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हमास के पूर्व प्रधानमंत्री इस्माइल हानियेह ने पैसा कैसे कमाया ?

मुस्लिम नाउ विशेष

दुनिया का दस्तूर है. यदि कमजोर आदमी या संगठन अपने हक-हकूत के लिए संघर्ष करे तो मजबूत पक्ष उसे या तो अपराधी अथवा आतंकवादी घोषित कर देता है. अंग्रेज के शासनकाल में भारत की आजादी के दिवानों के साथ यही हुआ और अब यह अपनी जमीन की वापसी के लिए संघर्ष कर रहे फिलिस्तीनियों के साथ दोहराया जा रहा है. फिलिस्तीन की जमीन पर कब्जा कर बैठे इजरायल की हरचंद कोशिश है कि उसके विरूद्ध संघर्ष करने वाले को या तो मार गिराया जाए या आतंकवादी घोषित कर उसे कहीं का न छोड़ा जाए. इजरायल की इस कोशिश को वहां की खुफिया एजेंसी मुसाद ( Mossad), सेना, थिंकटैंक और मीडिया खूब आगे बढ़ रहे हंै.

यहां तक कि अभी जब हमास और इजरायल सेना के बीच संघर्ष चल रहा है तो उसके तमाम नेताओं को जलील और बदनाम करने की कोशिशें चल रही हैं. मुसाद ने तो इसके लिए अभी बजाप्ता अभियान चला रखा है. अपने मकसद को आगे बढ़ाने के लिए जमकर सोशल मीडिया का सहारा लिया जा रहा है. हाल में मोसाद की ओर से एक्स पर एक वीडियो डाला गया जिसमें यह भ्रम फैलाने की कोशिश की गई कि अत्याचार के नाम पर तमाम फिलिस्तीनी नेता दुनिया भर से चंदा इकट्ठा करते हैं, फिर विदेशों में बैठक उन्हीं पैसे से अय्याशी करते हैं.

अभी इस्माइल हानियेह दूसरी बार इजरायल-हमास युद्धविराम की कोशिश को आगे बढ़ाने के लिए प्रयासरत हैं. हानियेह हमास के बड़े लीडरों में से एक हैं. मगर इनकी छवि खराब करने के लिए इजरायल समर्थक थिंकटैंक से लेकर इजरायली मीडिया पुरजोर तरीके से यह प्रचार करने में लगा है कि उन्होंने गाजा के नाम पर करोड़ो रूपये इकट्ठे कर लिए हैं. यहां तक कि प्रचार किया जा रहा है कि उन्हांेने अवैध तरीके से अरबों कमाए हैं. हद यह कि गूगल में उनकी कमाई से लेकर अनेक सवाल पूछे गए हैं.

यही नहीं इन सवालों के जवाब में इजरायली थिंकटैंक और इजरायली मीडिया के अनेक बनावटी जवाब मौजद हैं. जो लोग सोशल मीडिया और वेबसाइट के साथ एसईओ को लेकर काम करते हैं, उन्हें पता है कि एक भ्रामक जानकारी अत्याधिक लोगों तक पहुंचाकर कैसे दुष्प्रचार किया जा सकता है ? भारत में अभी यह पुरजोर तरीके से हो रही है, जबकि विदेशों में ऐसा सोशल मीडिया के आने के साथ ही शुरू हो गया था.विभिन्न थिंकटैंक यही तो करते हैं. अपने उद्देश्य को साधने के लिए जानकारियों को तोर-मरोड़कर पेश करते हैं.

