क्या ब्रिटेन में शरिया कानून वैध है I Is Sharia law legal in UK?
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मुस्लिम नाउ विशेष
इम्तियाज महमूद नामक एक व्यक्ति है, जो खुद को फ्री थिंकर्स कहता है. उसके एक्स के प्रोफाइल से पता चलता है कि नाम तो उसका मुसलमानों वाला है, पर वह सौ प्रतिशत मुसलमान और इस्लाम के खिलाफ है. यदि वह शख्स ईमानदार होता तो फ्री थिंकर के नाते इस्लाम ही नहीं बाकी धर्मों की भी आलोचना करता. चूंकि उसके निशाने पर केवल इस्लाम और मुसलमान हैं, इसलिए उसकी तमाम सोशल मीडिया गतिविधियों से अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं कि वह शेर की खाल में भेड़िया है. यानी वह केवल नाम का इम्तियाज महमूद है,
दरअसल, उसे किसी ने मुसलमानों और इस्लाम पर निशा साधने के लिए भाड़े पर रख छोड़ा है. इस्लाम के विरोध में यह शख्स इस कदर अंधा है कि गाजा में इजरायली सेना के हाथों मारे जाने वाले मासूम बच्चों और औरतों का मजाक उड़ाने मंे भी पीछे नहीं. मुस्लिम औरतों एवं मौलवियों पर गंदे-गंदे कार्टून सोशल मीडिया पर शेयर करता है. यदि उसे इस्लाम से इतनी ही नफरत है तो क्या एक फ्री थिंकर्स की नजर में महिला की कोई कीमत-सम्मान नहीं ?
इस्लाम के विरुद्ध इम्तियाज महमूद का मायाजाल
इस्लाम मुखालिफ इम्तियाज महमूद ने अब ब्रिटेन के मुसलमानों को लेकर आपत्ति उठाई है.उसने एक्स पर एक पोस्टर साझा किया है, जिसमें ‘मुस्लिम ब्रिटेन’ शीर्षक से कई जानकारियों साझा की हैं. इसके अनुसार, लंदन, बरमिंघम,लीड्स,ब्लैकबर्न,शेफिल्ड, ऑक्सफोर्ड और लुटन के मेयर मुसलमान हैं. ब्रिटेन में 3500 मस्जिदें हैं. 130 शरिया कोर्ट हैं. 50 शरिया काउंसिल हैं.
78 प्रतिशत मुस्लिम औरतें काम नहीं करतीं और सामाजिक और घरेलू सुविधाओं का लाभ ले रही हैं. इसी तरह 60 प्रतिशत मर्द कोई काम नहीं करते और हाउसिंग एवं सोशल बेनिफिट उठा रहे हैं. 66 मिलियन मुस्लिम आबादी में 4 मिलियन यह सुविधा ले रहे हैं.
Sharia is patient. Taking over the UK slowly but surely. pic.twitter.com/PHh8GbOz5q
— Imtiaz Mahmood (@ImtiazMadmood) December 11, 2023
इम्तियाज महमूद इन आंकड़ों के साथ यह खुलासा नहीं किया कि उसके प्रस्तुत आंकड़ों की सच्चाई क्या है. वह किस आधार पर ऐसे आंकड़े सोशल मीडिया पर साझा कर भ्रम और मुसलमानों के प्रति नफरत फैला रहा है ? दूसरी अहम बात यह है कि यदि कोई मुसलमान कहीं का मेयर चुना जाता है तो क्या इसलिए कि वह मुसलमान है अथवा सर्वसम्मति से उसका चयन किया जाता है ? रही बात शरिया अदालतों एवं काउंसिल को लेकर दिए गए तथ्यों की तो वह झूठे लगते हैं. क्यों कि इम्तियाज महमूद द्वारा दिए आंकड़ों की जब छानबीन की गई तो तथ्य बहुत हद तक गलत पाए गए.
यहां एक बात और कहना जरूरी है कि यदि कोई शख्स अपने धर्म के अनुसार चलना चाहे तो उसमें किसी फ्री थिंकर्स को क्या एतराज हो सकता है ? इसी तरह इस बेहूद फ्री थिंकर ने इसपर आंकड़े देना जरूरी नहीं समझा कि ब्रिटेन मंें कितने प्रतिशत लोग बेरोजगार हैं. इस मुल्क में कितनी महंगाई बढ़ी है या जीडीपी कहां तक गिर गया है कि जनजीवन प्रभावित हो रहा है ?रही बात कि क्या ब्रिटेन में शरिया कानून वैध है ? जाहिर सी बात है कि गैर इस्लामिक देश में यह कतई वैध नहीं हो सकता. भारत में भी शरिया कोर्ट है, पर इसकी वैल्यू परामर्श तक ही सीमित है.
हलाला क्या होता है मुसलमानों में ?
