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दिल्ली की सर्द रातों में राहुल गांधी ने जाना एम्स के बाहर मरीजों का हाल

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

दिल्ली में हाड़ कंपा देने वाली ठंड और रुक-रुक कर हो रही बूंदाबांदी ने गरीब और बेघर लोगों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं. इस ठंड में इलाज के लिए इंतजार कर रहे हजारों मरीज और उनके परिजन एम्स अस्पताल के बाहर खुले आसमान के नीचे दिन-रात बिताने को मजबूर हैं. ऐसी स्थिति में, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने आधी रात को वहां पहुंचकर इन लोगों की समस्याओं को सुना और उनकी हालत का जायजा लिया.

जब ज्यादातर लोग अपने बिस्तरों में दुबके हुए थे, तब मामूली कपड़े पहने राहुल गांधी एम्स के बाहर फुटपाथों और सड़कों पर ठंड में ठिठुर रहे मरीजों और उनके परिजनों से मिलने पहुंचे. एम्स में देश के दूर-दराज के इलाकों से इलाज कराने आने वाले मरीजों की भीड़ लगी रहती है. महीनों के लंबे इंतजार के बाद भी उनका नंबर आता है, और इस बीच उन्हें अस्पताल के बाहर खुले में रहना पड़ता है.

बुनियादी सुविधाओं का अभाव

एम्स के बाहर इंतजार कर रहे मरीजों और उनके परिजनों के लिए ठहरने, खाने-पीने, और दवाइयों जैसी बुनियादी सुविधाओं का कोई इंतजाम नहीं है. कड़कड़ाती ठंड में भी लोग मजबूरन खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर हैं. दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार की ओर से इस दिशा में कोई मदद न मिलने पर राहुल गांधी ने मौके पर जाकर इनकी समस्याओं को समझा.

उन्होंने मरीजों, उनके परिजनों और आसपास के मेडिकल दुकानदारों से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने जाना कि ये लोग किस तरह से मुश्किल हालात का सामना कर रहे हैं.

कांग्रेस की प्रतिक्रिया

कांग्रेस ने राहुल गांधी के इस दौरे के कई वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा की हैं. एक ट्वीट में लिखा गया,”दिल्ली एम्स के बाहर देश के कोने-कोने से आए मरीज ठंड में सड़कों और फुटपाथों पर सोने को मजबूर हैं. यह सरकार के खोखले दावों को उजागर करता है.”

दूसरे ट्वीट में कहा गया,”नेता विपक्ष राहुल गांधी ने मरीजों और उनके परिवारों से मिलकर उनकी समस्याओं को सुना. मोदी सरकार और दिल्ली सरकार ने इन्हें अपने हाल पर छोड़ दिया है. यह असंवेदनशीलता बेहद शर्मनाक है.”

जिम्मेदारी से मुंह मोड़ती सरकारें

एम्स के बाहर मरीजों और उनके तीमारदारों की यह स्थिति सरकार की नाकामी को उजागर करती है. ऐसे में राहुल गांधी का ठंड में लोगों से मिलने जाना सरकारों की उदासीनता पर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है.. अब देखना यह होगा कि सरकार इस मुद्दे पर क्या कदम उठाती है..