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क्या बांग्लादेश में आई बाढ़ के पीछे भारत है ? सोशल मीडिया पर जबर्दस्त चर्चा

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मुस्लिम नाउ ब्यूरो, ढाका, नई दिल्ली

ShameOnIndia,FloodInBangladesh,boycottindia,indiaout,boycottindianproduct आदि यह कुछ हैशटैग हैं, जो सोशल मीडिया पर बहुत तेजी से ट्रेंड कर रहे हैं.

दरअसल, इन हैशटैग के पीछे की वजह है त्रिपुरा से लगते बांग्लादेश के कई जिलों में आई भयंकर बाढ़. हालांकि, भारत सरकार ने तमाम आरोपों का खंडन कर दिया है, इसके बावजूद बांग्लादेश के एक वर्ग का मानना है कि उनके देश में आई बाढ़ हकीकत में कृत्रिम है. शेख हसीन की सरकार के तख्तापलट के बाद भारत ने बांग्लादेश को अस्थिर करने के लिए कृत्रिम बाढ़ लाया है.

इस वर्ग में बांग्लादेश की जमात इस्लामी भी शामिल है. ढाका पोस्ट की एक खबर के अनुसार,बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी के अमीर ने कहा कि भारत सरकार ने त्रिपुरा राज्य में डुम्बूर बांध को खोलकर बांग्लादेश के लोगों को डुबाने का इंतजाम कर लिया है. शफीकुर रहमान ने कहा, हम सुनते आ रहे हैं कि पड़ोसी देश भारत हमारा सबसे बड़ा दोस्त है. लेकिन जब हमें पानी की जरूरत होती है तो यह कथित दोस्त हमें सूखा देता है, और जब बारिश का मौसम आता है तो यह पानी छोड़ता है और हमें बाढ़ देता है.

रिपोर्ट में कहा गया है,उन्होंने गुरुवार (22 अगस्त) को फेनी, नोआखली और लक्ष्मीपुर जिलों के विभिन्न बाढ़ प्रभावित इलाकों में विस्थापित लोगों को राहत वितरित करते हुए यह बात कही.

रिपोर्ट में आगे कहा गया,डॉ शफीकुर रहमान ने कहा, भारत ने फरक्का समेत 54 नदियों पर बांध बनाकर बांग्लादेश के एक बड़े इलाके को रेगिस्तान में बदल दिया है. भारत शुष्क मौसम के दौरान पानी रोक लेता है और मानसून के मौसम में रात में सभी द्वार खोल देता है. गर्मी में जब हमें पानी की जरूरत होती है तो वे हमें पानी के बिना मार देते हैं. पानी की कमी के कारण हजारों एकड़ भूमि की फसल नष्ट हो गई. फिर मानसून के मौसम में जब पानी की जरूरत नहीं होती, तो पानी छोड़ दिया जाता है और हम पर बाढ़ आ जाती है. हम भारत सरकार के इस अमानवीय कृत्य से स्तब्ध हैं. स्वाभाविक रूप से, हमारे मन में यह सवाल उठता है कि भारत हमारा मित्र कैसे है!”

उन्होंने कहा, पूर्वी क्षेत्र के 12 जिलों में स्मृति में भीषण बाढ़ आई है. भारत के त्रिपुरा राज्य में डंबुर बांध के खुले होने के कारण इन इलाकों में बाढ़ ने विकराल रूप ले लिया है. इन इलाकों के सभी घर, सड़कें, शैक्षणिक संस्थान बाढ़ के पानी में डूब गए हैं. पांच लाख लोग पानी में फंसे हुए हैं. मछलियों के बाड़े, खेत की फसलें, चावल मिलें, बगीचे पानी में डूब गए. ऐसी परिस्थितियों में लाखों लोग अमानवीय जीवन जी रहे हैं.”

इस समय अमीर ने समाज के सभी वर्गों और व्यवसायों के लोगों से बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए आगे आने का आह्वान किया और भाषण के अंत में उन्होंने अल्लाह से प्रार्थना की कि वे उन्हें सभी प्रकार की आपदाओं से बचाएं.

उन्होंने यह भी कहा, साढ़े 15 साल तक शेख हसीना की सरकार थी. वो कहती थीं कि उन्होंने हमारे देश को सिंगापुर, कनाडा बनाया. ये सिंगापुर का नजारा है. ये सब झूठ और भोग-विलास थे. उन्होंने लोगों के सारे अधिकार छीन लिए. जब लोग अपने ही घर में पर्दा डालते हैं तो कहते हैं- इस घर में आतंकवादी हैं. उनके दिमाग में हमेशा उग्रता रहती थी. असली आतंकवादी वे हैं जो सिर पर हेलमेट और हाथों में बंदूकें लेकर लोगों पर हमला करते हैं. ये असली आतंकवादी हैं.”

