High Court Of Bombay अरनब गोस्वामी सहित सभी इलेक्ट्रॉनिक व प्रिंट मीडिया को तब्लीगियों से माफी मांगनी चाहिए !
रिपब्लिक टीवी के अरनब गोस्वामी सहित देश के तमाम न्यूज चैनल्स एवं अखबारों को तबलीग़ जमातियों के खिलाफ कोरोना संक्रमण फैलाने के ‘दुष्प्रचार’ के लिए माफी मांगनी चाहिए ! इस मामले में मुंबई हाई कोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने जैसी टिप्पणी की है, उससे तो उनका माफीनामा बनता ही है। बेंच का कहना है कि कोरोना संक्रमण फैलाने के नाम पर न्यूज चैनल्स व अखबारों ने तबलीग़ जमातियों को मुहरा बनाया। मनगढंत आरोप लगाए। कोर्ट ने ऐसे ही एक मामले की सुनवाई करते हुए 29 विदेशी जमातियों को तमाम आरोपों से बरी कर दिया। साथ ही उनके खिलाफ दर्ज मुकदमे निरस्त करने के आदेश दिए।
ग़ौरतलब है कि कोरोना संक्रमण विस्तार के पहले चरण में दिल्ली के निमाजामुद्दी स्थिति तबलीग़ जमात के मुख्यालय ‘मरकज’ में एक कार्यक्रम के लिए एकत्रित देशी एवं विदेशी ढाई हजार के करीब जमातियों को लेकर खूब बवंडर मचा। पुलिस की मौजूदगी में न केवल उनसे मरकज खाली कराया गया, देश के विभिन्न हिस्सों में उनकी गिरफ्तारियां भी र्हुइं। उन्हें जबरन क्वरंटीन किया गया। इस दौरान कई विदेशी जमाती पुलिस के हत्थे चढ़ गए।़ इस मामले को इलेक्ट्रॉनिक एवं पिं्रंट मीडिया ने खूब उछाला। आधा दर्जन से अधिक न्यूज चैनल्स जमातियों के पीछे हाथ धोकर पड़ गए। इस्लामी विद्वानों को टीवी चैनल्स के स्टूडियो में बुलाकर ‘डिबेट’ के नाम पर अपमानित किया गया। रिपब्लिक टीवी संचालक अरनब गोस्वामी के बारे में एक न्यूज पोर्टल के समाचार के अनुसार, उन्होंने अपने शो में मुस्लिम उलेमा को उनका पक्ष रखने से रोका। अरनब पूरे शो में उनपर बरसते रहे। मीडिया में तब्लीगियों को मानव बम बताया गया। खिलाड़ी से भाजपा की नेता बनीं बबीता फोगाट एवं सिने तारिका कंगना रनाउट की बहन ने जमातियों को सुअर तक की संज्ञा दे डाली। इस क्रम में आम मुसलमान भी निशाना बने। कॉलोनियों में मुस्लिम सब्जीफरोशों को घुसने से रोका गया। और तो और। फलों में थूक लगाकर बेचने के आरोप में कई फल बेचने वाले पकड़े गए।
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मुकदमा किया निरस्त, मीडिया को फटकार
29 विदेशी जमातियों के मामले की सुनवाई करते हुए मुंबई हाई कोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने कहा, दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में भाग लेने देशी एवं विदेशी से आए तबलीग़ जमातियों के खिलाफ प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने प्रॉपेगेंडा वार चलाया। इसके दबाव में आकर महाराष्ट्र में उनपर आईपीसी, महामारी रोग अधिनियम, महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम, आपदा प्रबंधन अधिनियम व विदेशी नागरिक अगिनियम की धराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। सुनवाई के क्रम में हाईकोर्ट ने तमाम आरोपों को खारिज कर दिया। आरोपों से जमातियों को बरी करते हुए कोर्ट ने उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी निरस्त करने के भी आदेश दिए। उनपर दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज के कार्यक्रम में शामिल होने के आरोप में एफ़आईआर दर्ज की गई थी। सुनवाई के दौरान मीडिया को फटकार लगाते हुए कोर्ट ने जमातियों को बलि का बकरा बनाने की बात कही। मीडिया ने इन्हें संक्रमण फैलाने का जिम्मेदार बताने के लिए प्रॉपेगेंडा वार चलाया। मरकज में आए देशी और विदेशी तबलीग़ जमातियों के खिलाफ मीडिया ने दुष्प्रचार किया। कोर्ट ने कहा कि देश में संक्रमण के फैलाने के लिए इनके खिलाफ एक्शन नहीं लिया जाना चाहिए था। इसकी क्षतिपूर्ति के लिए पॉजिटिव कदम उठाने की आवश्यकता है।
गौरतलब है कि अभी देश में तब्लीगियों की कोई गतिविधि नहीं चल रही। यहां तक कि देश की अधिकांश मस्जिदें पिछले पांच महीने से बंद पड़ी हैं। उसमें सामूहिक नमाज तक नहीं हो रही। इसके बावजूद पिछले एक पखवाड़े से विश्वभर में भारत में कोरोना संक्रमण के पैर पसारने की गति सर्वाधिक है। अब तक इससे करीब 30 लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं तथा 56 हजार से अधिक लोगों की जान जाने की खबर है।
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संपादक