हैदराबादः एमबीटी की रजाकार फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग , इतिहास से छेड़छाड़ का आरोप
मुस्लिम नाउ ब्यूरो,हैदराबाद
एमबीटी ने इतिहास से छेड़छाड़ का आरोप लगाते हुए फिल्म रजाकार पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है.फिल्म रजाकार – द साइलेंट जेनोसाइड ऑफ हैदराबाद के पोस्टर लॉन्च के कुछ दिनों बाद, मजलिस बचाओ तहरीक (एमबीटी) ने सोमवार को फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग उठाई.
एमबीटी के प्रवक्ता अमजद उल्लाह खान ने कहा कि फिल्म रजाकार विकृत इतिहास और शुद्ध कल्पना पर आधारित है. इससे लोगों के बीच नफरत भड़क सकता है.पोस्टर लॉन्च कार्यक्रम में पूर्व तेलंगाना प्रमुख और करीमनगर के सांसद बंदी संजय कुमार, पूर्व सांसद एपी जितेंद्र रेड्डी और महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल सी विद्यासागर राव जैसे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति देखी गई.
रजाकार निजाम के शासन के तहत हैदराबाद राज्य में राष्ट्रवादी पार्टी के अर्धसैनिक स्वयंसेवी बल थे. 1938 में मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन नेता बहादुर यार जंग द्वारा गठित, भारत की आजादी के समय कासिम रजवी के नेतृत्व में उनका काफी विस्तार हुआ.खान ने आरोप लगाया कि फिल्म का निर्माण राजनेता गुडूर नारायण रेड्डी द्वारा किया जा रहा है, जिन्होंने 2018 के चुनावों के दौरान पार्टी फंड के दुरुपयोग के आरोपों का सामना करने के बाद कांग्रेस से भाजपा में अपनी वफादारी बदल ली थी.
रजाकार एक उर्दू शब्द है जिसका अर्थ है स्वयंसेवक. एमबीटी नेता ने कहा, दक्षिणपंथी इतिहासकारों ने इस शब्द का श्रेय मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन से जुड़ी एक काल्पनिक निजी सेना के सदस्यों को दिया है.खान ने कहा कि बीजेपी नेता इतिहास या उर्दू भाषा से अनभिज्ञ हैं. उन्होंने आरोप लगाया, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उर्दू अनुवाद का अर्थ रजाकारों का संघ भी होगा.
यदि फिल्म को अनुमति दी जाती है, तो कोई इसका सीक्वल लेकर आएगा, जिसका नाम पुलिस एक्शन होगा, जिसमें पुलिस कार्रवाई के दौरान किए गए अत्याचारों को दर्शाया जाएगा, जिसे 1948 की घटना के तुरंत बाद केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त टीम द्वारा तैयार की गई पंडित सुंदरलाल रिपोर्ट में दर्ज किया गया है.
कहा जाता है कि तत्कालीन हैदराबाद राज्य में पुलिस कार्रवाई के दौरान कम से कम 27000 से 40,000 मुसलमान मारे गए थे.