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कश्मीर में भारी बिजली संकट, दावा आतंकवाद के नियंत्रण का

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, श्रीनगर

मैदानी और पठारी इलाकों में गर्मी के दिनों में यदि बिजनी न मिले जो लोगों का जीना मुहाल हो जाता है. ठीक यही स्थिति कश्मीर में जाड़े के दिनांे में देखने को मिलती है. एक तरफ तो सरकार आतंकवाद को नियंत्रित करने और विकास की नदी बहाने का दावा करती है, दूसरी तरफ ‘चिल्लाकंला’ के इस मौसम में श्रीनगर के लोग बिजली संकट से दोचार हैं.

सर्दियों के इस मौसम में कश्मीर वासी एक तरह से घर में दुबककर रह जाते हैं. चूंकि चिल्लाकलां में हर तरफ बर्फबारी होती है, इसलिए लोगों को ठंड से लड़ने के लिए निर्बाध्य बिजली आपूर्ति बेहद जरूरी है. मगर हो इसके इतर रहा है.

कश्मीर की वेबसाइट ‘ग्रेटर कश्मीर’ की एक खबर के अनुसार, ‘शोपियां के कई गांवों को बार-बार बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है.’ दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले के कई गांवों को रिसीविंग स्टेशन पर ओवरलोडिंग के कारण बार-बार बिजली कटौती झेलनी पड़ रही है.खबर में आगे कहा गया है ,‘चित्रगाम पावर रिसीविंग स्टेशन पर निर्भर सैकड़ों गांवों को बिजली कटौती का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है.’

यह तो केवल शोपियां जिले की स्थिति है. लगभग पूरे कश्मीर की यही दशा है. मैदानी इलाकों में गर्मी के दिन आने से पहले ओवर लोगिंड के मद्देनर बिजली के तार, ट्रांसफार्मर आदि को अपग्रेड कर दिया जाता है. ऐसे मौके पर बारबार फाॅल्ट न जाए. मगर कश्मीर में इसका घोर अभाव देखा जा रहा है. जाहिर सी बात है, यदि सर्दियों से पहले सिस्टम अपग्रेट होता तो आज यह नौबत नहीं आती.

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नवंबर के आखिर मंे एक मीडिया आॅउट लेट्स की खबर में बताया गया था कि ‘कश्मीर अभूतपूर्व संकट का सामना कर रहा है. कश्मीर में बिजली उत्पादन 1800 मेगावाट की मांग के मुकाबले 50-100 मेगावाट (मेगावाट) के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच है.’इस रिपोर्ट में आगे बताया गया है, ‘नतीजतन, घाटी, जहां 70 लाख से अधिक लोग रहते हैं, को 12-16 घंटे लंबी बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है. यह पिछले दो दशकों में सबसे लंबी कटौती है. द हिंदू ने इस बारे में विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की है.

बताया गया, ‘ये कटौती ऐसे समय में हुई है जब घाटी में तापमान 0 डिग्री सेल्सियस से नीचे है.’रिपोर्ट के मुताबिक, कश्मीर को दिन में 16 घंटे बिजली आपूर्ति बनाए रखने के लिए 1800 मेगावाट बिजली की जरूरत है. चैबीसों घंटे आपूर्ति के लिए 2200 से 2300 मेगावाट की आवश्यकता होती है.

बिजली विकास विभाग (पीडीडी) इस सर्दी में प्रति दिन केवल 50-100 मेगावाट ही उत्पादन कर पाया है, जबकि पहले यह 200-250 मेगावाट था. रिपोर्ट में कहा गया कि घाटे को पूरा करने के लिए, उत्तरी ग्रिड से बिजली खरीदी गई है. पिछली सरकारों द्वारा बिजली कटौती को छह से चार घंटे तक कम कर दिया गया था.

पीडीडी के एक अधिकारी ने बताया कि इस साल का उत्पादन कश्मीर में लंबे समय तक सूखे के साथ नवंबर में ठंडे तापमान के कारण प्रभावित हुआ है, जिससे झेलम जैसी नदियों में अपशिष्ट जल का बहाव धीमा हो गया है.रिपोर्ट में आगे बताया, ‘ बुजुर्गों पर प्रभाव डालने के अलावा, बिजली कटौती क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) के रोगियों के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती पेश कर रही है, जिनकी संख्या सर्दियों के दौरान बढ़ जाती है.

श्रीनगर के लाल बाजार के एक शोरूम के मालिक इम्तियाज खान ने द हिंदू अखबार को बताया,“मेरे पिता 70 वर्ष के हैं. सीओपीडी के मरीज हैं. हमें एक जनरेटर खरीदना पड़ा ताकि उनकी ऑक्सीजन सांद्रक मशीन बिना किसी रुकावट के चले. मुझे नहीं लगता कि सभी परिवार जनरेटर का खर्च उठा सकते हैं. लंबे समय तक बिजली कटौती ऐसे मरीजों के लिए मौत की घंटी है. साल के अंत में परीक्षा देने वाले छात्रों को भी बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्तमान में, सरकार 1150 मेगावाट खरीदती है लेकिन फिर भी 650 मेगावाट कम है.

जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के अध्यक्ष अल्ताफ बुखारी ने द हिंदू से कहा,“हमें जिम्मेदारी तय करनी होगी. अधिकारियों ने पानी के डिस्चार्ज में गिरावट के बारे में चेतावनी क्यों नहीं दी. उत्तरी ग्रिड से खरीद का प्रस्ताव क्यों नहीं तैयार किया. यह संकट रातोरात नहीं आया है. हम सभी को लंबे समय तक सूखे का सामना करना पड़ा. अगर निर्वाचित सरकार होती तो ऐसा संकट नहीं होता. जिम्मेदारी तय हो गई होती. यह सामूहिक सजा का पात्र है.

बताया गया कि उपराज्यपाल प्रशासन ने उत्तरी ग्रिड से बिजली खरीदने के लिए एक समिति गठित की है. अस्पतालों को बिजली कटौती का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. हालांकि, वर्तमान में उत्तरी ग्रिड में प्रति यूनिट लागत 3 से 4 रूपये के मुकाबले 42 रूपये है. द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के कई नेताओं ने बिजली संकट को लेकर श्रीनगर में पार्टी मुख्यालय और सड़क पर विरोध प्रदर्शन किया.

बिजली कटौती के खिलाफ जनता के आक्रोश के जवाब में, कश्मीर के संभागीय आयुक्त, विजय कुमार बिधूड़ी ने कहा कि एक सप्ताह के भीतर स्थिति में सुधार होने की उम्मीद है. “पहले घोषित बिजली शेड्यूल का पालन नहीं किया जा रहा है. सर्दी जल्दी शुरू होने से मांग अचानक बढ़ गई है.

यानी आपात स्थिति में पुरानी बिजली व्यवस्था चरमरा गई है. ऐसे में सवाल उठता है कि जब बिजली संकट को हम अब तक ठीक से नहीं संभाल पाए हैं तो आतंकवाद कैसे नियंत्रित होगा ? इसी कमजोरी का लाभ उठाकर आतंकवादी निरंतर सेना पर हमला कर रहे हैं. हाल के दिनों में कश्मीर में कई सुरक्षाकर्मी आतंकियों का निशाना बने हैं.