ईरान बनाम इजरायल: कौन कितने पानी में है ?
मुस्लिम नाउ विशेष
पिछले वर्ष सात अक्टूबर का हमास द्वारा इजरायल में घुसकर हमला करने का मामला हो या इजरायल की ओर से ईरान में हमास के एक बड़े लीडर को रहस्यमय तरीके से मौत के घाट उतारने का मामला या फिर लेबनान में पेजर-वाॅकी टाॅकी विस्फोट, फिर नसरल्लाह की हत्या-ये कुछ ऐसी घटनाएं हैं, जिसकी वजह से आज ईरान और इजरायल एक दूसरे को मिटाने की स्थिति में आ गए हैं. इसके अलावा इन घटनाआंे से ये भी साबित कर दिया है कि इजरायल या ईरान अपनी सुरक्षा को लेकर दुनिया के सामने जिस तरह के दावे करता है, हकीकत यह नहीं है. यदि इजरायल में दुनिया की सबसे चुस्त सुरक्षा व्यवस्था होती तो हमास जैसा मामूला लड़ाका संगठन उसके तमाम खुफिया और सैन्य तंत्र को ध्वस्त कर इस देश में प्रवेश नहीं करता और ढाई सौ लोगों को वहां से उठा नहीं लाता. इजरायल सेना की तमाम कोशिशों के बावजूद न तो हमास थका नजर आ रहा है और न ही अब तक सारे बंधक छुट पाए हैं.
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इन घटनाओं के बाद विशेषज्ञ तीसरे विश्व युद्ध की भविष्यवाणी करने लगे हैं. मगर यह भी हकीकत है कि तीसरा विश्व युद्ध हो अथवा नहीं, पर ईरान और इजरायल में जल्द ही बड़ी भिड़ंत होने वाली है. ऐसे में सवाल उठता है कि यदि इनके बीच युद्ध हो तो किसका पलड़ा भारी होगी ?
थिंक टैंक आरएपफईएल ने इसपर एक रिपोर्ट प्रकाशित की है. इस रिपोर्ट में कहा गया है-ईरान और इजराइल ने हाल के हफ्तों में एक.दूसरे पर हमले किए हैं और धमकियां दी हैं, जिससे दो कट्टर दुश्मनों के बीच पूर्ण पैमाने पर युद्ध की आशंकाएं बढ़ गई हैं.
इससे पहले तेहरान द्वारा अभूतपूर्व ड्रोन और मिसाइल हमले के लगभग एक हफ्ते बाद, इजराइल ने 19 अप्रैल को ईरान पर हमला किया. ईरान का हमला एक संदिग्ध इजराइली हवाई हमले का बदला लेने के लिए था. जिसमें 1 अप्रैल को सीरिया में सात ईरानी कमांडर मारे गए थे.
कहते हैं, हमास को ईरान से भरपूर समर्थन मिल रहा है और सात अक्टूबर को इजरायल पर हमास द्वारा जमला हिज्जबुल्ला और ईरान की रणनीति का नतीजा था. अब स्थिति यह है कि हमास, इजरायल, हिज्जबुल्लाह और ईरान आमने सामने हैं. बल्कि यूं कहें तो ज्यादा बेहतर होगा कि ईरान हमास और हिज्जबुल्ला के समर्थन के साथ इजरायल के विरोध में खड़ा है और उनके दम पर ही उसने 180 मिजाइलों की बरसात की है.
रिपोर्ट में विशेषज्ञों के हवाले से कहा गया है कि सीधे संघर्ष की स्थिति में इजराइल के पास आक्रामक और रक्षात्मक दोनों तरह से सैन्य श्रेष्ठता होगी. लेकिन उनका कहना है कि ईरान के ड्रोन और मिसाइलों के शस्त्रागार से उत्पन्न खतरे को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए.
दशकों के प्रतिबंधों के तहत ईरान ने घरेलू हथियार कार्यक्रमों को विकसित करने में भारी निवेश किया है, जिसके परिणामस्वरूप सस्ते और प्रभावी ड्रोन के साथ-साथ अधिक उन्नत बैलिस्टिक मिसाइलें भी बना ली हैं.विस्कॉन्सिन प्रोजेक्ट ऑन न्यूक्लियर आर्म्स कंट्रोल के एक शोध सहयोगी जॉन क्रिजानियाक ने कहा कि ईरान की मिसाइलें इजराइल के लिए एक गंभीर खतरा हैं.
