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भारत के विशेषज्ञ बोले- हमास के हमले से इजरायल के ‘औरा’ को भारी नुकसान, इजरायली खुफिया विभाग पर उठे सवाल

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

एनडीटीवी इंडिया पर शनिवार की रात एक कायक्रम में इजरायल-फिलस्तीन विशेष सौरभ शाह ने कहा,‘‘ हमास के ताजा आक्रमक हमले से इजरायली ‘औरा’ को भारी नुकसान पहुंचा है.‘‘ दरअसल,उनके कहना का अर्थ था कि इजरायल की सेना, मुसाद और इसकी चैकसी को लेकर जिस तरह की कहानी बताई जाती है, उससे लगता है कि इन मजबूत परिस्थितियों में उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता. इसके विपरीत ने हमास ने शनिवार को सबको चौंका दिया. हद यह कि हमास के आतंकवादी इजरायल के कई सैनिक, आम नागरिक भी उठा ले गए और उन्हें बंधक बना दिया. वे अभी तक हमास के कब्जे में हैं.

इसके साथ ही इजरायल में हमास का सबसे बड़ा ऑपरेशन माने जाने वाले हमले को रोकने में इजरायली खुफिया सेवा बुरी तरह विफल रही. इजरायली मीडिया इसपर सवाल उठा रहे हैं कि ऐसा कैसे हो गया ?जब इजरायली अधिकारियों से पूछा गया कि इतने सारे संसाधन होने के बावजूद उन्हें हमले की पूर्व सूचना क्यों नहीं मिली, तो उन्होंने जवाब में कहा कि हमें इस बात का अंदाजा नहीं था कि ऐसा कुछ हो सकता है.

रिपोर्ट के अनुसार, शनिवार को दर्जनों फिलिस्तीनी बंदूकधारी इजराइल और गाजा के बीच की मजबूत सीमा को पार करने में कामयाब रहे, जबकि गाजा से इजराइल पर सैंकड़ों रॉकेट दागे गए.इजराइल की आंतरिक खुफिया सेवा शिन बैट और बाहरी खुफिया एजेंसी मोसाद और इजराइली सेना के तमाम संसाधनों के बावजूद हमास की यह कार्रवाई दुनिया के लिए अचानक और आश्चर्यजनक साबित हुई है. किसी को कोई भ्रम नहीं था कि ऐसा कुछ हो सकता है. भले ही वे स्वीकार करें कि उन्हें एक बड़े हमले की आशंका थी, वे इसे रोकने में विफल रहे.

इजराइल के पास मध्य पूर्व में सबसे व्यापक और अच्छी तरह से वित्त पोषित खुफिया एजेंसियों में से एक है. इजरायली एजेंसियों के मुखबिर हर जगह फैले हुए हैं और लेबनान, सीरिया और अन्य जगहों पर फिलिस्तीनी समूहों के साथ मौजूद हैं.उन्हें मुखबिरों का इस्तेमाल करके इजराइल ने अतीत में कई फिलिस्तीनी नेताओं की हत्या की है. कभी-कभी ये हमले ड्रोन द्वारा किए जाते हैं, जब मुखबिर किसी वांछित फिलिस्तीनी के वाहन पर जीपीएस ट्रैकर रख देते हैं.

जहां तक सुरक्षा बाड़ की बात है, गाजा और इजराइल के बीच तनावपूर्ण सीमा बाड़ पर कैमरे, ग्राउंड मोशन सेंसर और नियमित सेना गश्त लगाई जाती है.माना जा रहा है कि कंटीले तारों की बाड़ ठीक उसी तरह की घुसपैठ को रोकने के लिए थी, जो मौजूदा हमले के लिए की गई है.

हमास के आतंकवादियों ने बाड़ तोड़ दी. इजरायली क्षेत्र में प्रवेश कर गए. कुछ आतंकवादी पैराग्लाइडर का उपयोग करके समुद्र से भी प्रवेश कर गए.हमास द्वारा व्यवस्थित रूप से सुरक्षा में सेंध लगाने और फिर सैकड़ों रॉकेट दागने की असाधारण जटिल योजना निश्चित रूप से इजरायली खुफिया विभाग की विफलता है, क्योंकि यह सब उसकी नाक के नीचे हुआ.

इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि इजरायली मीडिया इस खुफिया विफलता पर अपने सैन्य और राजनीतिक नेताओं से सवाल कर रहा है कि यह सब कैसे हो सकता है.हैरानी की बात यह है कि आज से 50 साल पहले भी अक्टूबर महीने (1973 कपूर युद्ध) के दौरान इजराइल पर अचानक हमला हो गया था, जब इजराइली अपना धार्मिक त्योहार योम किप्पुर मना रहे थे. कौन जिम्मेदार है यह निर्धारित करने के लिए इजराइल में विफलता की एक बड़ी जांच शुरू की गई है. इस समय इजरायल की सर्वोच्च प्राथमिकता हमास के कब्जे वाले सीमावर्ती इलाकों की बस्तियों से उग्रवादी नियंत्रण छीनना है.