कौन हैं इस्माइल हानियेह जिनकी छवि खराब करने में लगा है इजरायल

विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म से इकट्ठी कर यहां कुछ ऐसी जानकारियां परोसी जा रही हैं, जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि हमास लीडर कैसे इजरायली प्रोपगंडा के निशाने पर हैं.ब्रिटानिका की वेबसाइट( britannica.com) पर दी गई जानकारी के अनुसार, 2014 के ल्दमज लेख के अनुसार, हनियेह एक करोड़पति हैं, जिन्हांेने यह धन मिस्र से गाजा पट्टी तक सुरंगों के माध्यम से प्रवेश करने वाली सभी वस्तुओं पर 20 प्रतिशत कर लगाकर यह अर्जित किए हैं. हनियेह के सबसे बड़े बेटे को मिस्र के अधिकारियों ने राफा बॉर्डर क्रॉसिंग पर कई मिलियन डॉलर के साथ गिरफ्तार किया था, जिसे वह गाजा में ले जाने का इरादा रखता था.

इस्माइल हानियेह एक नजर में

  • जन्मः जनवरी 29, 1963
  • अल-शती शरणार्थी शिविर, गाजा पट्टी
  • -राजनीतिक संबद्धता: हमास
  • हमास नेता 2006-07 में फिलिस्तीनी प्राधिकरण (पीए) के प्रधानमंत्री रहे
  • तब हमास ने 2006 के चुनाव में फिलिस्तीनी विधायी में बहुमत से सीटें जीतीं थीं
  • प्रतिद्वंद्वी फतह के साथ गुटीय लड़ाई के बाद सरकार का विघटन हुआ और गाजा पट्टी में एक स्वायत्त हमास के नेतृत्व वाले प्रशासन की स्थापना
  • हनियेह ने गाजा पट्टी (2007-14) में वास्तविक सरकार के नेता के रूप में कार्य किया
  • -2017 में उन्हांेने हमास के राजनीतिक ब्यूरो प्रमुख खालिद मेशाल की जगह ली

प्रारंभिक जीवन और राजनीतिक गतिविधि

1948 में अशकेलोन (जो अब इजराइल है) के पास अपने गांव से विस्थापित फिलिस्तीनी अरब माता-पिता के बेटे, इस्माइल हानियेह ने अपना प्रारंभिक जीवन गाजा पट्टी के अल-शती शरणार्थी शिविर में बिताया, जहां उनका जन्म हुआ. उनकी शिक्षा संयुक्त राष्ट्र राहत और कार्य एजेंसी फॉर फिलिस्तीन रिफ्यूजीज इन द नियर ईस्ट (यूएनआरडब्ल्यूए) द्वारा संचालित स्कूलों में हुई. 1981 में, हनियेह ने गाजा के इस्लामिक विश्वविद्यालय में दाखिला लिया, जहां उन्होंने अरबी साहित्य का अध्ययन किया. वह छात्र राजनीति में भी सक्रिय रहे और मुस्लिम ब्रदरहुड से संबद्ध एक इस्लामी छात्र संघ का नेतृत्व करते थे.

जब 1988 में इस्लामवादी समूह हमास का गठन हुआ, तो इस्माइल हानियेह इसके युवा संस्थापक सदस्यों में से एक थे. उन्होंने समूह के आध्यात्मिक नेता शेख अहमद यासीन के साथ घनिष्ठ संबंध विकसित किए. इस्माइल हानियेह को 1988 में इजरायली अधिकारियों ने गिरफ्तार कर लिया था. पहले इंतिफादा (इजरायली कब्जे के खिलाफ विद्रोह) में भाग लेने के लिए छह महीने की कैद की सजा सुनाई. उन्हें 1989 में फिर गिरफ्तार किया गया. तब तक जेल में रहे जब तक इजराइल ने उन्हें लगभग 400 अन्य इस्लामवादियों के साथ 1992 में दक्षिण लेबनान नहीं भेज दिया. ओस्लो समझौते के बाद इस्माइल हानियेह 1993 में गाजा लौट आए. उनकी वापसी पर, उन्हें इस्लामिक विश्वविद्यालय का डीन नियुक्त किया गया.