उन्होंने कहा कि इस बीच, तेहरान के लड़ाकू और आत्मघाती ड्रोन,अगर बड़ी संख्या में दागे जाएँ तो नागरिक आबादी पर कहर बरपा सकते हैं.फिर भी, इजराइल सैन्य वर्चस्व बनाए रख सकता है.विशेषज्ञों ने कहा कि ईरान पर परिचालन और खुफिया लाभ के अलावा, इजराइल के पास परमाणु निवारक भी है. माना जाता है कि इजराइल के पास व्यापक रूप से परमाणु हथियार हैं. वाशिंगटन स्थित न्यूक्लियर थ्रेट इनिशिएटिव का अनुमान है कि इजराइल के पास लगभग 90 परमाणु हथियार हैं. हालांकि, ईरान पर परमाणु हथियार होने के आरोप में ही प्रतिबंध लगा हुआ है. यानी दोनों परमाणु शक्ति देश हैं.
इस रिपोर्ट में कहा गया है,13 अप्रैल के हमले के दौरान ईरान ने इजरायल के खिलाफ 300 से अधिक ड्रोन और क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं थीं. तेहरान ने दावा किया कि उसने देश के कुछ सबसे उन्नत हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया. ऐसा प्रतीत होता है कि हमला बहुत ही सुनियोजित था और इसका उद्देश्य बहुत अधिक नुकसान या हताहत करना नहीं था.
इजरायल ने बताया कि पिछली बार संयुक्त राज्य अमेरिकाए ब्रिटेन और जॉर्डन की मदद से लगभग सभी ड्रोन और मिसाइलों को रोक दिया गया. हालांकि, इस बार ऐसा नहीं हो पाया. 180 मिसाइल हमले कामयाब बताए जा रहे हैं.दूसरी ओर इजरायल रक्षा बलों ने दावा किया कि मुट्ठी भर मिसाइलें इजरायली सुरक्षा को भेदकर एक हवाई अड्डे पर जा गिरीं. जिससे मामूली नुकसान हुआ.
इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज के रिसर्च फेलो फैबियन हिंज ने कहा कि ईरान द्वारा एक साथ 100 से अधिक बैलिस्टिक मिसाइलों को लॉन्च करना काफी बड़ी बातष् है, क्योंकि इसमें बहुत अधिक रसद और जनशक्ति शामिल है.उन्होंने कहा, मुझे वास्तव में यकीन नहीं है कि युद्ध में ऐसा पहले कभी किया गया है या नहीं और इससे मुझे आश्चर्य होता है कि वे और कितना बड़ा हो सकते है.
रक्षा खुफिया कंपनी जेन्स के मध्य पूर्व रक्षा विशेषज्ञ जेरेमी बिन्नी का कहना है कि इजरायल की रक्षा प्रणाली का ईरानी मिसाइलों के खिलाफ अच्छा प्रदर्शन रहा है.लेकिन बिन्नी ने कहा कि ईरानी हथियारों की विश्वसनीयता एक प्रमुख कारक प्रतीत हुई. अमेरिकी खुफिया ने अनुमान लगाया कि ईरानी मिसाइलों में से लगभग आधी लॉन्च या उड़ान के दौरान विफल हो गईं.
19 अप्रैल को इजरायल के हमले ने ईरान की रक्षा की कमजोरी को उजागर किया था. तेहरान ने कहा कि छोटे क्वाडकॉप्टर ड्रोन का इस्तेमाल किया गया था, जिससे पता चलता है कि हमला ईरानी क्षेत्र के अंदर से किया गया था.इजरायल के उन्नत लड़ाकू जेट देश को हवा में श्रेष्ठता प्रदान करते हैं, लेकिन विशेषज्ञों ने कहा कि इजरायल को कई बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें हवाई ईंधन भरने वाले टैंकरों की कमी भी शामिल है. ईरान तक पहुँचने के लिए इजरायल को कई देशों के हवाई क्षेत्र को पार करने की अनुमति की भी आवश्यकता होती है.विशेषज्ञों का कहना है ऐसे मंे यदि युद्ध छिड़ जाता है, तो इजरायल ईरान के खिलाफ लंबी दूरी की मिसाइलों को तैनात कर सकता है. हालांकि इस बीच तेहरान की हवाई रक्षा का युद्ध परीक्षण नहीं किया गया है.
विशेषज्ञों ने कहा कि इजरायल के सैन्य लाभ को देखते हुए ईरान द्वारा अपरंपरागत युद्ध और अपनी विषम क्षमताओं का उपयोग जारी रखने की संभावना है. इसमें तथाकथित प्रतिरोध की धुरी शामिल है. ईरान के छद्म और लड़ाकू समूहों का नेटवर्क इजरायल का विरोध करने में उसकी सहायता करता है.