राजस्थान में मस्जिद पर हमले का सांकेतिक विरोध, गिरफ्तार की मांग
राजस्थान के छबड़ा औकाफ कमेटी के आहवान पर प्रदेश के मुसलमानों ने सांकेतिक धरना दिया. दरअसल, धरने की वजह एक मस्जिद पर हमला और मुसलमानों के प्रतिष्ठानों को निशाना बनाना था.
इस समय जब देश पर कोरोना का संकट गहराया हुआ है. पिछले दो दिनों से चार लाख से अधिक कोरोना के नए मामले सामने आ रहे हैं. इस माहौल में भी कुछ लोग सांप्रदायिकता फैलाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं.
ऐसे ही एक कुकृत का विरोध करने के लिए राजस्थान के छबड़ा औकाफ कमेटी के सदर अतीक भारती की अगुवाई में गुरुवार सुबह दस बजे छबड़ा और राजस्थान के अन्य हिस्से में अमन पसंद नागरिकों ने अपने घरों पर 15 मिनट का सांकेतिक धरना दिया.
इसके माध्यम से मुस्लिम समाज ने मस्जिद पर हमला करने वालों पर एफआईआर दर्ज करने, उन्हें गिरफ्तार करने, मौलाना पर हमला करने और उनकी मोटर साइकिल जलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने , निर्दोषों को रिहा करने. पीड़ितों को मुआवजा देने और अपराधिक घटनाओं को सांप्रदायीकरण रंग देने वालों की पहचा करने की मांग की गई.
राजस्थान के मुसलमानों का कहना है कि कुछ लोग सूबे की गंगा जमुनी तहजीब को नुकसान पहुंचाने की कोशिश में लगे रहते हैं.
बता दें कि छबड़ा में 10 अप्रैल को दो लोगों के बीच हुए आपसी झगड़े के बाद कुछ लोगांे ने इसे
साम्प्रदायिक रंग दे दिया. इसके बाद सौहार्द के दुश्मन दंगाईयों ने न केवल मुस्लिम समुदाय की दुकानें, वाहन फूंक दिए, हिल्व्यू कालोनी में स्थित एजाज मस्जिद पर भी पथराव किया. इसके बाद शहर में हिंसक झड़पें शुरू हो गईं.
अतीक भारती अनुसार, मस्जिद पर पथराव करने के बाद उपद्रवियों ने मुस्लिम समाज के शालीमार होटल, इमरान रोलिंग शटर, इकबाल फर्नीचर, एच एच के मार्बल, तिलक बीड़ी पत्ता गोदाम, सब्जी मंडी में दुकानों को नुक्सान पहुंचाया. सब्जी मंडी के पास रुखसाना बानो की स्विफ्ट डिजायर कार व 5 मोटरसाइकिलें, लाडले भाई की पार्ट्स की दुकान, मुन्ना भाई के ट्रैवल ऑफिस व उनकी निक्की बस, एसएस सर्विस सेंटर, राजस्थान डेंटल क्लिनिक, रूबी मेडिकल व धरनावदा चैराहे पर मुस्लिम समाज की दुकानों में लगा लगा दी गई. इस दौरान मुस्लिम समाज के 61 प्रतिष्ठानों को नुक्सान पहुंचाया गया.
मुस्लिम समाज के लोगों का कहना है की सांप्रदायिक हिंसा में जिस किसी का भी नुकसान हुआ है उसको उचित मुआवजा दिया जाए. साथ ही दोषियों की जल्द गिरफ्तारी हो.
मुस्लिम समाज में इस बात को लेकर रोष है कि घटना को इतना समय बीत जाने के बाद भी पुलिस ने मस्जिद पर हमले की एफआईआर दर्ज नहीं की है, जबकि दंगे के दौरान मस्जिद को विशेष तौर से निशाना बनाया गया.