संभव है कि इजरायल को अपने बंधकों की रिहाई के लिए बातचीत की मेज पर आना होगा.इसके अलावा, इजराइल उन स्थानों को भी नष्ट करने की कोशिश करेगा जहां से इजरायल पर रॉकेट दागे जा रहे हैं, लेकिन यह विफल हो सकता है. हमास के आतंकवादी किसी विशेष स्थान से रॉकेट नहीं दागते हैं.वहीं, समस्या यह भी है कि अगर इजरायल मदद मांगता है तो हमास को कैसे रोकेगा, क्योंकि लेबनान से लगी उत्तरी सीमा पर हिजबुल्लाह के लड़ाके मैदान में कूद सकते हैं

हालांकि इजरायल आतंकवादी हमलों के लिए नया नहीं है, लेकिन शनिवार का हमला बगैर चेतावनी के अभूतपूर्व था। मीडिया ने बताया.

सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, इज़राइल की सेना ने शनिवार को खुद को असुरक्षित महसूस किया, बावजूद इसके कि दशकों से देश एक प्रौद्योगिकी महाशक्ति बन गया है, जो दुनिया की सबसे प्रभावशाली सशस्त्र सेनाओं में से एक और एक प्रमुख खुफिया एजेंसी का दावा करता है.

बंदूकधारी हवा, समुद्र और ज़मीन से आये थे. उन्होंने नागरिकों पर गोली चलाई, बंधक बना लिया और परिवारों को अपनी जान के डर से घर के अंदर ही रहने के लिए मजबूर कर दिया.

वह दिन जो सुबह-सुबह हवाई हमले के सायरन बजाने के साथ शुरू हुआ था, दोपहर के भोजन के समय तक इज़राइल के अस्तित्व के 75 वर्षों में सबसे भयानक हमलों में से एक में बदल गया था. गरीब और घनी आबादी वाले गाजा पट्टी को नियंत्रित करने वाले इस्लामी आतंकवादी समूह हमास के हमलावरों ने रात होते-होते सैकड़ों लोगों को मार डाला और सैकड़ों को घायल कर दिया.

इज़रायली अधिकारियों के लिए प्रश्न बहुत बड़े हैं. 17 साल से अधिक समय हो गया है, जब एक इजरायली सैनिक को इजरायली क्षेत्र पर हमले में युद्ध बंदी बनाया गया था. सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, 1948 के स्वतंत्रता संग्राम में शहर-दर-शहर लड़ाई के बाद से इज़राइल ने सैन्य ठिकानों, कस्बों और किबुतज़िम में इस तरह की घुसपैठ नहीं देखी है.

इजरायल रक्षा बलों के पूर्व अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता जोनाथन कॉनरिकस ने कहा, “पूरा सिस्टम फेल हो गया.यह सिर्फ एक घटक नहीं है. यह संपूर्ण रक्षा वास्तुकला है, जो स्पष्ट रूप से इजरायली नागरिकों के लिए आवश्यक सुरक्षा प्रदान करने में विफल रही है.””यह इज़राइल के लिए पर्ल हार्बर जैसा क्षण है.”

आईडीएफ ने बार-बार इस सवाल को टाल दिया है कि क्या शनिवार की घटनाएं खुफिया विफलता हैं.सैन्य प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल रिचर्ड हेचट ने सीएनएन को बताया कि इज़राइल मौजूदा लड़ाई और नागरिक जीवन की रक्षा पर ध्यान केंद्रित कर रहा है.

हेचट ने कहा, “हम इस बारे में बात करेंगे कि खुफिया जानकारी के बाद क्या हुआ.”
चाहे संयोग से या योजना से, ये हमले एक और अप्रत्याशित संघर्ष की 50वीं वर्षगांठ के अगले दिन हुए, जब 1973 में अरब राज्यों के गठबंधन ने योम किप्पुर पर इज़राइल के खिलाफ एक आश्चर्यजनक हमला किया.

2005 में इजराइल के गाजा से हटने के बाद से उसने सीमा को हमलों से बचाने के लिए अरबों डॉलर खर्च किए हैं. इसमें गाजा के अंदर से इज़राइल में दागे गए किसी भी हथियार पर हमला करना और आतंकवादियों को सुरंगों का उपयोग करके हवा या भूमिगत सीमा पार करने की कोशिश करने से रोकना है. सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, रॉकेट हमलों को रोकने के लिए इज़राइल ने अमेरिका की मदद से विकसित एक प्रभावी रॉकेट रक्षा प्रणाली आयरन डोम का उपयोग किया है.

इज़रायली अधिकारी लगभग निश्चित रूप से इस बात पर गौर करेंगे कि शनिवार को वे प्रणालियाँ कहां विफल रहीं. शनिवार की सुबह तक, इज़राइल ने कहा कि हमास ने 2,200 रॉकेट दागे थे, हालांकि उसने यह आंकड़े जारी नहीं किए कि उनमें से कितने को रोका गया. सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है कि सीमा पर बाड़ ने अपना काम किया या नहीं.