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हेट स्पीच का खेल : आरएसएस नेता राकेश सिन्हा ने उजागर की न्यूज चैनल की सच्चाई

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

राष्ट्रीय न्यूज चैनलों की भूमिका पर समय-समय पर सुप्रीम कोर्ट और कई निजी संस्थाएं सवाल उठाती रही हैं. कई बार उनके और उनके एंकरों के खिलाफ हेट स्पीच और पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग के मामलों में जुर्माना भी लगाया गया है. इसके बावजूद उनकी कार्यशैली में कोई बड़ा बदलाव देखने को नहीं मिला है. खासतौर पर मुसलमानों के खिलाफ नफरत फैलाने के मामलों में.

इसी संदर्भ में आरएसएस नेता और राज्यसभा के पूर्व सदस्य राकेश सिन्हा ने हाल ही में एक राष्ट्रीय न्यूज चैनल का पर्दाफाश किया है. दिल्ली में मुसलमानों से जुड़े एक सेमिनार में दिए अपने भाषण में उन्होंने बताया कि कैसे एक न्यूज चैनल ने हिंदू-मुसलमान के नाम पर लड़ाई कराने के लिए उन्हें प्रलोभन दिया.

न्यूज चैनल की साजिश का खुलासा

राकेश सिन्हा ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि एक बार उन्हें एक राष्ट्रीय न्यूज चैनल के एंकर का फोन आया. एंकर ने एक मौलाना का नाम लेकर कहा कि उन्हें डिबेट के लिए बुलाया गया है. साथ ही उनसे यह भी कहा गया कि शो के दौरान आपको गुस्सा दिखाना होगा और मौलाना व उनकी दाढ़ी को लेकर अपशब्द कहना होगा.

सिन्हा ने बताया कि चैनल की ओर से उन्हें बार-बार फोन कर इस बात के लिए राजी करने की कोशिश की गई. कार्यक्रम के समय की सूचना देने के साथ ही उन्हें लेने के लिए एक कैब भी भेज दी गई. हालांकि, कार्यक्रम के समय से ठीक पहले उन्होंने इसमें शामिल होने से मना कर दिया. उन्होंने बहाना बनाया कि उन्हें तत्काल एक जरूरी काम के लिए मुंबई जाना है.

न्यूज एंकर की हताशा और सिन्हा का करारा जवाब

सिन्हा के मना करने पर एंकर ने परेशान होकर फोन किया और कहा कि मौलाना के साथ बहस के लिए पूरा कार्यक्रम तैयार है. आप आधे घंटे के लिए ही सही, लेकिन स्टूडियो जरूर आएं. इसके बावजूद सिन्हा ने मुंबई जाने का बहाना बनाकर वहां जाने से इनकार कर दिया.

जब एंकर ने जोर देकर पूछा कि अचानक ऐसा क्या जरूरी काम आ गया, जिस वजह से आप नहीं आ सकते, तो सिन्हा ने करारा जवाब दिया. उन्होंने कहा, “अगर मैं आपके स्टूडियो में इतनी अच्छी एक्टिंग कर सकता हूं, तो मुंबई जाकर इसे फिल्मों में क्यों न करूं?”

स्वयंसेवक होने के बावजूद व्यक्तित्व का सम्मान

राकेश सिन्हा ने कहा कि वह आरएसएस के स्वयंसेवक हैं, लेकिन उनका अपना एक व्यक्तित्व भी है. वह ऐसी साजिशों का हिस्सा नहीं बन सकते. सिन्हा के इस खुलासे के बाद सेमिनार हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा.

उनका भाषण सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है और लोग उनके इस कदम की खूब तारीफ कर रहे हैं.

संदेश और सीख

राकेश सिन्हा का यह अनुभव मीडिया के एक पक्ष की असलियत उजागर करता है. यह दिखाता है कि कैसे कुछ लोग समाज में नफरत फैलाने के लिए मंच का इस्तेमाल करते हैं. सिन्हा का यह कदम यह संदेश देता है कि किसी भी परिस्थिति में अपने मूल्यों और सिद्धांतों से समझौता नहीं करना चाहिए.