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अल-कायदा लीडर खालिद अल-बतरफी के कितने नाम, जिनकी रहस्यमय मौत हो गई

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, सना, यमन

आतंकवादी संगठन की पहचान रखने वाले अल-कायदा की यमन शाखा के लीडर खालिद अल-बतरफी की रहस्यमय स्थिति में मौत हो गई. अमेरिकी सरकार ने इनपर पांच मिलियन डॉलर का इनाम घोषित कर रखा था. बताते हैं कि अल-कायदा को चरमपंथी समूह का सबसे खतरनाक संगठन माना जाता है.

अल-कायदा ने एक वीडियो जारी किया है जिसमें अल-बतरफी को काले और सफेद झंडे में लपेट कर कफन करते दिखाया गया है. इस वीडियो में मृत्यु के कारण की कोई जानकारी नहीं दी गई है. वीडियो में दफन करते समय उनके चेहरे पर किसी तरह के चोट के निशान नहीं थे. अल-बतरफी की उम्र 40 के आसपास थी.

एसआईटीई इंटेलिजेंस ग्रुप के अनुसार, अल-कायदा ने अपने वीडियो में कहा, अल्लाह ने उनकी रूह ले ली, जबकि उन्हें धैर्यपूर्वक इनाम होने की भूमिका निभाई. वी जेल में भी बंद रहे और जिहाद भी किया.अल-कायदा ने रमजान की पूर्व संध्या पर घोषणा की कि यमन यह पाक महीना सोमवार से शुरू होगा. साथ ही कहा गया कि उनकी मौत के बाद साद बिन अतेफ अल-अवलाकी को उनकी जगह नेता चुना गया है.

अल-अवलाकी ने कहा कि अमेरिका ने उस पर 6 मिलियन डॉलर का इनाम रखा ह. उन्हांेने सार्वजनिक रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके सहयोगियों के खिलाफ हमले का आह्वान किया है.अल-कायदा की यमन शाखा को वाशिंगटन ने 2009 में अपने एक वाणिज्यिक विमान पर बमबारी के प्रयास के बाद आतंकवादी नेटवर्क की हैसियत से पहचान दी है. इसने 2015 में पेरिस में फ्रांसीसी व्यंग्य साप्ताहिक चार्ली हेब्दो पर हुए घातक हमले की जिम्मेदारी ली थी.

अल-बतरफी ने फरवरी 2020 में यमन शाखा के प्रमुख के रूप में पदभार संभाला था. उन्होंने कासिम अल-रिमी के स्थान पर नेता चुना गया था. कासिम की अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के आदेश पर ड्रोन हमले में मौत हो गई थी. अल-रिमी ने 2019 में अमेरिकी नौसेना एयर स्टेशन पेंसाकोला पर हुए हमले की जिम्मेदारी ली थी, जिसमें एक सऊदी विमानन प्रशिक्षु ने तीन अमेरिकी नाविकों की हत्या कर दी थी.

अल-बतरफी का जन्म रियाद में

सऊदी अरब के रियाद में पैदा हुए अल-बतरफी ने 1999 में अफगानिस्तान की यात्रा की और अमेरिका के नेतृत्व वाले आक्रमण के दौरान तालिबान के साथ लड़ाई लड़ी थी. अमेरिका के अनुसार, वह 2010 में अल कायदा में शामिल हुआ और यमन के अबयान प्रांत पर कब्जा करने में सेना का नेतृत्व किया.

2015 में, एक छापे के बाद उसे मुक्त कर दिया गया था, जिसमें आतंकवादियों ने यमन के सबसे बड़े प्रांत, हद्रामावत की राजधानी मुकल्ला पर कब्जा कर लिया था. यमन के हौथी विद्रोहियों द्वारा राजधानी सना पर कब्जा करने के बाद हुई अराजकता के बीच, और सऊदी के नेतृत्व वाले गठबंधन ने हौथिस के खिलाफ. युद्ध शुरू कर दिया था.

उस समय की एक तस्वीर में अल-अवलाकी को कलाश्निकोव राइफल के साथ एक सरकारी महल के अंदर पोज देते हुए उसे दिखाया गया था. बाद में मुकल्ला से बाहर कर दिया गया था, लेकिन उसने हमले जारी रखे और तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के प्रशासन के बाद से वह अमेरिकी ड्रोन हमले अभियान का लक्ष्य रहा है.

2020 में दावे किए गए थे कि अल-बरताफी को हिरासत में लिया गया था, जिसे बाद में अस्वीकार कर दिया. 2021 में, उन्होंने यूएस कैपिटल में 6 जनवरी को हुए दंगे को अल्लाह की मरजी से, उनके पास जो आएगा उसका केवल एक छोटा सा हिस्सा बताया था.

खालिद बतरफी मीडिया विशेषज्ञ और सैन्य कमांडर

खालिद बतरफी अमेरिका द्वारा नामित यमन स्थित अरब प्रायद्वीप में अल-कायदा (एक्यूएपी) का नेता रहा है. वह कथित तौर पर एक मीडिया विशेषज्ञ होने के साथ एक सैन्य कमांडर भी था. जिसने यमन में आतंकवादी हमलों की योजना बनाई थी. वह पूर्व में एक्यूएपी का अमीर रहा है. एक जानकारी के अनुसार खालिद बतरफी हाईस्कूल पास था.