दरअसल, ऐसी सोंच के हामियों ने ही सोशल मीडिया पर भारत के खिलाफ अभियान छेड़ रखा और इसके विरूद्ध तरह-तरह के हैशटैग चलाए जा रहे हैं और इसके साथ बाढ़ से आए विनाश के वीडियो, तस्वीरें शेयर किए जा रहे हैं.बांग्लादेश में आई बाढ़ को लेकर एक हंैंडल पर लिखा गया-भारत ने अपने बांधों से पानी छोड़ कर बांग्लादेश में कृत्रिम बाढ़ पैदा कर दी है और फिर भी आपको आश्चर्य होता है कि लोग भारत से इतनी नफरत क्यों करते हैं?

भारत द्वारा बिना किसी चेतावनी के आधी रात को बांध के गेट खोल देने से बांग्लादेश में हजारों लोग प्रभावित हुए हैं, क्योंकि भारत ने तानाशाह शेख हसीना का बदला लेने के लिए ऐसा किया, जो भारत की एक प्रमुख सहयोगी है.एक अन्य ने लिखा है- भारत की लापरवाह हरकतें दक्षिण-पूर्वी बांग्लादेश में बाढ़ के संकट को और बढ़ा रही हैं.

पहली बार कई पीढ़ियों में, बांग्लादेश का पूरा दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र इतिहास की सबसे खराब बाढ़ का सामना कर रहा है, जिससे लाखों लोग प्रभावित हुए हैं. इसका कारण क्या है? भारतीय अधिकारियों ने तीन दशकों में पहली बार त्रिपुरा में डंबूर जलाशय के गेट खोले, जिससे पहले से ही बारिश से भीगे क्षेत्र में भारी मात्रा में पानी छोड़ा गया.

इस पोस्ट में आगे लिखा गया है-क्या भारत द्वारा डंबूर जलाशय के द्वार खोले बिना बाढ़ आ सकती थी? शायद हाँ, लेकिन काफी कम पैमाने पर. बांध से अचानक पानी छोड़े जाने से इस क्षेत्र में इतनी बाढ़ आ गई है, जिसका अनुभव पीढ़ियों से नहीं हुआ.

अंतर्राष्ट्रीय कानून भारत को किसी भी ऐसी कार्रवाई के बारे में बांग्लादेश को सूचित करने के लिए बाध्य करता है, जिससे डाउनस्ट्रीम में महत्वपूर्ण नुकसान हो सकता है. फिर भी, गेट खोलने से पहले बांग्लादेश को सूचित करने में भारत की विफलता ने महत्वपूर्ण संकट और क्षति का कारण बना है.

दुर्भाग्य से, डंबूर जलाशय भारत द्वारा बांग्लादेश में बहने वाली नदियों पर बनाए गए कई बांधों में से एक है. दोनों देशों के बीच साझा की जाने वाली 54 ट्रांसबाउंड्री नदियों में से, भारत ने उनमें से कम से कम 30 पर बांध बनाए हैं, जिनमें फरक्का बांध अपने विनाशकारी प्रभाव के लिए सबसे कुख्यात है. उत्तरी बांग्लादेश।

भारत द्वारा बांधों का एकतरफा निर्माण और जल प्रवाह पर मनमाना नियंत्रण बांग्लादेश के लिए लगातार खतरा बन गया है, जिससे या तो सूखा पड़ रहा है या फिर नीचे की ओर बाढ़ आ रही है. इस लापरवाह व्यवहार ने लाखों लोगों की जिंदगी तबाह कर दी है और पर्यावरण पर कहर बरपाया है. उदाहरण के लिए, बांग्लादेश के 20 मिलियन छोटे किसानों में से 80 प्रतिशत से ज्यादा चावल उगाने के लिए इन ट्रांसबाउंड्री नदियों से बहने वाले पानी पर निर्भर हैं.
पोस्ट में कहा गया है-इस तरह के व्यापक नुकसान को पहुंचाकर, भारत नियमित रूप से अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन कर रहा है. यहाँ कुछ प्रमुख दायित्व दिए गए हैं जिन्हें पूरा करने में भारत विफल रहा है.

  • 1) अंतरराष्ट्रीय जलमार्गों के गैर-नौवहन उपयोग के कानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (1997) के अनुच्छेद 5 और 6 के तहत, अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम देशों को साझा जल का समान और उचित उपयोग करने का अधिकार है.
  • 2) 1997 के कन्वेंशन का अनुच्छेद 7, प्रथागत अंतरराष्ट्रीय कानून के साथ, भारत जैसे अपस्ट्रीम देशों को बांग्लादेश जैसे डाउनस्ट्रीम देशों को महत्वपूर्ण नुकसान से बचाने के लिए बाध्य करता है.
  • 3) एस्पो कन्वेंशन (1991) और प्रथागत अंतरराष्ट्रीय कानून यह अनिवार्य करते हैं कि अपस्ट्रीम देश किसी भी ऐसी गतिविधि को करने से पहले डाउनस्ट्रीम राज्यों को सूचित करें और उनसे परामर्श करें जो साझा जल को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकती है.

