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आईएमपीएलबी असम में बाल विवाह को लेकर गिरफ्तारी के विरूद्ध जाएगा सुप्रीम कोर्ट, कानूनविद फैजान मुस्तफा बोले-बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियां उचित नहीं

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

असम मंे बाल विवाह के नाम पर मुसलमानों को धड़ाधड़ जेल में डालने की कार्रवाई के खिलाफ अब आवाजें उठने लगी हैं. इस बारे में जहां देश के चर्चित कानूनविद फैजान मुस्तफा का कहना है कि बड़े पैमाने पर गिरफ्तारी उचित नहीं, वहीं उन्हांेने यह भी कहा कि सरकार की इस विवादास्पद कार्यशैली के कारण एक महिला ने आत्महत्या कर ली. इस बीच अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) असम में बाल विवाह पर हालिया कार्रवाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी कर रहा है.

इसकी कार्यसमिति के एक सदस्य ने सोमवार को यह जानकारी दी. गुवाहाटी हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और समिति के सदस्य हाफिज राशिद अहमद चैधरी ने कहा कि रविवार को लखनऊ में बोर्ड की बैठक में यह निर्णय लिया गया.

उन्होंने कहा, मैंने इस मुद्दे को उठाया और इस पर विस्तृत चर्चा हुई.मुस्लिम लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र से जुड़ा एक मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.

चैधरी ने कहा, मुस्लिम पर्सनल लॉ के अनुसार, मुस्लिम समुदाय की कोई लड़की 15 वर्ष की आयु के बाद शादी कर सकती है. पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने एक फैसले में कहा कि कोई भी मुस्लिम लड़की 15 साल की होने के बाद अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी कर सकती है. इस प्रकार के विवाह बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के अनुसार भी अवैध नहीं है.

हालांकि, हाईकोर्ट के फैसले को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा शीर्ष अदालत में चुनौती दी गई थी.वरिष्ठ अधिवक्ता ने बताया कि अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इस मामले में पक्षकार बनने की अपील करेगा.

उन्होंने कहा, हालांकि यह मामला असम से जुड़ा नहीं है, लेकिन दोनों मामले शादी करने के लिए महिलाओं की न्यूनतम आयु तय करने से संबंधित हैं. इसलिए, हम इसमें एक पक्ष बनना चाहेंगे.चैधरी ने आरोप लगाया कि असम सरकार ने बाल विवाह के मुद्दे पर लोगों को गिरफ्तार करते समय कानूनों का पालन नहीं किया है.

उन्होंने कहा, बाल विवाह को रोका जाना चाहिए, लेकिन ऐसा कोई भी कदम उठाने से पहले सरकार को इसके खिलाफ जागरूकता फैलानी चाहिए.इस बीच एनडीटीवी से बात करते हुए देश के चर्चित कानून विशेषज्ञ फैजान मुस्तफा ने कहा कि

भारत में बाल विवाह बड़ी समस्या है. भाजपा शासित प्रदेश कर्नाटका में यह समस्या 300 प्रतिशत बढ़ गई है. हिंदुओं में यह समस्या 16 प्रतिशत है. मुल्ला-मौलवी बाल विवाह को सही ठहराते हैं. उन्हांेने बताया कि 1927 में बाल विवाह रोकने के लिए शारदा बिल आई थी. पिछले साल इस कानून में संशोधन कर शादी की आयु 21 वर्ष कर दी गई है. इसके बावजूद क्रिम्नल एक्ट के तहत कार्रवाई करने से इसे रोका नहीं जा सकता.

फैजान मुस्तफा ने कहा कि बाल विवाह के नाम पर लार्ज स्केल में गिरफ्तरियां उचित नहीं. उन्हांेने कहा कि असम में इस आरोप में पिता की गिरफ्तारी के बाद एक महिला ने आत्महत्या कर ली. उन्हांेने कहा कि बाल विवाह रोक ना है तो लड़कियों को शिक्षित करें.