ब्रिटेन के कानूनों के अध्ययन से पता चला कि इस देश में शरिया परिषदों की कोई कानूनी स्थिति नहीं है. नागरिक कानून के तहत कोई कानूनी बाध्यकारी प्राधिकारी नहीं. जबकि शरिया कई मुसलमानों के लिए मार्गदर्शन का एक स्रोत मात्र है. शरिया काउंसिल का इंग्लैंड और वेल्स में कोई कानूनी क्षेत्राधिकार नहीं.
दरअसल, शरिया कानून इस्लाम धर्म का कानून है. यह कुरान से लिया गया है. ब्रिटेन में रहने वाले अन्य देशों के मुसलमानों की तरह ही शरिया न्यायिक प्रणाली से मार्गदर्शन लेते रहते हैं. क्लेम्स डाॅट को डाॅट यूके की एक रिपोर्ट के अनुसार,ब्रिटेन में लगभग 30 शरिया काउंसिल हैं, लेकिन ये शरिया अदालतें नहीं हैं. शरिया परिषदों के फैसले इस्लामी धार्मिक कानूनों पर आधारित होते हैं और ये ब्रिटेन की अदालतों को खारिज नहीं कर सकते. या ऐसे फैसले नहीं ले सकते जो ब्रिटेन के कानून के विपरीत हों. इससे स्पष्ट होता है कि शरिया कोर्ट वाली इम्तियाज महमूद की बात झूठी है. यानी ब्रिटेन में शरिया कानून की कोई वैधता नहीं. न ही कोई मुसलमान ब्रिटेन के कानून के ऊपर इसे रखता है.
ब्रिटेन के कितने मुसलमान शरिया कानून चाहते हैं I How many Muslims in Britain want Sharia law?
हालांकि यह हमेशा बहस का विशेष रहा है कि ब्रिटेन के कितने मुसलमान शरिया कानून चाहते हैं ? एक सर्वे से पता चला है कि 40 प्रतिशत ब्रिटिश मुसलमान शरिया कानून के पक्ष में हैं. इसको लेकर आईसीएम यूके ने मतदान के आधार पर सर्वे रिपोर्ट तैयार की है. जब से कनाडा के ओंटारियो में तलाक, अनुबंध कानून आदि जैसे नागरिक विवादों में शरिया कानून के उपयोग की अनुमति दी गई है, ब्रिटेन के मुसलमान भी इसी तरह की मांग करने लगे हैं.
चूंकि शरिया कानून इस्लाम के भीतर धार्मिक कानूनों की व्यवस्था है, जिसके तीन मूल स्रोत है, कुरान, सुन्नत ( पैगंबर मुहम्मद की प्रथा और फतवे यानी उलेमा के फैसले). शरिया एक मुस्लिम के जीवन के सभी पहलुओं से संबंधित है, जिसमें पारिवारिक और वित्तीय मामलों से लेकर व्यक्तिगत स्वच्छता और कपड़े तक शामिल हैं. इस वजह से हर मुसलमान चाहता है कि वह शरिया के बताए रास्ते पर ही चले.हालांकि, यह बहुत आसान नहीं. शरिया कानून की कई अलग-अलग व्याख्याएं हैं.
संडे टेलीग्राफ ने ब्रिटिश मुसलमानों पर आधारित आईसीएम सर्वेक्षण रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें 40 प्रतिशत ब्रिटिश मुसलमानों ने ब्रिटेन में ऐसे क्षेत्र होने का समर्थन किया, जो पहले से मुस्लिम बहुल हैं और जहां शरिया कानून लागू किया गया है. चूंकि शरिया कानून के बारे में पश्चिमी धारणाएं व्यभिचारियों को पत्थर मारने, धर्मत्याग करने वालों को फांसी देने और चोरों के हाथ-पैर काटने पर केंद्रित हैं, इसलिए रिपोर्ट के प्रकाशन पर कुछ डरावनी प्रतिक्रिया आई हंै.
इस्लाम में हलाल को क्या माना जाता है ?
हालांकि यह याद रखने योग्य है कि सर्वे मंे शामिल उत्तरदाता शरिया कानून के कहीं अधिक सीमित उपयोग के बारे में सोच रहे होंगे. रिपोर्ट लिखने वाले ने कहा है,मुझे संदेह है कि आईसीएम के सर्वेक्षण के उत्तरदाताओं की ब्रिटेन में मुस्लिम समुदायों द्वारा शरिया के आधार पर परिवार और विरासत कानून के मामलों पर निर्णय लेने की अधिक संभावना है, न कि संगसार करने और सिर कलम करने की.आईसीएम की वेबसाइट पर सर्वे से जुड़े आंकड़े कुछ दिलचस्प बातें बताते भी बताती हैं, जिसे संडे टेलीग्राफ ने छापना जरूरी नहीं समझा. आईसीएम के सर्वेक्षण के अनुसार, ब्रिटिश मुसलमान इस बात पर लगभग एकमत (97 प्रतिशत) नजर आए कि पैगंबर मोहम्मद के डेनिश कार्टूनों का प्रकाशन गलत था. 77 प्रतिशत ने कहा कि वे व्यक्तिगत रूप से कार्टूनों से बहुत आहत हुए. 9 प्रतिशत ने कहा कि वे थोड़े नाराज थे. 11 प्रतिशत ने कहा कि वे नाराज नहीं थे. इसी तरह कार्टूनों पर प्रतिक्रिया देने वाले 14 प्रतिशत ब्रिटिश मुसलमानों का मानना था कि मुस्लिम देशों में प्रदर्शनकारियों का डेनिश दूतावासों पर हमला सही नहीं था, जबकि 12 प्रतिशत इसके पक्ष में थे.
शरिया कानून कैसे प्रचलित है?
यह एक मुसलमान के दैनिक जीवन के लगभग हर पहलू से संबंधित है. शरिया का पूरा उद्देश्य मानव कल्याण को बढ़ावा देना है. यह देखते हुए कि शरिया कानून मुसलमानों के दैनिक जीवन के सभी क्षेत्रों को कवर और सूचित करता है, यह प्रभावी रूप से जीवन जीने की एक संहिता है. इस्लामी कानून और संस्कारों का पालन करने के लिए मुसलमान रोजे रखते हैं. अपनी मजहबी प्रार्थनाएं निभाते हैं. अनुष्ठान करते हैं. कुछ मांस इत्यादि से परहेज करते हैं.शरिया के मूल सार को इस्लामी विद्वानों द्वारा परिभाषित पांच श्रेणियों में इस प्रकार रखा जा सकता है-
- -सबसे पहले, ऐसे अनिवार्य कार्य हैं, जिन्हें अल्लाह से पुरस्कार प्राप्त करने के लिए अच्छे इरादों के साथ किया जाना चाहिए.
- -फिर अनुशंसित कार्यवाहियां हैं जिन्हें किया जाना चाहिए.
- -तीसरा, ऐसे नापसंद कार्य हैं जिन्हें अल्लाह की नजर में अच्छा या उचित नहीं माना गया है. उससे बचना है.
- -चौथा, निषिद्ध कर्म हैं. – अंत में, ऐसे अनुमत कार्य हैं जिनकी न तो वकालत की जाती है और न ही उन्हें प्रतिबंधित किया जाता है, लेकिन उन्हें निष्पादित किया जा सकता है.
जहां मुद्दे उठते हैं, शरिया परिषदें मुसलमानों को कानूनी फैसले और सुझाव देती हैं. उन्हें शरिया कानून की व्याख्या के आधार पर सलाह प्रदान की जाती है. ब्रिटेन में ऐसे किसी कानून को कोई शक्ति नहीं मिली हुई है.यूके में प्रचलित शरिया कानून को लेकर काफी विवाद रहा है. जैसा कि कैंटरबरी के पूर्व आर्कबिशप रोवन विलियम की यूके की कानूनी प्रणाली में शरिया कानून के आवेदन के संबंध में की गई टिप्पणियों से पता चलता है.
हालांकि, शरिया कानून को ब्रिटेन के समाज में सरकार द्वारा जगह दी गई है. यह मुसलमानों के लिए वैकल्पिक विवाद समाधान प्रदान करता है. मध्यस्थता अधिनियम 1996 की धारा 1 तहत पार्टियां मसले का समाधान ढूंढ सकती हैं. मगर इसका पालन कोर्ट से ही संभव होगा.ब्रिटेन में शरिया कानून ज्यादातर पारिवारिक मामलों के संदर्भ में लागू किया जाता है. हालांकि, इस बात की चिंताएं बढ़ रही हैं कि शरिया परिषदें महिलाओं के प्रति भेदभावपूर्ण, अवैध और अस्वीकार्य तरीके से काम कर रही हैं. पिछले साल एक सरकारी जांच हो चुकी है.व्यापार जगत में शरिया वित्त का चलन भी बढ़ा है.
परिवार के भीतर शरिया कानून
पारिवारिक शरिया कानून से संबंधित मामलों से निपटने वाले ब्रिटेन के दो मुख्य संगठन हैं. पहली इस्लामिक शरिया काउंसिल है जो ज्यादातर विवाह संबंधी समस्याओं से निपटती है. शरिया काउंसिल यूके भी है जो विवाह और तलाक से संबंधित मामलों को देखती है. साथ ही मध्यस्थता, न्यायिक विचार और सुलह जैसी सेवाएं भी प्रदान करती है.वित्तीय सेवा प्राधिकरण (एफएसए) यूके में वित्तीय सेवा उद्योग को नियंत्रित करता है. शरिया वित्त के प्रति एफएसए का दृष्टिकोण यह है कि यह न तो इसमें बाधा डालेगा, न ही इसे इस आधार पर प्रोत्साहित करेगा कि एफएसए प्रकृति में धर्मनिरपेक्ष है. हालांकि, इस्लामी जमाओं के संबंध में कुछ मुद्दे हैं और क्या वे यूके बचत खातों के साथ संगत हो सकते हैं.