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गुजरात चुनाव 2022: आखिरकार ओवैसी अपना काम कर गए !

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

एआईएमआईएम के सदर ओवैसी ने अन्य चुनावों की तरह गुजरात मंे भी अपना काम कर दिया. उनपर आरोप है कि वे मुस्लिम मतदाताओं को भ्रमित करने के लिए चुनाव में उतरते हैं. उकसाने वाला बयान देते हैं ताकि वोटर मजहब के नाम पर गोलबंद हो, जिसका हर बार चुनावी लाभ भाजपा लेे जाती है. गुजरात में भी वह सब कुछ दोहराया गया. चुनाव से पहले बुरी हालत में भाजपा क्लीन स्वीप कर गई.

ओवैसी अपने उम्मीदवार उन्हें जगह उतारते हैं, जहां मुस्लिम वोटर्स होते हैं. वैसे तो वे एआईएमआईएम को मुसलमानों, दलितों, पिछले, दबे-कुचलों की पार्टी बताते हैं, पर चुनाव में केवल मुस्लिम बहुत इलाके में उम्मीदवार उतारे जाते हैं. वह भी इलाके में बिना काम किए और पहचान के. ऐसा न होता तो वे निश्चित ही हिमाचल मंे भी अपने उम्मीदवार उतारते. इससे पहले उत्तराखंड, गोवा, हरियाणा जैसे प्रदेशों में भी चुनाव के दौरान उन्होंने उम्मीदवार नहीं उतारे थे. इसकी वजह से ही इनके विरोधी एआईएमआईएम को बीजेपी की बी टीम बताती है. एआईएमआईएम के बिहार चुनाव में कूदने के कारण राजद की इस प्रदेश में सरकार नहीं बन पाई थी.

हालांकि, ओवैसी की इस चालबाजी को लोग पहचान चुके हैं. गुजरात चुनाव में न केवल उनके ही पार्टी के लोगों ने मुस्लिम बहुल इलाकों से एआईएमआईएम उम्मीदवार उतारने का विरोध किया गया, बल्कि रैलियों में काले झंडे भी दिखाए गए. चुनावी नतीजे आने के बाद भी सोशल मीडिया पर ओवैसी की खूद लानत-मलामत हो रही है.

दरअसल, ओवैसी मुसलमानों में राजनीतिक चेतना नहीं जगाना चाहते. वह एक खेल खेलने में व्यस्त हैं और मुसलमानों के जज्बात उभार कर हर चुनाव में उन्हें मुहरा बनाते हैं. फिर खास पार्टी की झोली में जीत का तोहफा डाल देते हैं. ऐसा नहीं होता और वह वास्तव में मुसलमानों को राजनीतिक रूप से मजबूत करना चाहते तो अचानक किसी चुनाव में उतरने की जगह पहले जमीनी स्तर पर काम करते. मुसलमानों में राजनीतिक अलख जगाने के लिए राहुल गांधी की तरह सड़कों पर पैदल रैलियां निकाते, मुसलमानों के हक-हकूक की लड़ाई लड़ने के लिए सड़कों पर संषर्घ करते. मगर ओवैसी ऐसे तमाम कामों से परहेज करते हैं जिससे लोकतंत्र मजबूत होता है. इसकी जगह वह केवल सोशल मीडिया के शेर हैं. सारी उलटे-सीधे बयान इनके सोशल मीडिया पर ही आते हैं. यहां तक कि ऐन मतदान से एक दिन पहले ‘हिजाबी महिला के प्रधानमंत्री’ बनने वाला बयान देकर हिंदुओं में असुरक्षा का भ्रम पैदा कर उन्हें भाजपा के पक्ष में गोलबंद होने को मजबूर कर देते हैं.