फिर भी, भारत ने लगातार इन दायित्वों की अनदेखी की है और कभी भी अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत बांग्लादेश और उसके लोगों के अधिकारों को स्वीकार नहीं किया है.इन शत्रुतापूर्ण कार्रवाइयों के बावजूद, भारतीय अधिकारी दावा करते रहते हैं कि वे मित्रवत पड़ोसी है. फिर भी उन्हें आश्चर्य होता है कि बांग्लादेशियों में उनके प्रति इतनी गहरी नाराजगी क्यों है.

मिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश में लगातार बारिश से 30 लाख लोग प्रभावित हुए हैं. भारत ने गुरुवार को कहा कि बांग्लादेश के आठ जिलों में बाढ़ भारी बारिश के कारण आई है, न कि त्रिपुरा में गुमटी नदी पर बने बांध से पानी छोड़े जाने के कारण.

भारत का यह बयान तब आया है अचानक आई बाढ़ को लेकर बांग्लादेश की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि बाढ़ त्रिपुरा बांध के स्लुइस गेट खोले जाने के कारण आई है.

इस दावे का खंडन करते हुए विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, हम यह बताना चाहेंगे कि भारत और बांग्लादेश से होकर बहने वाली गुमटी नदी के जलग्रहण क्षेत्रों में पिछले कुछ दिनों में इस वर्ष की सबसे भारी बारिश हुई है. बांग्लादेश में बाढ़ मुख्य रूप से बांध के नीचे की ओर इन बड़े जलग्रहण क्षेत्रों के पानी के कारण आती है.

बयान में यह भी उल्लेख है कि डंबूर बांध बांग्लादेशी सीमा से 120 किलोमीटर ऊपर की ओर स्थित है. 30 मीटर की मामूली ऊंचाई पर है. बांध का उपयोग बिजली उत्पादन के लिए किया जाता है, जिससे बांग्लादेश को 40 मेगावाट बिजली की आपूर्ति की जाती है.बांग्लादेश के सुनामगंज, मौलवीबाजार, हबीगंज, फेनी, चटगाँव, नोआखली, कमिला और खगराछारी में लगातार बारिश से 30 लाख लोग प्रभावित हुए और कम से कम दो लोगों की मौत हो गई.

बाढ़ की स्थिति ऐसे समय में सामने आई है जब बांग्लादेश लंबे समय से प्रधानमंत्री शेख हसीना के पद से हटने के बाद राजनीतिक बदलाव से गुजर रहा है.

हसीना वर्तमान में भारत में हैं. इस्तीफा देने के बाद अचानक ढाका छोड़कर चली गई थीं. 5 अगस्त को छात्रों के नेतृत्व में एक लोकप्रिय आंदोलन के कारण उन्हें देश छोड़ना पड़ा था. उनकी राजनीतिक पार्टी अवामी लीग को लंबे समय से भारत समर्थक माना जाता रहा है, जिसका मतलब है कि सत्ता से उनके हटने से नई दिल्ली के लिए कूटनीतिक चुनौतियां खड़ी हो गई हैं.

भारत के पास डंबूर बांध से बांग्लादेशी सीमा तक नदी के 120 किलोमीटर के हिस्से में अमरपुर, सोनामुरा और सोनामुरा 2 में तीन जल-स्तर अवलोकन स्थल हैं. अमरपुर स्टेशन एक द्विपक्षीय प्रोटोकॉल का हिस्सा है जिसके तहत भारत बांग्लादेश को वास्तविक समय में बाढ़ के आंकड़े प्रदान करता है.

भारत ने कहा कि अमरपुर से बढ़ते जल स्तर का डेटा 21 अगस्त को दोपहर 3 बजे तक बांग्लादेश के साथ साझा किया गया था, जिसके बाद संचार बाधित हो गया था. शाम 6 बजे, बाढ़ के कारण, बिजली गुल हो गई जिससे संचार समस्याएं पैदा हो गईं. फिर भी, हमने तत्काल डेटा ट्रांसमिशन के लिए स्थापित वैकल्पिक साधनों के माध्यम से संचार बनाए रखने की कोशिश की.

त्रिपुरा के ऊर्जा मंत्री रतन लाल नाथ ने फेसबुक पर पोस्ट किया कि गुमती जलविद्युत परियोजना का कोई भी गेट मैन्युअल रूप से नहीं खोला गया है.

जलाशय की क्षमता 94 मीटर तक है. एक बार जब जल स्तर इस सीमा से अधिक हो जाता है, तो गेट अपने आप पानी छोड़ देता है. इसके विपरीत, यदि जल स्तर 94 मीटर से नीचे चला जाता है, तो गेट अपने आप बंद हो जाता है. तदनुसार, जैसे ही गोमती जलाशय में जल स्तर 94 मीटर से ऊपर बढ़ गया, दो गेटों के माध्यम से पानी अपने आप छोड़ा दिया गया. एक गेट 50 प्रतिशत की दर से पानी छोड़ रहा है.