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फ्रीडम प्रोजेक्ट रिपोर्ट : एम.के. फ़ैज़ी का रोहिंग्या शरणार्थियों से मानवीय व्यवहार का आह्वान

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एम.के. फ़ैज़ी ने भारत सरकार से आग्रह किया है कि वह रोहिंग्या शरणार्थियों के साथ मानवीय व्यवहार सुनिश्चित करे. उन्होंने कहा कि रोहिंग्या शरणार्थियों के खिलाफ हो रहे संवैधानिक और मानवाधिकारों के उल्लंघन को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए.

फ़ैज़ी ने एक अमेरिकी गैर-लाभकारी संगठन फ्रीडम प्रोजेक्ट की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि भारत में रोहिंग्या शरणार्थियों के खिलाफ गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन हो रहे हैं. रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि भारत अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संधियों के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में असफल रहा है.

हिरासत में शरणार्थियों की स्थिति

एम.के. फ़ैज़ी ने कहा कि कई रोहिंग्या शरणार्थी अपनी सजा पूरी करने के बाद भी हिरासत में हैं. इसके अलावा, भारत के मॉडल कस्टडी कोड का उल्लंघन करते हुए शरणार्थी परिवारों को जबरन अलग किया जा रहा है. विशेष रूप से, पति-पत्नी को एक साथ रहने की अनुमति न देना और माता-पिता से उनके बड़े बच्चों को अलग करना चिंताजनक है.

  • फ़ैज़ी ने कहा कि भारत सरकार को विस्थापित रोहिंग्या शरणार्थियों को जीवन रक्षक सहायता और सुरक्षा प्रदान करनी चाहिए. उन्होंने फ्रीडम प्रोजेक्ट की सिफारिशों का समर्थन करते हुए निम्नलिखित मांगें रखीं:
  • मनमानी हिरासत पर रोक लगाई जाए:रोहिंग्या शरणार्थियों को मनमाने ढंग से हिरासत में रखने की प्रथा तुरंत समाप्त की जाए. ऐसे मामलों के निपटारे के लिए फास्ट-ट्रैक अदालतों की स्थापना की जाए, ताकि अनियमित और अनिश्चितकालीन हिरासत की समस्या समाप्त हो.
  • परिवारों को एकजुट करें:उन रोहिंग्या बच्चों को उनके माता-पिता से फिर से मिलाया जाए, जिन्हें जबरन अलग कर दिया गया है. इसके साथ ही, हिरासत के भीतर और बाहर परिवारों के लिए सम्मानजनक रहने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए.
  • अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन करें:भारत सरकार को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों और उन संधियों का पालन करना चाहिए, जिन पर भारत ने हस्ताक्षर किए हैं. इनमें मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा (यूडीएचआर), नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय अनुबंध (आईसीसीपीआर), और नस्लीय भेदभाव के उन्मूलन पर कन्वेंशन (सीईआरडी) शामिल हैं.
  • अनिश्चितकालीन हिरासत पर रोक: यूएनएचसीआर के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए यह सुनिश्चित किया जाए कि हिरासत की समय सीमा निर्धारित हो। अनिश्चितकालीन हिरासत को समाप्त करना आवश्यक है क्योंकि यह मनमानी और अमानवीय है.
  • भारत की अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारियां

फ़ैज़ी ने भारत सरकार को याद दिलाया कि देश ने मानवाधिकारों की रक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय संधियों पर हस्ताक्षर किए हैं. इनमें मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा और अन्य अंतरराष्ट्रीय कानून शामिल हैं, जिनके अनुसार शरणार्थियों के साथ उचित और सम्मानजनक व्यवहार सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है..

मानवीय दृष्टिकोण की आवश्यकता

फ़ैज़ी ने जोर देकर कहा कि भारत जैसे लोकतांत्रिक और मानवाधिकारों के प्रति प्रतिबद्ध देश को रोहिंग्या शरणार्थियों के साथ मानवीय दृष्टिकोण अपनाना चाहिए. उन्होंने कहा कि शरणार्थी भी मानव हैं और उनके अधिकारों की रक्षा करना न केवल भारत की अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारी है, बल्कि इसका नैतिक दायित्व भी है.

फ़ैज़ी की यह अपील शरणार्थियों के अधिकारों और उनके साथ न्यायपूर्ण व्यवहार की आवश्यकता को रेखांकित करती है. रोहिंग्या शरणार्थियों के साथ मानवीय व्यवहार न केवल भारत की छवि को अंतरराष्ट्रीय मंच पर मजबूत करेगा, बल्कि यह उसके लोकतांत्रिक और संवैधानिक मूल्यों को भी सशक्त करेगा.

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