प्रधान मंत्री पद और हमास नेतृत्व

हमास में इस्माइल हानियेह की नेतृत्वकारी भूमिका 1997 में शुरू हुई जब वह यासीन के निजी सचिव बने. वह यासीन के शेष जीवन तक आध्यात्मिक नेता के करीबी विश्वासपात्र बने रहे. ये दोनों 2003 में इजराइल द्वारा एक असफल हत्या के प्रयास का निशाना थे, हालांकि कुछ महीने बाद ही यासीन की हत्या कर दी गई थी.

2006 में, हमास ने फिलिस्तीनी विधायी चुनावों में भाग लिया, जिसमें हनियेह शीर्ष पर रहे. समूह ने संसद में अधिकांश सीटें जीतीं और हनियेह प्रधानमंत्री बने. इसपर अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने हमास के नेतृत्व पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पीए को सहायता रोक दी, जिससे शासी निकाय पर महत्वपूर्ण वित्तीय दबाव पड़ा. जून 2007 में, महीनों के तनाव के बाद, जिसमें गुटों के बीच सशस्त्र संघर्ष भी शामिल था, फतह पार्टी के महमूद अब्बास ने हनियेह को बर्खास्त कर दिया. उनकी सरकार भंग हो गई.

इसके तुरंत बाद, इजराइल ने गाजा पट्टी पर प्रतिबंधों का एक पैकेज लागू कर दिया. मिस्र ने भी इसका अनुसरण किया. जनवरी 2008 में गाजा पट्टी से इजराइल में रॉकेटों की बौछार के बाद, इजराइल ने अपनी नाकाबंदी तेज कर दी.

फिर भी, गाजा पट्टी पर हमास का नियंत्रण बना रहा. इसका शासन यदा-कदा राजनीतिक सफलताओं और असफलताओं के बीच झूलता रहा. इजराइल से रियायतें लेने के मामले में, हमास ने पकड़े गए इजराइली सैनिक गिलाद शालित के बदले में इजराइल द्वारा बंदी बनाए गए 1,000 से अधिक फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई सुनिश्चित की. इसके अलावा, 2014 की गर्मियों में इजराइल के साथ युद्ध में हमास के प्रदर्शन को फिलिस्तीनी जनता द्वारा व्यापक रूप से सफल माना गया. लेकिन, विशेष रूप से, निरंतर नाकाबंदी के कारण गाजा पट्टी में रहने की स्थिति काफी खराब हो गई.

इस बीच, गाजा पट्टी में हमास और वेस्ट बैंक में फतह के नेतृत्व वाले पीए के बीच सुलह के कई प्रयास हुए. 2014 में ऐसे ही एक प्रयास में, गाजा में गुटीय हमास सरकार ने फतह के साथ एकता सरकार के लिए रास्ता बनाने के लिए औपचारिक रूप से इस्तीफा दे दिया. ऐसा करते हुए, हनियेह ने प्रधानमंत्री के रूप में अपना पद त्याग दिया. हालांकि, वह गाजा में हमास के स्थानीय नेता बने रहे. 2017 में उनकी जगह याह्या सिनवार ने ले ली. महीनों बाद, हनियेह को खालिद मेशाल की जगह हमास के राजनीतिक ब्यूरो का प्रमुख चुना गया.

विदेशों में करते हैं हमास का नेतृत्व

दिसंबर 2019 में, हनियेह ने गाजा पट्टी छोड़ दी. तुर्की और कतर में रहने लगे. इससे विदेश में हमास का प्रतिनिधित्व करने की उनकी क्षमता आसान हो गई.उनकी सबसे उल्लेखनीय यात्राओं में ईरानी इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) के शीर्ष कमांडर कासिम सुलेमानी का अंतिम संस्कार था, जिनकी अमेरिकी सेना ने हत्या कर दी थी. जनवरी 2020 में अमरिकी ड्रोन ने हमला किया था. जब यू.एस. सैनिक अफगानिस्तान से वापस चले गए, हनियेह ने तालिबान नेता अब्दुल गनी बरादर को फोन करके अमेरिका के अंत पर बधाई दी. अक्टूबर 2022 में हनियेह ने सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद से मुलाकात की.सीरियाई विद्रोह के दौरान हमास द्वारा संबंध तोड़ने के बाद हमास और सीरिया के नेताओं के बीच पहली बैठक थी.

इस्माइल हानियेह की छवि खराब करने को इजरायल थिंक टैंक का दुष्प्रचार

जेविश वर्चुएल लाइब्रेरी डाॅट ओआरजी ( jewishvirtuallibrary.org) हमास नेता इस्माइल हनियेह की छवि खराब करने में पूरी तरह से लगा हुआ है. उसकी आरे से इनपर खास रिपोर्ट छापी गई है, जिसमें बताया गया है, ‘‘हमास के वरिष्ठ नेता और एक समय फिलिस्तीनी प्राधिकरण के विवादित प्रधानमंत्री थे.’’ इस रिपोर्ट में आगे लिखा गया है- उनके जन्म की सही तारीख अज्ञात है. 1992 में उन्हें 400 अन्य हमास कार्यकर्ताओं के साथ लेबनान निर्वासित कर दिया गया था, लेकिन अंततः उन्हें गाजा लौटने की अनुमति दी गई.1997 में उन्हें हमास के आध्यात्मिक नेता अहमद यासीन के कार्यालय का प्रमुख नियुक्त किया गया था. तब से वह इजराइल रक्षा बलों के रडार हैं. 2003 में, यरूशलेम में एक बस पर आत्मघाती बम विस्फोट के बाद, इजरायली वायु सेना ने हमले की योजना बनाने के लिए हनियेह और हमलावर मोहम्मद दीफ को जिम्मेदार ठहराया.’’

एक अन्य थिंकटैंक‘काउंटर एक्सट्रमिज्म प्रोजेक्ट’ ( counterextremism.com) ने अपनी वेबसाइट पर इस्माइल हनियेह को लेकर एक रिपोर्ट प्रकाशित किया है. इसमें कहा गया है कि वह हमास के राजनीतिक ब्यूरो के प्रमुख हैं.’’ रिपोर्ट मंे आगे कहा गया है,हमास की शूरा काउंसिल ने 6 मई, 2017 को हनियेह को हमास के राजनीतिक ब्यूरो का नया प्रमुख चुना.

हनियेह ने लंबे समय से हमास के लिए एक राजनीतिक भूमिका की वकालत की है. फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने हमास और फतह बलों के बीच संघर्ष के बाद जून 2007 में जब हनियेह को प्रधानमंत्री पद से हटा दिया तो उन्होंने अपनी बर्खास्तगी अस्वीकार कर दी. इसके बाद फतह और पीए को गाजा से अलग कर दिया.

कौन हैं हमास नेता याह्या सिनवार I Who is Yahya Sinwar Hamas leader ?

हमास ने अब तक यह खुलासा नहीं किया है कि क्या हनियेह समूह के राजनीतिक ब्यूरो के प्रमुख के रूप में कतर में स्थानांतरित होंगे. हालांकि हमास के शीर्ष राजनीतिक नेताओं ने बड़े पैमाने पर गाजा के बाहर रहने का विकल्प चुना है, ताकि वे आवाजाही पर प्रतिबंध से बच सके. मेशाल 2012 से कतर के दोहा में रह रहे हैं. हनियेह ने मक्का की पारंपरिक इस्लामी तीर्थयात्रा करने और कतर में मेशाल की यात्रा करने के लिए 2016 के अंत में गाजा छोड़ दिया. जिससे अटकलें तेज हो गईं कि वह कतर में स्थानांतरित हो गए. हमास ने अफवाहों को खारिज कर दिया और कहा कि हनियेह गाजा लौट आएंगे. मई 2017 के चुनाव के बाद न्यूयॉर्क टाइम्स की खबर छपि थी कि हनियेह कतर चले गए हैं. ’ हालांकि, हारेत्ज ने बाद में बताया कि हनियेह गाजा और कतर के बीच यात्रा करते हैं.वह काफी हद तक मिस्र पर निर्भर हैं, जो उन्हें क्षेत्र से बाहर निकलने की इजाजत देता है.’

