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कैसे खान अकादमी गणित पढ़ने वालों की बन गई सहारा

शिरीन जामूजी, नई दिल्ली

उत्तर प्रदेश सरकार ने स्कूली बच्चांे का गणित सुधारने के लिए खान अकादमी से समझौता किया है. आइए, जानते हैंदुनिया भर में चर्चित खान अकादमी और इसके संस्थापक सलमान खान के बारे मंे, जो लंबे समय से छात्रों के गणित सुधारने मंे लगे हुए हैं.

2003 में जब हेज फंड विश्लेषक सलमान साल खान ने अपनी भतीजी नादिया को गणित पढ़ाने के लिए यूट्यूब पर एक वीडियो अपलोड किया, तो उन्हें कम ही पता था कि यह दुनिया के सबसे बड़े ऑनलाइन स्कूल के तौर पर शुमार होने लगेगा.

न्यू ऑरलियन्स में पले-बढ़े सलमान खान की गिनती 7 साल की उम्र में प्रतिभाशाली छात्रों में होने लगी थी. इस दौरान उन्हें पारंपरिक स्कूल के माहौल में बाकी छात्रों से अलग अपने ज्ञान को विकसित करने पर भरपूर ध्यान केंद्रित किया.

वह शिक्षा के प्रति अपने अपरंपरागत दृष्टिकोण का श्रेय उन शिक्षकों को देते हैं जिन्होंने कम उम्र से उनकी रुचियों को बढ़ाने में मदद की. जानकर हैरानी होगी कि उन्होंने प्रतिष्ठित मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से गणित, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग और कंप्यूटर साइंस में तीन बैचलर ऑफ साइंस डिग्री सहित इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग और कंप्यूटर साइंस में मास्टर ऑफ साइंस के अलावा कई शैक्षणिक योग्यताओं के सनद हासिल किए हुए हैं.

उनके पास हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एमबीए की भी डिग्री है. यही उनके व्यापक ज्ञान का आधार भी, जिसने खान अकादमी वीडियो अपलोड करने को प्रेरित किया.

बचपन में सलमान खान का सपना बेहद सरल था. वह एक ऐसी शिक्षण पद्धति विकसित करना चाहते थे जिसके द्वारा छात्र तेज गति से सीख सकें. जहाँ वे विषयों की जितनी बार आवश्यकता हो उतनी बार समीक्षा कर सकें. बिना किसी निर्णय का अनुभव किए और जहां वे उन विशिष्ट क्षेत्रों को लक्षित कर सकें जिनमें उन्हें लगा कि उन्हें सहायता की आवश्यकता है.

शुरुआत में वीडियो बेहद बुनियादी थे. बाद में उन्हांेने डिजिटल ब्लैकबोर्ड पर क्रांति ला दी. उन्हें लगता है कि उनके छात्र उनके द्वारा लाए गए मानवीय तत्व को पसंद करते हैं. वे असाधारण ग्राफिक्स और व्याकुलता की रणनीति के बिना पढ़ाना चाहते हैं, ताकि सीखने में उन्हें परेशानी का सामना न करना पड़े.

अपने पहले वीडियो को बंपर समर्थन मिलने के बाद, उन्होंने महसूस किया कि इसे अधिक से अधिक लोग देखना चाहते हैं. उनके फाॅलोवर्स भी तेजी से बढ़ रहे हैं. यूट्यूब बाॅक्स में उन्होंने कुछ छात्रों से बातचीत की. वे वर्षों से कुछ विषयों पर अटके हुए थे और मदद मांगने में शर्मिंदगी महसूस कर रहे थे. इसके बाद उन्होंने गणित सीखना छोड़ दिया था. यहां तक ​​कि कुछ शिक्षक इसे कक्षा में लागू करने का प्रस्ताव भी कर चुके थे.

बता दंे कि 2008 में उन्होंने खान अकादमी को एक गैर-लाभकारी संगठन के तौर पर स्थापित किया था. उस दौरान इसे वैध ऑनलाइन स्कूल बनाने पर जोर दिया गया. खान ने अपने खाली समय का उपयोग वीडियो बनाने के लिए किया. 2009 में उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और उसके अगले वर्ष खान अकादमी को पूर्ण उद्यम के रूप में बनाने में लग गए.

उन्होंने एक छोटी सी टीम की मदद से कई विषयों पर वीडियो बनाए. ये वीडियो बुनियादी से लेकर उन्नत गणित, भौतिकी, ब्रह्मांड विज्ञान, इतिहास, रसायन विज्ञान और कई विषयों के थे. उनका मानना ​​​​है कि उन्नत छात्रों के ज्ञान में भी अंतर होता है. यहां तक ​​​​कि 95 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाले बच्चों में 5 प्रतिशत ऐसे होते हैं जो न केवल अनिश्चित के शिकार रहते हैं. इस बीमारी की वजह से उन्हें अच्छे ग्रेड भी नहीं मिलते. सलमान ने खान अकादमी बनाकर, यह सुनिश्चित किया है कि छात्र अपने समस्या क्षेत्रों की पहचान कर सकें और उन पर काम कर सकें. ताकि अपनी कमी पर काबू पा सकें.

खान अकादमी की इस प्रणाली को कैलिफोर्निया और उसके आसपास के स्कूलों में लागू किया गया. इस दौरान उन्होंने पाया कि इनकी तकनीक अपनाने पर औसत बच्चों के ग्रेड में खासा उछाल आया है. इसके बाद खान को नए तरीकों के बारे में सोचने पर मजबूर किया. उनका संगठन शिक्षा में वैश्विक स्तर पर सुधार लाना चाहता है.

