इमाम खुमैनी ने सोवियत संघ-अमेरिका को अहसास कराया कि दो सुपरपावर के बगैर भी खड़े हो सकते हैं: दिल्ली में ईरान के राजदूत डॉ. इरज इलाही
मुस्लिम नाउ ब्यूरो / नई दिल्ली
दिल्ली में ईरान के राजदूत डॉ. इरज इलाही ने कहा कि सोवियत संघ और अमेरिका दुनिया की दो महाशक्तियां थीं. ईरान में इंकलाब ए इस्लामी के साथ जो कारनामा इमाम खुमैनी ने अंजाम दिया, उससे दोनों देशों को सुपरपावर होने का अहसास खत्म कर दिया.
उन्होंने दोनों महाशक्तियों को चुनौती दी और साबित किया कि दुनिया के कई देश इन दोनों महाशक्तियों के बिना भी खड़े हो सकते हैं.उन्होंने आगे कहा कि इमाम खुमैनी का विशेष ध्यान धर्म पर आधारित नैतिक और रहस्यमय मूल्यों पर था, जो उनके कार्यों में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है.
दिल्ली में ईरान के राजदूत डॉ. इरज इलाही इंकलाब ए इस्लामी जम्हूरिया ईरान के संस्थापक इमाम खुमैनी की 34वीं जयंती पर दिल्ली स्थित ईरान कल्चरल हाउस में ‘इमाम खुमैनी का रहस्यवादी और राजनीतिक सिद्धांत” विषय पर आयोजित कांफ्रेंस में बोल रहे थे. इस दौरान ओडिषा के बालासोर ट्रेन में हादसे में मारे गए लोगों के प्रति संवेदन प्रकट की गई.
इस मौके ईरान कल्चरल हाउस के सांस्कृतिक परामर्शदाता डॉ. फरीदुद्दीन असर ने इमाम खुमैनी के हवाले से कहा उनका आंदोलन किसी विशेष भूगोल से संबंधित नहीं, न ही इसे किसी स्थान तक सीमित किया जा सकता है. उन्होंने जो कारनामा किया, वह सत्ता हासिल करने के लिए नहीं था, बल्कि इस कारनामे में शुद्ध रहस्यमय और नैतिक शिक्षाएं हैं.
उन्होंने कहा कि इमाम खुमैनी ने बड़ी संख्या में संकलनों में रहस्यवादी शिक्षाएं हैं और उनके संकलनों का विषय रहस्यवाद है.
खुमैनी ने इस्लाम को व्यवस्था की तरह पेश किया
जमात-ए-इस्लामी हिंद के उप अमीर मोहम्मद सलीम इंजीनियर ने कहा कि 20 वीं सदी में जिन शख्सियतों ने इस्लाम को वकार दी, इस्लाम को दुनिया में एक व्यवस्था के तौर पर पेश किया. लोगों के व्यक्तिगत, सामाजिक और राजनीतिक जीवन को बदलने वाले शख्सियतों ने भविष्य बदल दिया. उनमें इमाम खुमैनी का नाम प्रमुख है.
सांप्रदायिकता-धार्मिक मतभेदों के खिलाफ
वहीं पद्म अख्तरुल वासे ने कहा कि दुनिया में लोग जिंदा होते हैं, फिर मर जाते हैं. बहुत कम लोग हैं जिन्हें दुनिया सालों तक खूबियों और नेकियों के साथ जिंदा रखती है. उनमें इमाम खुमैनी भी हंै. वह बुनियादी तौर पर सांप्रदायिकता और धार्मिक मतभेदों के खिलाफ थे۔
आखिर में अतिथियों द्वारा पुस्तक का विमोचन किया गया. उनके अलावा बड़ी संख्या में विद्वान और सामाजिक हस्तियां मौजूद थीं.