गुजरात दंगों की पीड़िता और कानूनी योद्धा जकिया जाफरी का 86 वर्ष की आयु में निधन
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अहमदाबाद
गुजरात दंगों की पीड़िता और न्याय की राह में संघर्षरत कानूनी योद्धा जकिया जाफरी का शनिवार को अहमदाबाद में 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया. वे पूर्व कांग्रेस सांसद अहसान जाफरी की विधवा थीं और 27 फरवरी, 2002 को गोधरा ट्रेन अग्निकांड के बाद गुलबर्ग सोसाइटी हत्याकांड की पीड़िता थीं.
अहमदाबाद में ली अंतिम सांस
अहमदाबाद में अपनी अमेरिका में रहने वाली बेटी निशरीन के साथ रह रहीं जकिया जाफरी का शनिवार सुबह 11.30 बजे निधन हो गया. उनके बेटे तनवीर जाफरी, जो सूरत में रहते हैं, ने इस खबर की पुष्टि की. उन्हें अहमदाबाद में उनके पति के बगल में सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा. जब इंडियन एक्सप्रेस ने निशरीन से संपर्क करने की कोशिश की, तो वे बेहद गमगीन थीं और कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं थीं.
न्याय की लड़ाई का चेहरा बनीं
जकिया जाफरी गोधरा कांड के बाद हुए दंगों में पीड़ितों को न्याय दिलाने के संघर्ष की प्रतीक बन गई थीं। 2006 से उन्होंने गुजरात सरकार के खिलाफ लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने हिंसा के सिलसिले में नरेंद्र मोदी और अन्य शीर्ष राजनेताओं के खिलाफ़ शिकायत दर्ज नहीं की.
2023 तक, जकिया जाफरी हर वर्ष गुलबर्ग सोसाइटी में अपने घर के अवशेषों का दौरा किया करती थीं। उनकी न्याय की पुकार ने सुप्रीम कोर्ट को गुलबर्ग सोसाइटी सहित नौ बड़े दंगा मामलों की फिर से जांच करने का आदेश देने के लिए प्रेरित किया। यह जांच 2012 में एक क्लोजर रिपोर्ट के रूप में समाप्त हुई।
Zakia Jafri passes away in Ahmedabad. Zakia Jafri was widow of Congress MP Ehsan Jafri who along with 68 others was killed inside the gated Gulberg Society in Gujarat 2002. #RIP pic.twitter.com/Upl1sf4bTg
— Mohammed Zubair (@zoo_bear) February 1, 2025
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
2022 में, सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगों में तत्कालीन मुख्यमंत्री और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा कई अन्य को विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा दी गई क्लीन चिट को चुनौती देने वाली जकिया जाफरी की याचिका खारिज कर दी। इस फैसले के साथ ही, उनकी कानूनी लड़ाई का एक महत्वपूर्ण अध्याय समाप्त हो गया.
गुलबर्ग सोसाइटी हत्याकांड: एक दर्दनाक त्रासदी
28 फरवरी, 2002 को अहमदाबाद के चमनपुरा इलाके में स्थित गुलबर्ग सोसाइटी में हुए भयावह हमले में 68 लोगों की जान चली गई, जिनमें अहसान जाफरी भी शामिल थे.
2006 में, जकिया जाफरी ने गुजरात सरकार और पुलिस के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि हिंसा के दौरान पुलिस ने निष्क्रियता बरती और उच्च पदस्थ राजनेताओं को बचाने की कोशिश की। इस शिकायत के चलते मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया और सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी से पुनः जांच के आदेश दिए.
जकिया जाफरी का संघर्ष: एक प्रेरणादायक कहानी
जकिया जाफरी का जीवन और संघर्ष सत्ता के खिलाफ न्याय के लिए निरंतर संघर्ष का प्रतीक था। उन्होंने न केवल अपने पति की मौत का इंसाफ चाहा, बल्कि हजारों निर्दोष दंगा पीड़ितों की आवाज भी बनीं।
उनकी लड़ाई ने भारत की न्यायिक प्रणाली को बार-बार चुनौती दी और देश के इतिहास में एक महत्वपूर्ण कानूनी मिसाल स्थापित की। उनका निधन भारत में न्याय और मानवाधिकारों की लड़ाई लड़ने वालों के लिए एक गहरा नुकसान है।
उनकी याद में, देशभर के सामाजिक कार्यकर्ताओं और मानवाधिकार संगठनों ने उनकी संघर्षशीलता और साहस को सलाम किया. जकिया जाफरी का योगदान भारत की न्याय व्यवस्था और सामाजिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण अध्याय के रूप में दर्ज रहेगा.