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हरियाणा सरकार चली यूपी और एमपी की राह, जबरन धर्मांतरण रोकने को पेश किया विधेयक

मुस्लिम नाउ ब्यूरो ,चंडीगढ़

हरियाणा से भले ही गाहे-ब-गाहे मुसलमानों के ‘घरवापसी’ की खबरें आती रही हों, पर इसपर कोई ठोक कार्रवाई करने की बजाए इस सूबे में अब ऐसा कानून लाने की तैयारी है, जिसकी शिकायत न के बराबर है. यह कानून है जबरन धर्मांतरण रोकने का.

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने शुक्रवार को कहा कि हरियाणा धर्मांतरण रोकथाम विधेयक, 2022 विधानसभा सत्र के तीसरे दिन सांप्रदायिक सौहार्द और भाईचारा बनाए रखने और समाज को बांटने के उद्देश्य से पेश किया गया है. मजे की बात है कि भाईचारा बनाए रखने के नाम पर ही इसी खट्टर सरकार ने गुड़गांव में मस्जिदों की कमी दूर करने के बजाए खुले में होने वाले जुमा की नमाज पर रोक लगा दी है.

बहरहाल,उन्होंने कहा कि पूर्व में यमुनानगर, पानीपत, फरीदाबाद, गुरुग्राम और नूंह से कई ऐसी घटनाएं सामने आई हैं जिनमें लालच देकर, विदेश ले जाने के झूठे वादे, कारोबार बढ़ाने और घर से भाग जाने के लिए जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया. वैसे जिंद, रेवाड़ी से भी कई बार मुसमलानों की ‘घरवापसी’ की खबरें आ चुकी हैं.

मुख्यमंत्री ने कहा कि धर्मपरिवर्तन की घटनाएं बड़ी चिंता का विषय बन गई हैं.कई मामलों में प्राथमिकी भी दर्ज की गई है. खट्टर ने कहा कि इस तरह की घटनाएं पूरे देश में हो रही हैं और अलग-अलग राज्यों ने ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए अपने-अपने कानून बनाए हैं.

मुख्यमंत्री ने यह बात यहां विधानसभा के चालू सत्र के दौरान राज्यपाल के अभिभाषण पर बहस के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए कही.उन्होंने कहा कि बिल किसी व्यक्ति को जानबूझकर धर्मांतरण से नहीं रोकता है, बशर्ते कि ऐसा व्यक्ति जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष एक महीने पहले आवेदन जमा करे.

हालांकि भारतीय दंड संहिता के प्रावधान भी जबरन धर्म परिवर्तन में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हैं, यह इस समस्या का पूर्ण समाधान प्रदान नहीं करता है, इसलिए इस कानून का अधिनियमन समय की आवश्यकता है, मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया.

एक अन्य सवाल का जवाब देते हुए खट्टर ने कहा कि इस विधेयक के पारित होने के बाद इसे निश्चित रूप से लागू किया जाएगा.लेकिन पुराने मामलों में अगर कोई शिकायत मिलती है तो कानून के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी.