Muslim World

क्या चीन में इस्लाम खतरे में है? एक गहन विश्लेषण

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, बिजिंग

चीन में मुसलमानों की स्थिति को लेकर पश्चिमी मीडिया और कुछ अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों में अक्सर घातक तस्वीर पेश की जाती हैं, जिसमें बताया जाता है कि यहां मुसलमानों पर अत्याचार हो रहा है। यह तस्वीर चीन में नमाज पढ़ने से लेकर मस्जिदों को सील करने तक की छवियों को लेकर तैयार की जाती है। इन दावों के बीच कई सवाल उठते हैं—क्या वाकई चीन में मुसलमानों को अपनी धार्मिक गतिविधियाँ करने की अनुमति नहीं है? क्या चीन में इस्लाम और मुसलमानों की स्थिति इतनी भयावह है जितना कि दावा किया जाता है? आइए इस लेख में चीन में इस्लाम की स्थिति, वहां के मुसलमानों की स्थिति और उनके जीवन की वास्तविकता पर गहन दृष्टि डालते हैं।

चीन में इस्लाम का इतिहास

इस्लाम चीन में लंबे समय से मौजूद है। चीन में इस्लाम का इतिहास सातवीं शताब्दी में शुरू हुआ, जब तांग साम्राज्य के दौरान अरब व्यापारी चीन आए थे। वे अपने साथ इस्लाम लेकर आए और चीन में पहली मस्जिद 651 में तांग सम्राट की अनुमति से बनाई गई। इस मस्जिद को बनाने में पैगंबर मुहम्मद के साथी साद इब्न अबी वक्कास का योगदान था। इसके बाद अरब व्यापारियों ने चीन में इस्लाम को फैलाया। जियान जैसे शहरों में भी मस्जिदें बनाईं गईं, जो आज भी अपने प्राचीन स्वरूप में मौजूद हैं।

चीन में मुस्लिम आबादी

चीन में मुस्लिम आबादी का अनुमान लगभग 26 मिलियन है, जो कुल चीनी आबादी का लगभग 1.5% है। इस आबादी में प्रमुख रूप से दो समुदाय हैं—हुई और उइगर।

  • हुई मुस्लिम: यह समूह जातीय रूप से चीनी हैं और मुख्यतः चीन के विभिन्न प्रांतों में बसते हैं। ये मुसलमान हान जाति की तरह चीनी भाषा बोलते हैं और उनकी संस्कृति चीनी समाज के साथ घुली-मिली हुई है।
  • उइगर मुस्लिम: ये जातीय रूप से तुर्क हैं और मुख्य रूप से चीन के पश्चिमी हिस्से, झिंजियांग उइगर स्वायत्त क्षेत्र में बसे हुए हैं। ये तुर्की भाषा बोलते हैं और अपनी सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने की कोशिश करते हैं।

चीन में मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता

चीन में धार्मिक स्वतंत्रता के मामले में एक जटिल स्थिति है। सरकार ने धार्मिक गतिविधियों को राज्य की निगरानी में रखा है, और सभी धर्मों को राज्य-स्वीकृत संघों के तहत ही काम करने की अनुमति है। मस्जिदों, चर्चों और मंदिरों के भीतर धार्मिक गतिविधियाँ सिर्फ उन स्थानों तक सीमित हैं, जो राज्य द्वारा पंजीकृत हैं।

चीनी सरकार के अनुसार, धार्मिक गतिविधियाँ समाजवादी मूल्यों के अनुरूप होनी चाहिए, और किसी भी धार्मिक गतिविधि को चीन की राष्ट्रीय सुरक्षा और समाज के कल्याण से विरोधाभासी नहीं होना चाहिए। इसके अलावा, मुसलमानों को विदेशों से सीधे धार्मिक संपर्क स्थापित करने की अनुमति नहीं है। उदाहरण के लिए, मस्जिदों को विदेशों से धार्मिक सामग्री मंगवाने की अनुमति नहीं है, और राज्य की अनुमति के बिना किसी विदेशी धार्मिक प्रतिनिधि को मस्जिदों में घुसने की अनुमति नहीं है।

मस्जिदों और धार्मिक स्थलों का नियंत्रण

चीन में मस्जिदों का नियंत्रण भी कड़ा है। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, मस्जिदों को फिर से डिज़ाइन किया गया है ताकि वे पारंपरिक इस्लामी वास्तुकला से हटकर चीनी स्थापत्य शैली में ढल जाएं। उदाहरण के तौर पर, युन्नान प्रांत की एक मस्जिद में हाल ही में अपनी मीनारों को चीनी शैली में बदलने का आदेश दिया गया था।

इसके अलावा, चीन में इस्लाम के धार्मिक प्रतीकों को सीमित करने की कोशिश की जाती है। उदाहरण के लिए, कुछ क्षेत्रों में मुसलमानों को सार्वजनिक रूप से हिजाब पहनने या अन्य धार्मिक परिधान पहनने की अनुमति नहीं है, खासकर महिलाएं। इसके विपरीत, कुछ मुस्लिम क्षेत्रों में मस्जिदों का पुनर्निर्माण किया गया है और उन्हें विदेशी हस्तक्षेप से बचाने के लिए चीन सरकार द्वारा स्वीकृत तरीके से नियंत्रित किया गया है।

A protester from the Uyghur community living in Turkey, holds an anti-China placard during a protest in Istanbul, Thursday, March 25, against against the visit of China’s FM Wang Yi to Turkey. Hundreds of Uyghurs staged protests in Istanbul and the capital Ankara, denouncing Wang Yi’s visit to Turkey and demanding that the Turkish government take a stronger stance against human rights abuses in China’s far-western Xinjiang region.(AP Photo/Emrah Gurel)

उइगर मुस्लिमों का संघर्ष

झिंजियांग उइगर स्वायत्त क्षेत्र में उइगर मुस्लिमों के अधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी चर्चा हुई है। कई मानवाधिकार संगठनों ने आरोप लगाया है कि उइगर मुसलमानों को दमन का सामना करना पड़ता है, और उन्हें अपनी धार्मिक गतिविधियां खुलकर करने की अनुमति नहीं है। हालांकि, चीन सरकार का कहना है कि इस क्षेत्र में आतंकवाद और उग्रवाद को रोकने के लिए ये उपाय किए गए हैं।

अंतरराष्ट्रीय मीडिया और रिपोर्ट में यह आरोप लगाया गया है कि उइगर मुस्लिमों को कैंपों में बंद किया जा रहा है, जहां उन्हें न केवल अपनी धार्मिक पहचान से वंचित किया जा रहा है, बल्कि उन पर शारीरिक और मानसिक यातनाएँ भी दी जा रही हैं। इसके बावजूद, चीन सरकार इन आरोपों को नकारती है और इसे “री-एजुकेशन” या “विरोधी चरमपंथी अभियान” के रूप में प्रस्तुत करती है।

इस्लाम और चीनी समाज

चीन में मुसलमानों के सामाजिक जीवन में इस्लाम की भूमिका महत्वपूर्ण है, लेकिन यह भूमिका सरकार द्वारा निर्धारित सीमाओं के भीतर ही रहती है। चीन के कुछ क्षेत्रों में मुसलमान अपनी धार्मिक पहचान को खुलकर व्यक्त कर पाते हैं, जबकि अन्य स्थानों पर यह प्रतिबंधित किया जाता है।

उदाहरण के लिए, जियान जैसे शहरों में मस्जिदों का दौरा करना एक सामान्य बात है, जहां मुसलमान और गैर-मुसलमान दोनों ही मिलकर धार्मिक और सांस्कृतिक अनुभवों को साझा करते हैं। यहां पर मस्जिदों के इंटीरियर्स भी पारंपरिक इस्लामी शैली से हटकर चीनी शैली में बनाए गए हैं।

चीन में इस्लाम और मुसलमानों की स्थिति एक जटिल और संवेदनशील मुद्दा है। हालांकि, कुछ स्थानों पर मुसलमानों को अपनी धार्मिक गतिविधियां पूरी तरह से करने की अनुमति है, वहीं कुछ क्षेत्रों में सरकार द्वारा कड़ी निगरानी रखी जाती है। चीन सरकार की नीति यह है कि धार्मिक गतिविधियां समाजवादी मूल्यों के अनुरूप होनी चाहिए, और इसे नियंत्रण में रखा जाना चाहिए।

यह सच है कि उइगर मुस्लिमों को झिंजियांग में अत्यधिक दमन का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन चीन में अन्य मुस्लिम समुदायों की स्थिति इस से पूरी तरह अलग है। इन सभी पहलुओं को समझने के बाद, यह कहा जा सकता है कि चीन में इस्लाम का अस्तित्व और मुसलमानों की स्थिति जितनी जटिल है, उतना ही यह एक स्थिर और नियंत्रण माहौल में अस्तित्व में है, जो देश के सामाजिक और राजनीतिक उद्देश्य के अनुरूप है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *