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क्या राम मंदिर निर्माण में हिंदुओं की भावना से खिलवाड़ हुआ है ?

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

क्या राम मंदिर निर्माण में हिंदुओं के साथ धोखा हुआ है ? ( Have the sentiments of Hindus been tampered with in the construction of Ram Temple?) यह अहम सवाल राम मंदिर में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा की तारीख करीब आने के साथ जोर-शोर से उठने लगा है. इस सवाल को उठाने में वे लोग भी शामिल हैं, जिनके सिर पर बाबरी मस्जिद ढहाने की कालिख पुती है.

अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर में 22 जनवरी को भगवान राम की प्रतिमा का प्राण प्रतिष्ठा होना है. इसको लेकर चारों पीठों के शंकराचार्य को गंभीर ऐतराज है. उन्होंने कई धार्मिक पहलुओं को उजागर करते हुए इस धार्मिक कार्यक्रम से खुद को दूर करने की घोषणा की है. देश के चारों पीठ के शंकराचार्य प्राण प्रतिष्ठा के पूजा-पाठ में शामिल नहीं होंगे, ऐसा कहा जा रहा है.

इस बीच एक और विवाद ने जोर पकड़ लिया है. कहा कहते हैं कि आयोध्या की बाबरी मस्जिद के जिस हिस्से को भगवान राम का जन्म स्थल माना जा रहा था. हिंदूवाली संगठन कहते थे कि मस्जिद के गर्भगृह की जगह में राम पैदा हुए थे. यही नहीं बाबरी मस्जिद शहीद करने के बाद उस हिस्से में ‘राम लला’ स्थापित भी कर दिया गया था.

आरोप है कि राम मंदिर का निर्माण उस जगह से तकरीबन तीन-चार मिलो मीटर दूर किया गया है. यानी पिछले तर्कों से अलग चार किलोमीटर दूर मंदिर का निर्माण किया गया है. उसी जगह 22 जनवरी को भगवान राम की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा होगी.

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बाबरी मस्जिद को ढहाने में अगुवा शिव सेना के नेता का कहना है कि प्राण प्रतिष्ठा उस जगह नहीं हो रही है, जहां भगवान राम का जन्म हुआ था. वहां से तीन-चार किलोमीटर दूर हो रही है. शिव सेना के राज्यसभा सदस्य संजय राउत ने अपने फेसबुक पेज पर इसका खुलासा करते हुए राम मंदिर के निर्माण और बाबरी मस्जिद के गर्भ गृहवाली जगह की सेटेलाइट तस्वीर भी साझा की है.

इसी हवाले से अब कई मुस्लिम नेता भी आवाज बुलंद कर रहे हैं. मांग कर रहे हैं कि बाबरी मस्जिद वाली एक एकड़ जमीन उन्हें मस्जिद निर्माण के लिए दे दी जाए. पास में मुस्लिम आबादी भी है.मुस्लिम नेताआंे का कहना है कि बाबरी मस्जिद को वहां राम का जन्म स्थान बताकर ढहा दी गई. अब उस जगह से तीन किलोमीटर दूर राम मंदिर का निर्माण किया गया और वहीं 22 जनवरी को भागवान राम की मूर्ति स्थापित होगी.

बाबरी मस्जिद वाली जगह आज भी खाली है. इसे हासिल करने के लिए सुप्रिम कोर्ट में क्यूरिटीव पटीशन डाली गई है.एक मुस्लिम नेता ने सोशल मीडिया पर एक पत्रकार से बात करते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अरब मुल्कों से गहरी दोस्ती है. वह दुनिया के मुसलमानों की बातें करते हैं. इसलिए बाबरी मस्जिद वाली जगह लौटा दी जाए.

उक्त नेता का यह भी कहना है कि सुप्रीम कोर्ट पहले की कह चुकी है कि बाबरी मस्जिद गलत ढंग से गिराई गई है. जमीयत उलेमा हिंद के अरशद मदनी तो बाबरी मस्जिद गिराए जाने पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसे के संदर्भ में यहां तक कहते हैं, ‘‘बाबर कौन है, इसे जमाना याद रखेगा.’’

बहरहाल, बाबरी मस्जिद से दूर राम मंदिर बनाए जाने को लेकर अब तरह-तरह की बातें तैरने लगी हैं. यहां तक कि इसे हिंदुओं की भावना से खिलवाड़ बताया जा रहा है. जबकि कई मुस्लिम लीडर ने 22 जनवरी के कार्यक्रम से मुसलमानों को दूर रहे और भीड़-भाड़ वाले इलाके में नहीं जाने की सलाह दी है.

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