News

कश्मीर में आतंकवाद अनियंत्रित ? बारामूला की मस्जिद में सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी की हत्या

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,श्रीनगर

तमाम सरकारी दावों के बावजूद कश्मीर में आतंकवाद फिर से अनियंत्रित हो गया. दो दिन पहले आतंकवादी हमले में सेना के चार जवानों की शहादत के बाद अब एक सेवानिवृत पुलिस अधिकारी को मस्जिद में घुसकर मौत के घाट उतार दिया.इस हफ्ते ही उस पुलिस अधिकारी ने भी दिल्ली में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया जिसे घर के बाहर क्रिकेट खेलने के दौरान आतंकवादी अपना निशाना बना गए थे.

जम्मू-कश्मीर के पुंछ हमले के बाद अब आतंकियों ने बारामूला में एक रिटायर पुलिस अधिकारी को निशाना बनाया है. बारामूला के जेंटमुल्ला में आतंकियों ने एक सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी की गोली मारकर हत्या कर दी. बताया गया कि आतंकियों ने रिटायर पुलिस अधिकारी मोहम्मद शफी पर उस वक्त फायरिंग कर दी, जब वह मस्जिद में अजान दे रहे थे.

जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कहा कि आतंकवादियों ने शेरी बारामूला के जेंटमुल्ला में एक सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी मोहम्मद शफी को उस समय गोली से निशाना बनाया, जब वह एक मस्जिद में अजान दे रहे थे. इसके तुरंत बाद ही उसकी मौत हो गई. इलाके की घेराबंदी कर दी गई है और पुलिस और सेना के जवान मौके पर हैं. फिलहाल हमला करने वाले आतंकियों की जानकारी सामने नहीं आई है. उधर, मोहम्मद शफी के भाई का कहना है कि यह एक सुनियोजित हमला था.

दाऊद इब्राहिम की मौत की खुशी मनाने वालों को मायूसी, मुंबई पुलिस एवं छोटा शकील ने खबर को फर्जी बताया

क्या दाऊद इब्राहिम को जहर दिया गया है ? Has Dawood Ibrahim been poisoned

बता दें कि बारामूला में आतंकियों ने एक रिटायर पुलिस अधिकारी पर उस वक्त हमला किया जब सेना पुंछ में सर्च ऑपरेशन चला रही है और आतंकियों की तलाश में जुटी है. जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में गुरुवार को हथियारबंद आतंकियों ने सेना की दो गाड़ियों पर घात लगाकर हमला किया. इस आतंकी हमले में 4 जवान शहीद हो गए. अधिकारियों ने बताया कि दो शहीद जवानों के शव क्षत-विक्षत थे, जिससे जाहिर होता है कि आतंकवादी किसी बड़े हमले की नियत से जमा हुए थे.

बता दंे कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद से केंद्र और जम्मू-कश्मीर का केंद्र शासित प्रशासन देश वासियों के सामने दावा पेश करते रहे हैं कि पाकिस्तान के इस सीमावर्ती सूबे मंे आतंकवाद नियंत्रित हो चुका है और आतंकवादी या तो बिल में समा गए हैं या मारे गए हैं. इस दावे में दम भरने के लिए हाल में सदन में गृहमंत्री अमित शाह कश्मीर में कम होते आतंकवाद के प्रति दलील दे चुके हैं. इस दलील को पोख्ता साबित करने के लिए कश्मीर में पत्थरबाजी की घटनाओं में कमी आने की दलील दी जाती है. इसके अलावा शासन और प्रशासन कश्मीर में खेल प्रतियोगिताएं आयोजित कर बार बार यह एहसास कराना चाहता है कि कश्मीर में स्थिति अब बिलकुल सामान्य है.

मगर ऐसा बिल्कुल नहीं है. तमाम दावों के बावजूद किसी वारदात को अंजाम देने के बाद दो से चार आतंकवादी कई दिनों सुरक्षाकर्मियों को चकमा दिए रहते हैं और हाथ नहीं आते. हाल के दिनों में सुरक्षाकर्मियों को निशाना बनाए जाने का आंकड़ा भी बढ़ा है. चूंकि अभी कश्मीर का मीडिया कई मायने में निष्पक्ष नहीं या किसी का एजेंडा चलाने में लगे हैं, इसलिए वहां से वास्तविक तस्वीर सामने नहीं आ रही है. अभी सोशल मीडिया पर जिस तरह की खबरें परोसी जा रही हैं, दरअसल वह किसी का एजेंडा हैं. अन्यथा क्या वजह है कि हाल में तीन लोगों के शव जिस संदिग्ध परिस्थितियों में मिले में, उसपर कश्मीर का मीडिया लगभग खामोश ही है. इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.