रिपोर्ट मंे कहा गया है, मेशाल ने अपने निवर्तमान भाषण में कहा कि हनियेह और हमास का राजनीतिक ब्यूरो मुक्ति, यरूशलेम, कैदियों, शरणार्थियों के अधिकारों, गाजा पर लगाए गए घेराबंदी को हटाने और आंतरिक एकता हासिल करने के प्रमुख मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखेगा.’

वह तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन के साथ मिल चुके हैं.’’ इस रिपोर्ट में तुर्की को बदनाम करने की कोशिश की गई है. कहा गया है कि हमास ने तुर्की सरकार की जानकारी में इस्तांबुल में एक बेस से आतंकवादी हमलों की योजना बनाना जारी रखा हुआ है. यही नहीं उन्होंने इसी नियत से मलेशिया, रूस, लेबनान, मॉरिटानिया और कुवैत का दौरा करने की भी योजना बनाई है. इस्तांबुल में हनियेह ने तुर्की मीडिया से कहा कि वह ईरान के साथ हमास के रिश्ते को मजबूत करने की कोशिश में हैं.’ यह सबको पता है कि ईरान और इजरायल में छत्तीस का आंकड़ा है.

हमास और मिस्त्र का रिश्ता खराब करने की कोशिश

हनियेह के बारे में रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वह इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के कुद्स फोर्स के कमांडर कासिम सुलेमानी के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए ईरान की यात्रा की थी. हनियेह अंतिम संस्कार में तकरीर की थी. वह बोलने वाले मुट्ठी भर लोगों में से एक थे. उन्होंने ईरान की प्रशंसा की और प्रतिज्ञा की कि फिलिस्तीनी प्रतिरोध जारी रहेगा. हनियेह ईरानी सर्वोच्च नेता अली खामेनेई के करीब खड़े थे, जिससे संकेत मिलता है कि हमास ईरान के साथ अपने संबंधों को बहाल करने का प्रयास कर रहा है. अंतिम संस्कार से पहले, हनियेह ने ईरानी विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद जरीफ को शोक संवेदना व्यक्त की. हनियेह ने इस्माइल गनी से भी मुलाकात की थी. इस रिपोर्ट में भ्रम फैलाने की नियत से आगे कहा गया, ‘‘ उनकी तेहरान यात्रा ने कथित तौर पर मिस्र सरकार को नाराज कर दिया था. उसने स्पष्ट रूप से उन्हें ईरान जाने से मना किया था.’

रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया कि फरवरी 2020 की शुरुआत में, अपुष्ट रिपोर्टों में दावा किया गया है कि मिस्र ने हनियेह को राफा सीमा पार के माध्यम से गाजा पट्टी पर लौटने से रोक दिया था, जिससे हनियेह कतर में बस गए. हमास के वरिष्ठ अधिकारी खलील अल-हय्या ने बाद में कहा कि हनियेह कम से कम छह महीने तक गाजा पट्टी के बाहर रहेंगे. ’ 22 अगस्त 2022 को हनियेह ने फिर से एर्दोआन से मुलाकात की. इसपर यूएस विदेश विभाग ने हमास के साथ तुर्की सरकार के संबंधों के बारे में चिंताओं को उच्चतम स्तर पर उठाया.’ रिपोर्ट मंे यह भी दावा किया गया कि हनियेह ने लेबनान में हिज्बुल्लाह नेता हसन नसरल्लाह से मुलाकात की थी. दोनों नेताओं ने इजरायल के खिलाफ प्रतिरोध की धुरी की स्थिरता की पुष्टि की और इजरायल और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बीच औपचारिक संबंधों की घोषणा जैसे क्षेत्रीय विकास का विरोध किया. हनियेह और नसरल्लाह ने संयुक्त रूप से इजराइल के साथ अरबों के सामान्यीकरण की निंदा की.हनियेह ने लेबनान के ऐन अल-हिलवे फिलिस्तीनी शरणार्थी शिविर का भी दौरा किया है.

