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कश्मीर की अशांत वादियों में इशरत नजीर ने जैविक खेती कर दिखाया अमन का रास्ता

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

अनुच्छेद 370 हटने के बाद कश्मीर की कायापलट और शांति स्थापित करने के चाहे जितने दावे किए जाएं, पर पाकिस्तान-चीन की सरहद से लगे इस सूबे से गाहेबगाहे ऐसी खबरें आती रहती हैं, जिससे साफ झलकता है कि यहां अभी भी स्थिति सामान्य नहीं है. कभी भाजपा, नरेंद्र मोदी और अनुच्छेद 370 हटाने का विरोध करने वाली शेहला राशिद जब अपनी पुरानी नीतियों से पलटी मारकर कश्मीर में शांति और सुरक्षा को लेकर सोशल मीडिया पर लंबे-लंबे दावे कर रही थीं, तब ही आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में सेना के चार जवान शहीद हो गए. मगर इसी बीच एक अच्छी खबर भी सामने आई. अलग बात है कि इसमें सरकार का कोई खास रोल नहीं है.

खबर के अनुसार, दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के मध्य में बुंगुंड नामक एक गांव है, जहां ताजी उगाई गई जैविक सब्जियों की सुगंध ठंडी पहाड़ी हवा के साथ मिलती है.26 वर्षीय लड़की इशरत नजीर ने 55 अन्य स्वयं सहायता समूह सदस्यों के साथ मिलकर गांव में जैविक सब्जियां उगाने का कठिन काम शुरू किया है.

इशरत, जिनके पास नर्सिंग की डिग्री है, पूरी लगन से जैविक खेती कर रही हैं. उन्होंने इलाके में यह एक ऐसी प्रथा शुरू की है जो अब उनके और अन्य एसएचजी सदस्यों, जिनकी उम्र 18 से 30 वर्ष के बीच है, के लिए आजीविका का एक स्रोत बन गई है.

उन्होंने कहा कि गांव में उगाई जाने वाली प्राथमिक जैविक सब्जियां सौ कनाल से अधिक की हैं. इसमें फूलगोभी, टमाटर, लहसुन और शिमला मिर्च शामिल हैं.उन्हांेने बताया,हम पांच जैविक सब्जियों की खेती कर रहे हैं. अगर हम एक कनाल जमीन पर एक जैविक सब्जी की खेती करते हैं, तो हम हर सीजन में प्रति कनाल 35,000 रुपये कमाएंगे.

उन्होंने कहा कि जैविक खेती न केवल लाभदायक है, बल्कि टिकाऊ, भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण प्रतिबद्धता भी है.इशरत ने कहा, शुरुआत में हमें चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन जम्मू और कश्मीर राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (जेकेएनआरएलएम) की सहायता से, एसएचजी सदस्यों ने अपने भ्रम पर काबू पा लिया और सफलतापूर्वक जैविक कृषि पद्धतियों को अपनाया.

उन्होंने कहा कि विपरीत परिस्थितियों के बावजूद जैविक खेती उनके लिए सफल साबित हुई.हम सब्जियां उगाने के लिए गाय के गोबर और अन्य प्राकृतिक खाद का उपयोग करते हैं. जैविक खेती पर्यावरण के अनुकूल और आर्थिक रूप से व्यवहार्य दोनों हो सकती है. ”इशरत और गांव के अन्य सदस्य ज्यादातर जैविक उत्पाद स्थानीय बाजार में बेचते हैं.

इशरत के अनुसार,“जम्मू में भी हमारे ग्राहक हैं. हमारी मार्केटिंग उतनी अच्छी नहीं है. अन्यथा, लोग आमतौर पर अब जैविक उत्पाद पसंद करते हैं.एक अन्य एसएचजी सदस्य, जो समूह का हिस्सा है, ने कहा, “हमारी पीढ़ी पर एक स्थायी भविष्य सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी है. जैविक खेती सिर्फ एक नौकरी नहीं है. यह आने वाली पीढ़ियों के लिए हमारे पर्यावरण को संरक्षित करने की प्रतिबद्धता है.

