Hyderabad घरों में झाडू-पोछा और कपड़े सिल कर बैंक में जमा कराई गई नसरीन बेगम की गाढ़ी कमाई किसने उड़ाई ?
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पैसे गायब होने की शिकायत चार महीने पहले बैंक के अलावा पुलिस में दर्ज कराई गई, पर कहीं से नहीं मिला संतोषजनक जवाब। बैंक कर्मचारी अब सीधे मुंह बात भी नहीं करते
हैदराबाद के पुराने हिस्से मोहम्मद नगर की नसरीन बेगम पिछले चार महीने से पुलिस अधिकारियों के दफ्तर, थाने एवं बैंक के चक्कर काट रही हैं। उन्हें समझ में नहीं आ रहा कि इंसाफ की फरियाद लेकर अब कहां और किसके पास जाएं ? घर में लाचार शौहर और बेटियां हैं। कोरोना एवं लॉक डाउन ने सारा काम-धंधा छीन लिया। बैंक में रखी सारी जमा पूँजी भी ‘हवा’ हो चकी है और नौबत भूखे मरने की आ गई है।
कोरोना संक्रमण से पहले नसरीन बेगम का काम-धंधा ठीक चल रहा था। घरों में बर्तन मांजने के अलावा सिलाई का काम करने से हर महीने ठीक-ठाक कमाई हो जाती थी। इससे गंभीर चोट से विकलांग हो कर घर पर पड़े शौहर की दवा का खर्च सहित सभी जरूरतें पूरी हो रही थीं। इसके अलावा महीने की कमाई से दो हजार रूपये बचाकर वह हैदराबाद के पहाड़ी शरीफ के इंडियन बैंक की शाखा में भी नियमित जमा कर रही थीं। तभी कोरोना संक्रमण व लॉक डाउन अन्य मजदूरों की तरह उनपर भी आफत बनकर टूटा। रोजी-रोजगार के तमाम साधन छिन गए। लोगों ने घर में काम करने आने से मना कर दिया। कपड़े सिलने का सिलसिला भी बंद हो गया। ऐसे में फाके की नौबत आ गई। शुरूआती दिनों में कुछ लोगों ने मदद की, पर बाद में हाथ खींच लिया। इस बीच लॉक डाउन में ढील मिलने पर जब नसरीन अपने बैंक खाते से कुछ पैसे घर खर्च के लिए निकालने इंडिया बैंक पहुंची तो पैरों तले जमीन खिसक गई। खाते में फूटी कौड़ी नहीं थी। किसी ने सारे पैसे निकाल लिए।
रूपये निकासी का विवरण नहीं
नसरीन बेगम ने पाई-पाई जोड़ कर बैंक में एक लाख 35 हजार जमा कराए थे। पैसे जमा कराने की तमाम इंट्री उसकी पास बुक में दर्ज है, पर निकासी का कोई विवरण नहीं। आश्चर्यजनक है कि उसके नाम बैंक का एटीएम कार्ड तक नहीं, न ही उसके पास स्मार्ट फोन है। खाते में पैसे जमा कराने के बाद वह पास बुक अपनी अल्मारी में बंद कर रखती थी। फिर भी खाते से सारे पैसे निकल गए। एटीएम कॉर्ड क्लोनिंग, इंटरनेट बैंकिंग एवं कॉर्ड स्वैपिंग से खाते का डॉटा चोरी होने का हमेशा अंदेशा बना रहता है। नसरीन बेगम अपने खाते में केवल पैसे जमा कराती रही। कभी निकाला नहीं।
बैंक एवं पुलिस अधिकारियों का रवैया ठीक नहीं
नसरीन बताती हैं कि पैसे अपनी बच्चियों की शादी के लिए जमा कर रही थीं। कोरोना के कारण काम खत्म होने पर घर खर्च के लिए कुछ पैसे खाते से निकालने बैंक गईं थीं। तब उन्हें बताया गया कि खाते में धेला नहीं है। उनका आरोप है कि इस बारे में बैंक प्रबंधन से शिकायत करने पर मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया। खाते से पैसे गायब होने की शिकायत चार महीने पहले बैंक के अलावा पुलिस थाने में दर्ज कराई गई, वहां से भी संतोषजनक उत्तर नहीं मिला। बैंक कर्मचारी अब उससे सीधे मुंह बात नहीं करते। थाना बालापुर के लोग हर बार ‘जांच चल रही है’ कहकर टरका देते हैं। नसरीन बेगम ने इस बारे में हैदराबाद दक्षिण के डीसीपी से भी शिकायत की है, पर वहां से कोई उत्तर नहीं मिला है। टीडीपी अल्पसंख्यक सेल ग्रेटर हैदराबाद के उपाध्यक्ष मोहम्मद अहमद ने इस मामले में पहल करते हुए हैदराबाद के पुलिस आयुक्त से नसरीन बेगम को इंसाफ दिलाने की गुहार लगाई है। आदिल फारूख ने ट्वीट कर कुछ ऐसी ही अपील हैदराबाद के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त अपराध से की है।
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संपादक