गुरूग्राम इमाम हत्याकांड: हत्यारों को पकड़वाने में मदद नहीं, हत्यारोपियों को छुड़ाने केलिए महापंचायत कर सात दिनों का दिया एल्टीमेटम
मुस्लिम नाउ ब्यूरो,गुरुग्राम
सांप्रदायिक सौहार्द के लिए चर्चित मेवात में जिस तरह एक धार्मिक जुलूस पर हमले के बाद हिंसा फैली वह वास्तव में चिंता का विषय है. उसी तरह गुरूग्राम जैसे मिलेनियम सिटी के सेक्टर 57 में मस्जिद पर हमला और इमाम की हत्या बेहदशर्मनाक है. इससे न केवल इस चमचमाते शहर की छवि को नुकसान पहुंचा है, इसका भविष्य में पूंजीनिवेश पर भी दुष्प्रभाव पड़ेगा. इसकी परवाह किए बगैर उसी इलाके में महापंचायत कर अनर्गल बयान बाजी ने न केवल शहर का माहौल बिगाड़ने की कोशिश की है, इसके दुष्परिणाम भी सामने आ सकते हैं.
विभिन्न तरह की जांचों से यह लगभग स्पष्ट हो चुका है कि नूंह हिंसा तनाव फैलाने वाले बयानों और कृत्यों का नतीजा है. पुलिस प्रशासन की मौजूदगी में रविवार को महापंचायत में जिस तरह के विवादास्पद ऐलान किए और निर्णय लिए गए वह न केवल तनाव फैलाने वाले हैं. देश के दूसरे हिस्से में इसका दुष्प्रभाव देखना पड़ सकता है.
तिगरा की पंचायत में होना यह चाहिए था कि उनकी तरफ से यह घोषणा की जाती कि वे इमाम की हत्या के तमाम आरोपियों को पकड़वाने में मदद करेंगे. क्योंकि यह द्रोणाचार्य की भूमि की छवि का सवाल है. मगर महापंचायत में हत्या के आरोपियों को बचाने के लिए एक नहीं कई-कई विवादास्पद निर्णय लिए गए. किसी ने यहां तक कहा कि सेक्टर 57 से मस्जिद को ही हटा दिया जाए.
रिपोर्ट में कहा गया है कि गुरूग्राम के तिगरा गांव में रविवार को आयोजित महापंचायत में मौलवी की हत्या के सिलसिले में गिरफ्तार किए गए युवकों की रिहाई की मांग की गई और पुलिस को सात दिन का अल्टीमेटम दिया गया.पंचायत ने सेक्टर 57 से अंजुमन मस्जिद को हटाने की भी मांग की गई, क्योंकि यह क्षेत्र हिंदू बहुल है.
26 वर्षीय नायब इमाम मोहम्मद साद की पिछले सप्ताह मंगलवार की सुबह अंजुमन मस्जिद पर भीड़ द्वारा किए गए हमले के दौरान हत्या कर दी गई थी. यह हमला गुरुग्राम से सटे नूंह के खेड़ली चैक पर विश्व हिंदू परिषद के जुलूस पर पथराव के कुछ घंटों बाद हुआ.
पंचायत ने मामले पर नजर रखने के लिए 101 लोगों की एक समिति बनाई है. इसे इस अल्टीमेटम के साथ स्थगित कर दिया गया कि यदि युवाओं को रिहा नहीं किया गया तो एक बड़ा फैसला लिया जाएगा.नगर निगम गुरुग्राम के निवर्तमान पार्षद महेश दायमा ने कहा कि समिति सोमवार को उपायुक्त को ज्ञापन सौंपकर मस्जिद हत्याकांड में गांव से गिरफ्तार चार युवकों की रिहाई और मामले की निष्पक्ष जांच की मांग करेगी.
उन्होंने कहा कि सभी विधायकों और मंत्रियों को भी समान मांगों के साथ एक ज्ञापन दिया जाएगा.पंचायत की एक मांग यह भी थी कि पुलिस को गांव में घुसने और लगातार छापेमारी करने पर रोक लगाई जाए.तिगरा गांव में मोहम्मदपुर गांव के सरपंच अतर सिंह की अध्यक्षता में महापंचायत हुई.धारा 144 लागू होने के बावजूद आसपास के 100 से अधिक गांवों के करीब 700 लोग इसमें शामिल हुए.
इसके सदस्यों में सोहना के वर्तमान और पूर्व विधायक, संजय सिंह और तेजपाल तंवर, दोनों भाजपा से, और कई पार्षद और सरपंच शामिल थे.वजीराबाद गांव के पूर्व सरपंच सूबे सिंह बोहरा ने कहा कि अगर गिरफ्तार किए गए युवकों, जिनके बारे में उनका दावा है कि वे निर्दोष हैं, को रिहा नहीं किया गया तो ग्रामीण सामूहिक रूप से गिरफ्तारी देंगे.
जिला बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष कुलभूषण भारद्वाज ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के इस्तीफे की मांग करते हुए आरोप लगाया कि उन्हें शाम तक नूंह में भड़की घटना की जानकारी नहीं थी.उन्होंने कहा, हमें ऐसा मुख्यमंत्री नहीं चाहिए. उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए. हमें ऐसे समय के लिए योगी आदित्यनाथ जैसे मुख्यमंत्री की जरूरत है या फिर नूंह को उत्तर प्रदेश में ले आइए. ऐसी हिंसा अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
तिगरा और आसपास के गांवों में भारी सुरक्षा की तैनाती के बीच पंचायत हुई.पुलिस के साथ अर्धसैनिक बलों की कई कंपनियों ने सुबह नौ बजे से शाम चार बजे तक इलाकों में गश्त करती रहीं. इसी महापंचायत मुस्लिम नाईयों, सब्जीफरोशों, दुकानदारों, किराएदारों का बहिष्कार करने का ऐलान किया गया.
हालांकि महापंचायत करने वालों को यह पता है कि गुड़गांव को गुरूग्राम तक का सफर तैय कराने में इन लोगों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. यहां तक कि ‘बाहरी’ नहीं आते तो पंचायत में शामिल कई लोगों के ‘किराएदार का कारोबार’ नहीं चल पाता.