Politics

जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने से कितने बदले हालात ? 2018 से 2022 के बीच 761 आतंकी हमलों में 484 लोगों की जान गई

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, श्रीनगर

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 वापस लेने और सूबे को केंद्र शासित प्रदेश की शक्ल देने से क्या इसके हालात बदल गए हैं जिसका हमेशा दावा किया जाता रहा है. मगर अब इसपर से केंद्र ने ही परदा उठा दिया है.केंद्रीय राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बुधवार को राज्यसभा को सूचित किया कि 2018 और 2022 के बीच जम्मू-कश्मीर में 761 आतंकी हमलों में 174 नागरिकों, 308 सुरक्षा कर्मियों और 1002 आतंकवादियों सहित कुल 1484 लोग मारे गए. यानी जो लोग अनुच्छेद 370 हटने से आतंकवादी गतिविधियां घटने का दावा करते रहे हैं, इस सरकारी आंकडे़ से सच्चाई का पता चलता है.

उच्च सदन में एक प्रश्न का उत्तर देते हुए, राय ने आगे बताया कि इस अवधि में हुई 626 मुठभेड़ों में केंद्र शासित प्रदेश में 35 नागरिक मारे गए.उन्होंने यह भी कहा कि गृह मंत्रालय प्रभावित नागरिकों को तत्काल सहायता प्रदान करने के लिए नागरिक पीड़ितों, आतंकवादियों, सांप्रदायिक, वामपंथी हिंसा, सीमा पार गोलीबारी और भारतीय क्षेत्र पर माइन या आईईडी विस्फोटों के पीड़ितों के परिवारों को सहायता के लिए एक केंद्रीय योजना चलाता है. इसके माध्यम से पीड़ित परिवारों का भरण-पोषण किया जाता है. सवाल यह है कि जब जम्मू-कश्मीर में इतनी ही शांति है तो इसकी जरूरत क्यों आन पड़ी है ?

केंद्रीय मंत्री का कहना है कि यह योजना 2008 से लागू है. 24 अगस्त 2016 से मुआवजे की राशि 3 लाख से 5 लाख रुपये करने की घोषणा की गई है. राज्य सरकारें भुगतान करती हैं और उसके बाद प्रतिपूर्ति का दावा करती हैं. ”

हुर्रियत, जमीयत या पाकिस्तान से कोई बातचीत नहीं: अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कहा कि केंद्र हुर्रियत, जमीयत या पाकिस्तान से कोई बातचीत नहीं करेगा. सरकार केवल जम्मू-कश्मीर के युवाओं के साथ बात करेगी.शाह ने टिप्पणी की, जवाहरलाल नेहरू सरकार ने अनुच्छेद 370 के साथ गलती की. इस संसद ने 5 और 6 अगस्त, 2019 को इसे निरस्त कर दिया. इसके साथ, कश्मीर ने दो झंडे और दो संविधान खो दिए, और पीएम मोदी ने देश में इसका पूर्ण एकीकरण सुनिश्चित किया.

शाह ने कहा कि केंद्र ने कश्मीर में ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस और जमात-ए-इस्लामी पर सीमाएं लगा दी हैं. साथ ही आतंकवादी समर्थकों को नौकरियों से हटा दिया गया है.उन्होंने कहा कि अब आतंकवादियों के अंतिम संस्कार के जुलूस नहीं निकाले जाते और उन्हें वहीं दफनाया जाता है जहां वे मारे जाते हैं.

गृह मंत्री ने घोषणा की कि कश्मीर में लखनपुर टोल शुल्क, जहां भगवा पार्टी के विचारक श्यामा प्रसाद मुखर्जी को 1953 में जेल में डाल दिया गया था और जो करोड़ों भाजपा कार्यकर्ताओं के दिलों में कांटा था, समाप्त कर दिया गया है.

उन्होंने कहा,“ पहले कश्मीर में, दलितों, आदिवासियों या निचले वर्ग के लोगों के लिए कोई आरक्षण नहीं था. उनका आरक्षण हासिल करने की जिम्मेदारी नरेंद्र मोदी सरकार की थी. मुगल साम्राज्य के समय की सात पीढ़ियों से कश्मीर में रहने वाले सफाई कर्मचारी निवास प्रमाण-पत्र प्राप्त करने में असमर्थ थे. पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के हिंदुओं को निवास से वंचित कर दिया गया. प्रधानमंत्री मोदी ने सुनिश्चित किया कि उन सभी को अधिवास प्रमाण पत्र मिले. ”

शाह ने खुद को लोकतांत्रिक कहने वाली पार्टियों पर हमला बोलते हुए दावा किया कि तीन परिवारों – मुफ्ती, अब्दुल्ला और गांधी परिवार ने कश्मीर पर शासन किया, लेकिन पंचायत चुनाव नहीं हुए. उन्होंने कहा, पीएम मोदी ने उन्हें नवंबर-दिसंबर 2018 में आयोजित करवाया था.

उन्होंने दावा किया कि यूपीए शासन के पिछले नौ वर्षों और पीएम मोदी के शासन के पिछले नौ वर्षों के बीच, आतंकवादी घटनाओं में 68 प्रतिशत की कमी आई है. नागरिक और सुरक्षा बलों के कर्मियों की संयुक्त मृत्यु में 72 प्रतिशत की कमी हुई है. नागरिक मृत्यु में 82 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है. सुरक्षा कर्मियों की मौतों में भी 56 प्रतिशत की कमी आई है. हालांकि, गृहमंत्री जब सदन में यह दावा कर रहे थे, वहीं कश्मीर में दो दिन पहले शहीद हुए तीन सैनिकों को लेकर शोक मनाया जा रहा था. मुठभेड़ में वे आतंकवादियों के हमलों का शिकार हो गए थे.