कुछ साल पहले उन्होंने फैसला किया कि हालांकि खान अकादमी जबरदस्त परिणाम दे रही है, पर यह पारंपरिक शिक्षण का पूरक होने के लिए अपर्याप्त है. इस तरह, 2012 में द वन वर्ल्ड स्कूल हाउस की अवधारणा ने जन्म लिया. वो, दशकों से, लोग स्कूल की शिक्षा प्रणाली में बदलाव लाने में लगे हैं. खान का मानना ​​है कि तकनीकी क्रांति की शुरुआत आंदोलन को वास्तविकता बनाने के लिए आवश्यक है. अपनी पुस्तक में खान ने आदर्श स्कूल पर्यावरण के लिए अपने सपने रेखांकित किए हैं. उनकी नई संरचना दुनिया भर के हर स्कूली बच्चे की कल्पना की तरह है.कोई होमवर्क नहीं. कोई ग्रेड नहीं. कोई निश्चित कार्यक्रम या आयु-निर्धारित कक्षाएं नहीं. एक ही समय में सभी छात्रों को पढ़ाने के पारंपरिक दृष्टिकोण को ऐसी दुनिया की कल्पना बना दी है, जहां हर छात्र तेजी से प्रगति कर सके और अपनी ताकत के अनुसार सीख सके.

छात्रों के गणित कौशल बढ़ाने को खान अकादमी से यूपी सरकार का समझौता

उत्तर प्रदेश सरकार ने 48,000 सरकारी स्कूलों में पांच लाख से अधिक बच्चों के गणित सीखने के कौशल को बढ़ाने के लिए खान अकादमी इंडिया के साथ एक नए समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया है.

सरकार के प्रवक्ता के अनुसार, यह पार्टनरशिप कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी), माध्यमिक शिक्षा विभाग और समाज कल्याण विभाग के स्कूलों सहित बुनियादी शिक्षा विभाग में बच्चों और शिक्षकों के लिए हिंदी में उच्च गुणवत्ता वाली गणित सीखने की सामग्री को सुलभ बनाएगी. उन्हें मूल रूप से कक्षाओं में एकीकृत करेगी.

खान अकादमी इंडिया भारत में लाखों शिक्षार्थियों के लिए मुफ्त, विश्व स्तरीय शिक्षा प्रदान करने के लिए एक गैर-लाभकारी संगठन है. इसकी स्थापना 2006 में खान अकादमी इंक और टाटा ट्रस्ट द्वारा की गई थी.

उत्तर प्रदेश के स्कूल शिक्षा के महानिदेशक विजय किरण आनंद ने कहा, उत्तर प्रदेश सरकार और खान एकेडमी इंडिया के बीच समझौता यह सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है कि प्रत्येक छात्र के पास गणित में उत्कृष्टता हासिल करने और अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने के लिए आवश्यक उपकरण और संसाधन हों.

उन्होंने कहा, केजीबीवी में कार्यक्रम की सफलता उज्जवल भविष्य के रूप में कार्य करेगी. हमें उनके साथ अपनी मजबूत साझेदारी को जारी रखने और विस्तार करने पर गर्व है.2021 से, उत्तर प्रदेश सरकार ने केजीबीवी तक सीमित सरकारी स्कूलों में गणित सीखने के परिणामों में सुधार के लिए खान अकादमी के साथ मिलकर काम किया है. उत्साहजनक परिणामों ने इस साझेदारी के विस्तार को प्रेरित किया है.

सेकंड ईयर के खत्म होने तक, इस कार्यक्रम में 746 केजीबीवी से 72,000 बच्चों को शामिल किया गया और 24,000 से अधिक को प्रति माह 60 मिनट के लिए गणित अभ्यास में शामिल किया गया. इसके बेहतर परिणाम सामने आए.पार्टनरशिप का मकसद दीक्षा पोर्टल पर शिक्षकों के लिए खान अकादमी के टेक-बेस्ड मॉड्यूल की मेजबानी करना है, ताकि राज्य भर के सभी शिक्षकों को वर्ल्ड क्लास कंटेंट और हिंदी-मीडियम में गणित सीखने के संसाधनों तक पहुंच सुनिश्चित हो सके.

इसके अलावा, खान अकादमी की टीम 48,000 शिक्षकों को उनकी पसंदीदा भाषा में ऑनलाइन शिक्षण संसाधनों का लाभ उठाने और व्यक्तिगत छात्र प्रगति डेटा के आधार पर सीखने में मदद करेगी.

पार्टनरशिप उत्तर प्रदेश में शैक्षिक बुनियादी ढांचे को और मजबूत करेगी, गणित शिक्षा में उत्कृष्टता और नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देगी. शिक्षक अपने छात्रों का समर्थन करने के लिए बेहतर ढंग से सुसज्जित होंगे, जबकि छात्रों को आकर्षक, व्यक्तिगत सीखने के अनुभवों से लाभ होगा.

जैसे-जैसे अधिक छात्र गणित के दैनिक अभ्यास में भाग लेते हैं, क्षेत्र में गणित शिक्षा की समग्र गुणवत्ता में सुधार होना तय है. यह पहल सभी सामाजिक प्रयासों परिवर्तन के लिए अपने कॉपोर्रेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) अंब्रेला ब्रांड के तहत एचडीएफसी बैंक द्वारा समर्थित है.