इज़रायल को मासूम साबित करने की वैश्विक साजिश? गाज़ा नरसंहार पर पर्दा डालने को जारी हुआ 87 पन्नों का टूलकिट
Table of Contents
मुस्लिम नाउ विशेष रिपोर्ट
गाज़ा पट्टी में करीब 80 हजार से अधिक फिलिस्तीनियों की मौत और मानवीय तबाही के बीच अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर एक नया अभियान छेड़ा गया है — इज़रायल को गुनहगार नहीं, पीड़ित और मासूम साबित करने का अभियान। इस उद्देश्य से हाल ही में 87 पन्नों का एक विस्तृत ‘टूलकिट’ जारी किया गया है, जिसका शीर्षक है: “Hamas Human Shield Strategy in Gaza” (गाज़ा में हमास की मानव ढाल रणनीति)। इसे तैयार किया है एंड्रयू फॉक्स और सालो ऐज़ेनबर्ग ने — दोनों ही लेखक ऐसे विचारधारा से जुड़े हैं जो लंबे समय से इज़रायल का बचाव और फिलिस्तीन समर्थक आंदोलनों की आलोचना करते रहे हैं।

इज़रायल की छवि चमकाने की सुनियोजित कोशिश
इस रिपोर्ट की प्रस्तावना में ही यह संकेत दिया गया है कि इसे संयुक्त राष्ट्र, एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वॉच जैसी संस्थाओं की रिपोर्टों का “जवाब” माना जा सकता है, जिनमें इज़रायल को गाज़ा में युद्ध अपराधों और नरसंहार के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। लेकिन इस टूलकिट का मकसद साफ है — इज़रायल के कृत्यों को ‘हमास की रणनीति’ का परिणाम बताना और युद्ध की सारी जवाबदेही उससे हटाकर हमास के सिर मढ़ना।
“ग़ायब अध्याय” की भरपाई या राजनीतिक हेरफेर?
हेनरी जैक्सन सोसाइटी द्वारा जारी की गई यह रिपोर्ट स्वयं को संयुक्त राष्ट्र और अन्य वैश्विक संस्थानों की रिपोर्टों में “ग़ायब अध्याय” की तरह पेश करती है — ऐसा अध्याय जो कथित तौर पर हमास की ‘मानव ढाल’ रणनीति को उजागर करता है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि:

- 7 अक्टूबर 2023 के बाद से अब तक संयुक्त राष्ट्र ने 367 रिपोर्टें जारी कीं, लेकिन इनमें हमास की मानव ढाल रणनीति का उल्लेख मात्र चार बार हुआ।
- संयुक्त राष्ट्र, एमनेस्टी और ह्यूमन राइट्स वॉच की रिपोर्टों में इज़रायल को युद्ध अपराधों के लिए जिम्मेदार ठहराया गया, लेकिन हमास के युद्ध कौशल और रणनीति का “विश्लेषण” नदारद है।
रिपोर्ट का दावा: हमास ने नागरिक संरचनाओं का किया सैन्य उपयोग
87 पन्नों की इस रिपोर्ट में 10 व्यापक बिंदुओं में हमास पर आरोप लगाए गए हैं कि उसने:
- सुरंग नेटवर्क और शाफ्ट बनाए, जिनका प्रवेश बिंदु नागरिक क्षेत्रों में था।
- स्कूलों, अस्पतालों, मानवीय सहायता क्षेत्रों और घरों को हथियारों के भंडारण और हमलों के लिए इस्तेमाल किया।
- रॉकेट लॉन्चिंग और घात लगाने के लिए नागरिकों का उपयोग किया।
- ग़ैर-सैन्य कपड़ों में लड़ाकों को तैनात किया ताकि उन्हें आम नागरिक समझा जाए।
- IDF (इज़रायली डिफेंस फोर्स) पर हमलों के लिए जाल बिछाए।
- नागरिकों को जानबूझकर मानव ढाल बनने का निर्देश दिया।
लेखकों की पृष्ठभूमि पर सवाल
इस रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर प्रश्न इसलिए भी उठते हैं क्योंकि इसके दोनों लेखक — एंड्रयू फॉक्स और सालो ऐज़ेनबर्ग — लंबे समय से इज़रायल समर्थक विचारधाराओं से जुड़े रहे हैं:
- एंड्रयू फॉक्स ब्रिटिश सेना में 16 वर्षों तक सेवा दे चुके हैं, जिनमें अफगानिस्तान और मध्य पूर्व के सैन्य अनुभव शामिल हैं। उन्होंने 2024 में गाज़ा और लेबनान का दौरा भी किया।
- सालो ऐज़ेनबर्ग स्वतंत्र शोधकर्ता हैं, जिन्होंने एनजीओ मॉनिटर जैसे संगठनों के लिए रिपोर्टें लिखीं और यहूदी-विरोधी अभियानों के खिलाफ सक्रिय रहे हैं।
दोनों लेखकों का अतीत, उनके दृष्टिकोण को पूर्वाग्रहग्रस्त बना सकता है — विशेष रूप से तब जब रिपोर्ट का उद्देश्य खुद को “सत्य का एक नया पक्ष” कहकर इज़रायल को आरोपों से मुक्त करना है।

सामूहिक जनसंहार से ध्यान भटकाने का प्रयास?
इस रिपोर्ट का समय और सामग्री गंभीर सवाल खड़े करती है। नवंबर 2024 में संयुक्त राष्ट्र ने इज़रायल पर “नरसंहार” के गंभीर आरोप लगाए थे। इसके बाद दिसंबर 2024 में एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वॉच ने भी इसी तरह की रिपोर्टें जारी कीं, जिसमें नागरिक ठिकानों, अस्पतालों और स्कूलों पर जानबूझकर बमबारी के सबूत दिए गए।
लेकिन “Hamas Human Shield Strategy in Gaza” रिपोर्ट इन सभी रिपोर्टों को निष्प्रभावी बनाने के लिए एक नई कथा रचती है — जिसमें फिलिस्तीनी नागरिकों की मौत का पूरा दोष हमास की रणनीति पर मढ़ा जाता है।
निष्कर्ष: क्या यह रिपोर्ट युद्ध अपराधों से ध्यान हटाने का उपकरण है?
इस रिपोर्ट को एक शोध या अकादमिक दस्तावेज़ मानना बेहद कठिन है। यह एक राजनीतिक उपकरण लगता है, जिसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय मंच पर इज़रायल की छवि को साफ करना है, खासकर तब जब दुनिया भर में उसके खिलाफ जनमत लगातार कठोर होता जा रहा है।
गाज़ा के खून से रंगे सच को ‘हमास की चाल’ बताकर दबा देना, न तो पत्रकारिता है, न ही न्याय।
यह रिपोर्ट एक बार फिर इस बात का प्रमाण है कि युद्ध सिर्फ हथियारों से नहीं, बल्कि शब्दों, दस्तावेज़ों और अंतरराष्ट्रीय प्रचार से भी लड़ा जाता है।