जेएमआई में “जेंडर और डिजिटल असंतोष” पर अंतर्राष्ट्रीय युवा शोधकर्ता सम्मेलन
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मुस्लिम नाउ ब्यूरो,नई दिल्ली
जामिया मिलिया इस्लामिया (JMI) के सरोजिनी नायडू महिला अध्ययन केंद्र (SNCWS) ने 8-9 मार्च 2025 को एक दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय युवा शोधकर्ता सम्मेलन का आयोजन किया। इस सम्मेलन की थीम “जेंडर और उसके डिजिटल असंतोष: वैश्विक दक्षिण से उपनिवेशवाद विरोधी दृष्टिकोण” थी।

सम्मेलन का उद्घाटन और उद्देश्य
यह सम्मेलन अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आयोजित किया गया और इसमें प्रमुख लैंगिक मुद्दों, डिजिटल युग की चुनौतियों और उपनिवेशवाद विरोधी दृष्टिकोणों पर गहन चर्चा की गई। जेएमआई के माननीय कुलपति प्रोफेसर मजहर आसिफ ने उद्घाटन भाषण दिया और SNCWS को इसकी स्थापना के 25 वर्ष पूरे होने की बधाई दी। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस सिर्फ एक जश्न नहीं, बल्कि लैंगिक न्याय की दिशा में प्रगति और चुनौतियों पर चिंतन करने का अवसर है।
SNCWS की मानद निदेशक प्रो. निशात जैदी ने सम्मेलन की अध्यक्षता की और उपस्थित शोधकर्ताओं, अतिथियों व संकाय सदस्यों का स्वागत किया। उन्होंने डिजिटल युग में जेंडर नैरेटिव्स के विकास और वैश्विक दक्षिण के विद्वानों के सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया।
प्रमुख सत्र और व्याख्यान
पहला प्रमुख व्याख्यान
- वक्ता: प्रो. मीना पिल्लई (केरल विश्वविद्यालय)
- विषय: “पिशाचिनी पर संकट: नैतिक आतंक के समय में डिजिटल नारीवाद”
- सार: डिजिटल नारीवाद की सीमाओं और इसकी जमीनी चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया।
पूर्ण सत्र I

- थीम: “लिंग संवेदनशील AI सिस्टम का निर्माण: 3D (‘डिजाइनर-विकास-परिनियोजन’) AI जवाबदेही ढांचा”
- वक्ता: डॉ. अबिरुची ओझा (एमएमएजे एकेडमी ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज, जेएमआई)
- सार: एआई को जेंडर-समावेशी और संवेदनशील बनाने की आवश्यकता पर चर्चा।
पूर्ण सत्र II
- थीम: “डिजिटल नृवंशविज्ञान करना: एक नारीवादी और महिला शोधकर्ता के रूप में कुछ अवलोकन”
- वक्ता: सुश्री अथिरा बीके (JNU)
- सार: डिजिटल नृवंशविज्ञान और महिला शोधकर्ताओं की चुनौतियाँ।
मुख्य भाषण
1. डिजिटल नारीवाद, नवउदारवाद और वर्ग असमानता
- वक्ता: प्रो. क्रिस्टीना शारफ (किंग्स कॉलेज, लंदन)
- सार: डिजिटल नारीवाद और नवउदारवादी ढांचे में वर्ग असमानताओं का मूल्यांकन।
2. वैश्विक दक्षिण से नारीवादी तकनीकी राजनीति के रूप में एकजुटता
- वक्ता: डॉ. फ़िरुज़ेह शोकूह वैले (नारीवादी समाजशास्त्री, प्यूर्टो रिको)
- सार: वैश्विक दक्षिण में नारीवादी एकजुटता और तकनीकी राजनीति।
3. उत्तर औपनिवेशिक डिजिटल अभिलेखागार और एल्गोरिदमिक पहचान
- वक्ता: प्रो. राधिका गजाला (बोलिंग ग्रीन स्टेट यूनिवर्सिटी)
- सार: उत्तर औपनिवेशिक डिजिटल अभिलेखीकरण और जेंडर विमर्श।
तकनीकी सत्र और शोध पत्र प्रस्तुतियाँ
तकनीकी सत्र I:
- थीम: “लिंग आधारित एल्गोरिदम, AI नैतिकता और डिजिटल पदानुक्रम”
- सार: एल्गोरिदम के भीतर लैंगिक पक्षपात और एआई नैतिकता।
तकनीकी सत्र II:
- थीम: “डिजिटल प्लेटफॉर्म, लिंग आधारित हिंसा और प्रतिरोध”
- सार: डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लिंग आधारित हिंसा और उसके खिलाफ प्रतिरोध की रणनीतियाँ।
तकनीकी सत्र III:
- थीम: “डिजिटल क्षेत्रों में लिंग और कामुकता”
- सार: डिजिटल माध्यमों में जेंडर और कामुकता के अंतर्संबंधों का विश्लेषण।
सम्मेलन की प्रमुख उपलब्धियाँ
- वैश्विक दक्षिण से जेंडर और डिजिटल विमर्श पर विस्तृत चर्चा।
- AI और डिजिटल नैतिकता के संदर्भ में जेंडर समावेशन की जरूरत को उजागर किया गया।
- डिजिटल नारीवाद और नवउदारवादी नीतियों पर आलोचनात्मक विश्लेषण।
- वैश्विक और स्थानीय विद्वानों का सहयोग, जिससे नई शोध संभावनाएँ खुलीं।
SEO के लिए महत्वपूर्ण कीवर्ड्स

- जामिया मिलिया इस्लामिया सम्मेलन 2025
- डिजिटल जेंडर असमानता
- डिजिटल नारीवाद और तकनीकी राजनीति
- जेंडर संवेदनशील AI
- डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लैंगिक हिंसा
- डिजिटल अभिलेखागार और उत्तर औपनिवेशिकता
काबिल ए गौर
यह अंतर्राष्ट्रीय युवा शोधकर्ता सम्मेलन 2025 जेंडर, डिजिटल असंतोष और उपनिवेशवाद विरोधी दृष्टिकोणों को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच साबित हुआ। इस सम्मेलन में डिजिटल युग में लैंगिक असमानताओं, एआई नैतिकता, नारीवादी तकनीकी राजनीति और डिजिटल नृवंशविज्ञान जैसे विषयों पर गहन विचार-विमर्श हुआ।
जामिया मिलिया इस्लामिया का यह प्रयास लैंगिक अध्ययन, तकनीकी नवाचार और नारीवादी विमर्श में एक नया अध्याय जोड़ने में सहायक सिद्ध होगा।