उन्होंने कहा कि एक घनिष्ठ समुदाय बनाया है जो न केवल एक साथ काम करता है, एक साथ सीखता भी है.उन्होंने कहा, यह हमारे और देश दोनों के लिए विकास की एक खूबसूरत यात्रा है.जिला कार्यक्रम प्रबंधक एनआरएलएम पुलवामा अर्शीद अहमद भट ने बताया कि जैविक उत्पाद नियमित भोजन खपत का एक अभिन्न अंग बन रहे हैं.

कश्मीर से जब यह अच्छी खबर आई तभी राजौरी में मुठभेड़ के दौरान सेना के 4 जवान के शहीद होने और एक आतंकवादी के मारे जाने का समाचार मिला.रिपोर्टों से पता चलता है कि आतंकवादियों ने एक खोजी दल पर गोलीबारी शुरू कर दी, जो पिछले कई दिनों से इलाके में घेराबंदी कर तलाश कर रहे थे.

बुधवार 22 नवंबर को जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती जिले राजौरी के कालाकोटे तहसील के धरमसाल गांव में मुठभेड़ में सेना के चार जवान और एक आतंकवादी मारे गए।जम्मू-कश्मीर पुलिस और भारतीय सेना की संयुक्त सेना और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ शुरू हुई. रिपोर्टों से पता चलता है कि आतंकवादियों ने एक खोज दल पर गोलीबारी शुरू कर दी, जो कुछ दिन पहले इलाके में शुरू किए गए घेराबंदी और तलाशी अभियान का हिस्सा थे.

उन्होंने बताया कि इलाके में भीषण गोलीबारी जारी है. घटनास्थल पर फंसे दो आतंकवादियों को ढेर करने के लिए और अधिक सैनिकों को तैनात किया गया है.शुक्रवार 17 नवंबर को राजौरी जिले के बुद्धल इलाके में एक आतंकवादी मारा गया था. उसके कब्जे से एक एके-47 राइफल, तीन मैगजीन, तीन ग्रेनेड और एक थैली बरामद की गई थी.

अधिकारियों ने कहा कि अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती के साथ अभियान तेज कर दिया गया है. स्थानीय निवासियों ने कहा कि आतंकवादियों का पता लगाने के लिए रविवार से ही इलाके में घेराबंदी एवं तलाशी अभियान चलाया जा रहा है.ऑपरेशन के कारण, हमें घर पर ही रहने और बाहर न निकलने के लिए कहा गया है. हमारे बच्चे घर पर ही रह गए और स्कूल नहीं गए.

उन्होंने बताया कि गांव के नजदीक वन क्षेत्र में गोलीबारी जारी है. अधिकारियों ने कहा, बाजीमाल में मुठभेड़ स्थल पर फंसे दो हथियारबंद लोग विदेशी नागरिक प्रतीत होते हैं. रविवार से इलाके में घूम रहे थे. उन्होंने कहा कि उन्होंने एक मस्जिद में शरण ली हुई है. न्यूज एजेंसी पीटीआई की एक खबर में कहा गया है, राजौरी और पुंछ के सीमावर्ती जिलों में पिछले डेढ़ साल में आतंकवादी की घटनाएं बढ़ी हैं.17 नवंबर को राजौरी जिले के गुलेर बेहरोटे इलाके में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में एक आतंकवादी मारा गया था. जब कि 7 अगस्त को पुंछ जिले के देगवार इलाके में सीमा पार से घुसपैठ की कोशिश को सेना ने नाकाम करते हुए एक और आतंकवादी को मार गिराया था. इसी तरह 5 मई को राजौरी जिले की केसरी पहाड़ियों में आतंकवाद विरोधी अभियान के दौरान सेना के पांच जवान शहीद हो गए थे.