बतरफी का जन्म 1979 में सऊदी शहर रियाद में हुआ था. जेद्दा में माध्यमिक विद्यालय से पास होने के बाद, उन्हांेने अल-कायदा से जुड़े विचारक अबू कतादा सहित कई प्रसिद्ध इस्लामवादी विद्वानों के साथ अध्ययन किया. बायोडाटा के अनुसार, बतरफी ने 1999 में अल-कायदा के अल-फारूक शिविर में प्रशिक्षण के लिए अफगानिस्तान की यात्रा की. 2001 में, बतरफी ने तालिबान के साथ मिलकर उत्तरी गठबंधन और अमेरिकी सेना के खिलाफ लड़ाई लड़ी.’

2010 में, बतरफी यमन में में शामिल हो गया. उस वर्ष अल-कायदा ने यमन के अबयान प्रांत पर कब्जा कर लिया और बतरफी को अपना अमीर (नेता) नामित किया. ’ यमनी सुरक्षा बलों ने मार्च 2011 में बतरफी को पकड़ लिया था.

जेल से फरार मुजरिम रहा हैं बतरफी

वह 2 अप्रैल, 2015 को अल-मुकल्ला की केंद्रीय जेल से भाग निकले थे.’ अपने भागने के तुरंत बाद, बतरफी ने अल-मुकल्ला में खाली कराए गए प्रांतीय महल में यमनी झंडे को रौंद दिया. उन्हांेने महल के अंदर एके-47 लहराते हुए अपनी सेल्फी सहित तस्वीरें वायरल कीं.

बतरफी अल-कायदा के प्रचार वीडिया में भी दिखाई दे चुके हैं. अल-कायदा ने अगस्त 2015 में बतरफी का एक वीडियो जारी किया, जिसमें चट्टनोगा शूटर मोहम्मद यूसुफ अब्दुलअजीज की प्रशंसा की गई थी और अमेरिका, फ्रांस और अन्य कुफ्र राष्ट्रों की निंदा की गई थी. अल-कायदा के वैचारिक नेता नासिर बिन अली अल-अंसी की अप्रैल 2015 में अमेरिकी ड्रोन हमले में मौत हुई थी. जून 2016 में, बतरफी ने एक बयान जारी कर अल-कायदा नेता नासिर अल-वुहायशी की प्रशंसा की थी. यह उस समय की बात है जब उनकी अमेरिकी हवाई हमले में मौत हुई थी.

बतरफी ने धमकी दी थी कि अल-कायदा अमेरिकी अर्थव्यवस्था को निशाना बनाएगा, अमेरिकी हितों पर हमला करेगा और उन्हें नष्ट कर देगा.जून 2017 में, बतरफी ने कतर के साथ संबंध तोड़ने के लिए सऊदी अरब, बहरीन, संयुक्त अरब अमीरात और मिस्र की निंदा की थी. चार देशों द्वारा कतर में कई मुस्लिम ब्रदरहुड- और अल-कायदा से संबंधित व्यक्तियों को नामित करने के बाद बतरफी ने अल-कायदा की ओर से एकजुटता का एक बयान जारी किया था.

बतरफी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवादी संगठनों की सूची बनाए जाने पर, इसकी निंदा की थी और इसे मुसलमानों के खिलाफ युद्ध बताया था. उन्हांेने सभी इस्लामी विद्वानों, प्रचारकों और समूहों से अत्याचारियों के खिलाफ जिहाद का समर्थन करने का आह्वान किया था.18 अक्टूबर, 2018 को, अमेरिकी विदेश विभाग ने बतरफी को पकड़ने में मदद करने वाली जानकारी के लिए 5 मिलियन डाॅलर का इनाम का ऐलान किया था.

2 अक्टूबर, 2020 को, एक आईएसआईएस समर्थक टेलीग्राम चैनल ने दावा किया कि अल-महरा में सऊदी के नेतृत्व वाली छापेमारी के बाद बतरफी ने खुद को यमनी सेना में बदल लिया. 3 फरवरी, 2021 को, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने एक रिपोर्ट में पुष्टि की गई है कि बतरफी को अक्टूबर 2020 में गिरफ्तार किया गया था और सऊदी अधिकारियों को सौंप दिया गया थ. अगले दिन, अमेरिकी सैन्य अधिकारी रिपोर्ट का खंडन किया और दावा किया कि बतर्फी पकड़ से बच गया और अभी भी फरार है.

अल-.कायदा लीडर खालिद अल.बतरफी के कितने नाम

अल-कायदा लीडर खालिद अल-बतरफी को बहरूपया कहा जाए तो कोई अतिशियुक्ति नहीं होगी. वह नाम और हुलिया बदलने में माहिर थे. उन्हें खालिद अल-बतरफी के अलावा भी कई नामों से जाना जाता था. काउंटर एक्ट्रमिज्म प्रोजेक्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, खालिद अल-बतरफी कुल आठ नामों से पहचाने जाते थे. पहला नाम तो खालिद अल-बतरफी ही थी. जबकि उनकी पहचान अबू मिकदाद अल-किंदी’,अबू अल-मिकदाद अल-किंदी,खालिद बिन उमर बतरफी,खालिद सईद बतरफी,अबयान अमीर से भी थी. जगह बदलने के साथ ही उनके नाम बदल जाते थे.