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जमीयत के अधिवेशन में वक्फ और मस्जिदों की सुरक्षा पर जोर

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,किशनगंज (बिहार)

लहरा चौक, किशनगंज में आयोजित जमीयत उलेमा-ए-हिंद के एक बड़े अधिवेशन में अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने देश के मौजूदा सामाजिक-राजनीतिक हालात और अल्पसंख्यकों पर हो रहे अन्याय पर गहरी चिंता व्यक्त की. सभा में करीब एक लाख से अधिक लोग उपस्थित थे, जहां वक्फ, मस्जिद और मदरसों की सुरक्षा से जुड़े कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए गए.

सरकारों को चेतावनी: “हम हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं करेंगे”

मौलाना महमूद मदनी ने सभा को संबोधित करते हुए वक्फ संपत्तियों, मस्जिदों और मदरसों पर सरकारों के हस्तक्षेप को अनुचित ठहराया. उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, “हम अपने धार्मिक मामलों में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप सहन नहीं करेंगे और संविधान के दायरे में रहकर अपनी लड़ाई जारी रखेंगे.”

उन्होंने वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन और मस्जिदों की सुरक्षा की मांग करते हुए कहा कि सरकारें इन संपत्तियों की दुर्दशा को नजरअंदाज कर रही हैं. वक्फ अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन पर उन्होंने चिंता जताई और इसे मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप बताया.

मौजूदा सामाजिक-राजनीतिक माहौल पर चिंता

मौलाना मदनी ने कहा कि अल्पसंख्यकों, खासतौर पर मुसलमानों को कानूनी, आर्थिक और सामाजिक रूप से हाशिए पर धकेलने का प्रयास किया जा रहा है.उन्होंने कहा, “न्याय और निष्पक्षता किसी भी सभ्य समाज के आधार हैं. इनके बिना बड़े से बड़े राज्य भी टिक नहीं सकते.”

उन्होंने जाति और धर्म के आधार पर हो रहे भेदभाव को देश के मूल आदर्शों के खिलाफ बताया और सरकार से ऐसी नीतियों पर रोक लगाने का आह्वान किया.

वक्फ अधिनियम संशोधन का विरोध

मौलाना मदनी ने वक्फ संपत्तियों को मुस्लिम समुदाय की अमानत बताते हुए कहा, “वक्फ संपत्तियां सरकारी नहीं हैं. ये मुसलमानों द्वारा अल्लाह की खुशी के लिए दान की जाती हैं. सरकार का इन पर नियंत्रण बढ़ाने का कोई भी प्रयास हमें मंजूर नहीं.”

सभा में वक्फ अधिनियम संशोधन विधेयक का कड़ा विरोध किया गया. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और अन्य धर्मनिरपेक्ष दलों से इस विधेयक का विरोध करने की अपील की गई.

मस्जिदों और मदरसों की सुरक्षा पर जोर

सभा में मस्जिदों को सांप्रदायिक अभियानों का निशाना बनाए जाने पर गहरी चिंता व्यक्त की गई. प्रस्ताव में सर्वोच्च न्यायालय से 1991 के पूजा स्थल (विशेष सुरक्षा) अधिनियम के तहत मस्जिदों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक संवैधानिक पीठ स्थापित करने की अपील की गई.

इसके अलावा, मदरसों के खिलाफ चल रहे दुष्प्रचार की कड़ी निंदा की गई. सरकार से मांग की गई कि वह मदरसों के प्रति नकारात्मक रवैया छोड़कर उनके विकास में सहयोग करे.

पैगंबर मुहम्मद (PBUH) के सम्मान की रक्षा

सभा में सोशल मीडिया पर बढ़ती ईशनिंदा की घटनाओं पर गहरा रोष व्यक्त किया गया. प्रस्ताव में अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की गई कि वह पैगंबर मुहम्मद (PBUH) के खिलाफ अपमानजनक सामग्री को अंतरराष्ट्रीय अपराध घोषित करे और इस पर कड़ा कानून बनाए.

इस्लामोफोबिया और नफरत फैलाने वालों की निंदा

मौलाना मदनी ने सत्तारूढ़ पार्टी के कुछ पदाधिकारियों के भड़काऊ बयानों और सीमांचल में आयोजित नफरत भरी रैलियों को राष्ट्रीय अखंडता के लिए खतरा बताया. उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्य देश के सामाजिक ताने-बाने को कमजोर कर रहे हैं.

सभा में पारित अन्य महत्वपूर्ण प्रस्ताव
वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा:

वक्फ अधिनियम में संशोधनों का विरोध करते हुए सरकार से मांग की गई कि वह इन संपत्तियों पर मुस्लिम समुदाय के अधिकार को सुरक्षित रखे.

मस्जिदों की सुरक्षा:

मस्जिदों को निशाना बनाकर किए जा रहे अभियानों पर चिंता जताई गई और सर्वोच्च न्यायालय से हस्तक्षेप की मांग की गई.

मदरसों के विकास की मांग:

दुष्प्रचार रोकने और मदरसों के सकारात्मक योगदान को बढ़ावा देने का आह्वान किया गया.

सोशल मीडिया पर नफरत रोकने की अपील:

सोशल मीडिया पर ईशनिंदा की घटनाओं के खिलाफ सख्त कदम उठाने की मांग की गई.

एकता और सामाजिक सुधार पर जोर

मौलाना मदनी के अलावा अन्य वक्ताओं ने भी जमीयत के राष्ट्र निर्माण में योगदान पर प्रकाश डाला. मौलाना हकीमुद्दीन कासमी और कांग्रेस सांसद जावेद आलम ने कहा कि “समाज में सुधार और शिक्षा के जरिए ही देश को मजबूत किया जा सकता है.”

मौलाना मदनी ने अंत में मुसलमानों से संयम, धैर्य और रचनात्मक दृष्टिकोण अपनाने की अपील की. उन्होंने कहा कि “हमारे सामने कई चुनौतियां हैं, लेकिन इनका समाधान संविधान और कानून के दायरे में रहकर किया जा सकता है.”

यह अधिवेशन न केवल एक चेतावनी था, बल्कि देश में अल्पसंख्यकों के अधिकारों और उनके सम्मान की रक्षा का एक बड़ा संकल्प भी था.