किया. जवाब में द स्ट्रेट्स टाइम्स ने रिपोर्ट किया कि सिंगापुरियों को अपने अगले राष्ट्रपति का स्वागत करना चाहिए.
यिशुन में अपने एचडीबी फ्लैट में रहने के हलीमा के फैसले की भी खूब आलोचना हुई. नेटिजन्स ने यहां तक कहा कि राष्ट्रपति के काफिले से इस इलाके के लोगों को असुविधा होती है. इसके चलते 2 अक्टूबर 2017 को हलीमा को यिशुन फ्लैट से अधिक सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया.
व्यक्तिगत जीवन
हलीमा की शादी अरब मूल के मलय मोहम्मद अब्दुल्ला अल हब्शी से हुई है. उनके पांच बच्चे हैं. हलीमा मुसलमान है.
Held talks with President Halimah Yacob at The Istana. We discussed multiple areas relating to India-Singapore ties and how to further diversify cooperation. pic.twitter.com/QpaHd2SafV
— Narendra Modi (@narendramodi) June 1, 2018
पुरस्कार
उनके योगदान को मान्यता देने के लिए उन्हें 2001 में बेरिटा हरियन अचीवर ऑफ द ईयर अवार्ड, 2003 में हर वर्ल्ड वुमन ऑफ द ईयर अवार्ड, 2011 में अवेयर हीरोइन अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है. उन्हें सिंगापुर महिला संगठनों की परिषद में शामिल किया गया था. 2014 में सिंगापुर महिला हॉल ऑफ फेम में भी शामिल की गई थीं.