हनियेह के पास कुल 11 अरब डॉलर संपत्ति होने का दावा

रिपोर्ट मंे दावा किया गया है कि हनियेह अभी भी कतर में रह रहे हंै. जहां हनियेह कुल संपत्ति 11 अरब डॉलर है. उन्होंने यह पैसे चंदे और सुरंगों से आवा-जाही पर टैक्स लगाकर जमा किए हैं. हमास नेता कतर में कार्यालयों के साथ आवाजाही की स्वतंत्रता भी बनाए रखते हुए हैं. इस इजरायल समर्थक थिंकटैंक की रिपोर्ट में यह भी दावा किया है कि हनियेह की तस्वीरें लक्जरी होटलों, निजी जेट विमानों और कतर की राजधानी दोहा के आसपास राजनयिक क्लबों में ली गई हैं.’

यह भी दावा किया गया है कि 3 जुलाई, 2023 को, पीए अध्यक्ष महमूद अब्बास ने सभी फिलिस्तीनी गुटों के बीच दरार को खत्म करने और फिलिस्तीनी शासन में एकता बनाने के लिए 14 फिलिस्तीनी गुटों के बीच सुलह वार्ता का आह्वान किया था. बैठक से पहले, हनियेह ने अब्बास से इजराइल के साथ सुरक्षा सहयोग समाप्त करने और फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन का पुनर्गठन करने की मांग की. इसके अलावा एक छत्र संगठन जिसमें हमास और फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद को छोड़कर अधिकांश फिलिस्तीनी गुट शामिल हों के गठन का मुद्दा भी रखा था.

इसके बाद 30 जुलाई को, हनियेह और अब्बास ने मिस्र के अल अलामीन में अन्य फिलिस्तीनी गुटों के नेताओं से मुलाकात की. हनियेह ने इजराइल के लिए व्यापक प्रतिरोध की प्रशंसा की, जबकि अब्बास ने शांतिपूर्ण लोकप्रिय प्रतिरोध के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई.’ सम्मेलन में अपने संबोधन में, हनियेह ने फिलिस्तीनियों से इजराइल में राजनीतिक उथल-पुथल का फायदा उठाने का आह्वान किया. उन्होंने स्वतंत्र लोकतांत्रिक चुनावों के आधार पर गठित एक नई, समावेशी संसद का भी आह्वान किया. ’ नेता अंतर-फिलिस्तीनी सुलह पर एक समिति बनाने पर सहमत हुए.’

अबू उबैदाह हमास कौन हैं ? उनके महत्वपूर्ण वक्तव्य

हमास ने 7 अक्टूबर, 2023 को ’ इजरायल पर किए गए हमले को ऑपरेशन अल-अक्सा बाढ़ का नाम दिया है.’ कहते हैं हनियेह और हमास के अन्य अधिकारियों ने दोहा में हनियेह के कार्यालय से इस हमले को लाइव देखा था. हनियाह ने तब एक प्रेस बयान जारी कर हमले को हमास की कई चेतावनियों के बाद इजरायली अपराधों की प्रतिक्रिया बताया था. रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि इजरायल पर हमास के हमले को देखकर हनियेह और अन्य नेता खुशी से झूम उठे और फिर सजदा में झुक गए. हनियेह ने इस हमले की प्रशंसा करते हुए इसे इजरायली-फिलिस्तीनी संघर्ष में एक नए युग की शुरुआत बताया.’ इस रिपोर्ट से ऐसी छवि पेश करने की कोशिश की गई है, जिससे लगे कि इजरायल पर हमास का हमला इनकी रणनीति का ही नतीजा है.