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तुर्की के पाकिस्तान प्रेम पर भारत सख्त, जेएनयू ने तोड़ा शैक्षणिक गठजोड़

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,नई दिल्ली

भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे हालिया तनाव और तुर्की द्वारा पाकिस्तान के समर्थन में दिए गए बयानों के बीच जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) ने एक बड़ा कदम उठाते हुए तुर्की के इनोनू विश्वविद्यालय के साथ किए गए शैक्षणिक समझौता ज्ञापन (MoU) को राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों से स्थगित कर दिया है

यह समझौता 3 फरवरी 2025 को तीन वर्षों के लिए किया गया था, जिसमें छात्र और संकाय विनिमय, संयुक्त शोध, और क्रॉस-कल्चरल शैक्षणिक कार्यक्रमों को बढ़ावा देने की योजना थी।

तुर्की के राजनीतिक रुख से बिगड़े शैक्षणिक रिश्ते

जेएनयू प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई को जानकारी देते हुए बताया:

“हमने राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनज़र तुर्की के इनोनू विश्वविद्यालय के साथ किए गए समझौते को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है। इस समझौते के तहत विद्यार्थियों और प्रोफेसरों का परस्पर आदान-प्रदान होना था, लेकिन वर्तमान भूराजनैतिक स्थिति को देखते हुए यह उचित नहीं था।”

दरअसल, तुर्की सरकार ने हाल ही में भारत द्वारा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों पर किए गए सैन्य हमलों की निंदा की थी और इस्लामाबाद के प्रति समर्थन व्यक्त किया था। अंकारा का यह रुख भारतीय प्रशासन को असहज करने वाला रहा है, जिसे “भारत के आतंकरोधी रुख के खिलाफ प्रत्यक्ष राजनीतिक हस्तक्षेप” के रूप में देखा जा रहा है।

भारत-तुर्की रिश्तों में बढ़ती तल्खी

भारत और तुर्की के बीच पहले से ही सीमित व्यापारिक और कूटनीतिक संवाद था, लेकिन पाकिस्तान के मुद्दे पर तुर्की की सक्रियता ने स्थिति को और बिगाड़ दिया है। पिछले सप्ताह भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिनों तक चली सीमा पार ड्रोन व मिसाइल झड़पों के बाद दोनों देशों ने 10 मई को संघर्ष विराम पर सहमति जताई थी।

इसके बावजूद, तुर्की की ओर से पाकिस्तान के पक्ष में जारी बयान और भारत की सैन्य कार्रवाई की आलोचना ने दोनों देशों के संबंधों को तनावपूर्ण बना दिया है।

देशव्यापी तुर्की बहिष्कार की लहर

तुर्की के भारत विरोधी रुख के खिलाफ देशभर में असंतोष देखा जा रहा है। सोशल मीडिया पर #BoycottTurkey ट्रेंड कर रहा है। ऑनलाइन ट्रैवल कंपनियों जैसे EaseMyTrip और Ixigo ने अपने प्लेटफॉर्म पर तुर्की यात्राओं को लेकर ‘विचार करने की सलाह’ जारी की है।

इसके साथ ही, कई विश्वविद्यालयों और सांस्कृतिक संस्थानों से भी यह अपेक्षा की जा रही है कि वे तुर्की के साथ अपने शैक्षणिक गठजोड़ों पर पुनर्विचार करें।


क्या है इनोनू विश्वविद्यालय?

तुर्की के मालट्या शहर में स्थित इनोनू विश्वविद्यालय एक प्रतिष्ठित सार्वजनिक संस्थान है, जिसने हाल के वर्षों में अंतरराष्ट्रीय साझेदारी को प्राथमिकता दी है। जेएनयू के साथ हुआ यह MoU भी संस्कृति, भाषा, और तकनीकी सहयोग को केंद्र में रखते हुए तैयार किया गया था।

क्या अब संबंध फिर से सामान्य हो पाएंगे?

वर्तमान में भारत और तुर्की के बीच राजनयिक संतुलन की डोर अत्यंत पतली हो चली है। जेएनयू जैसे शीर्ष संस्थान द्वारा समझौता निलंबित करना एक प्रतीकात्मक कदम ज़रूर है, लेकिन यह इस बात का भी संकेत है कि भारत अब रणनीतिक और सुरक्षा संबंधी मुद्दों पर शैक्षणिक जुड़ाव को भी साधारण रूप में नहीं देखता।


निष्कर्ष:

जेएनयू का यह निर्णय भारत के बढ़ते राष्ट्रहित केंद्रित विदेश नीति दृष्टिकोण का हिस्सा है, जहां अकादमिक और सांस्कृतिक साझेदारियां भी अब सुरक्षा और कूटनीतिक प्राथमिकताओं के परिप्रेक्ष्य में ही संचालित की जाएंगी। तुर्की को भी यह स्पष्ट संदेश मिल गया है कि भारत अब ‘साफ-साफ जवाब’ की नीति अपना रहा है – फिर चाहे वह सीमा हो, व्यापार हो या शिक्षा।

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